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बोधगया...अशोक और बुद्ध की धरती पर 'सिकंदर' साबित हुई लालू की RJD, इस बार किसका बजेगा डंका   

अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, बोधगया में 18 विधानसभा चुनाव हुए हैं. राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को सबसे ज्‍यादा बार जीती है. पार्टी ने 2015 और 2020 समेत पांच बार चुनावों में जीत हासिल की है. सीपीआई ने यह सीट तीन बार जीती है.

बोधगया...अशोक और बुद्ध की धरती पर 'सिकंदर' साबित हुई लालू की RJD, इस बार किसका बजेगा डंका   
  • बोधगया विधानसभा क्षेत्र गया जिले में है और यह एक अनुसूचित जाति आरक्षित सीट है जहां 11 नवंबर को वोटिंग है.
  • बोधगया बौद्ध धर्म की जन्मभूमि है जहाँ सिद्धार्थ गौतम को महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था.
  • महाबोधि मंदिर को सम्राट अशोक ने बनवाया था और इसे 2002 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था.
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पटना:

बोधगया विधानसभा क्षेत्र बिहार के गया जिले में स्थित है. यह सीट एक अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षित है. विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्‍या 230 के तहत आने वाले बोधगया में 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. लीलाजन (फल्गु) नदी के किनारे बसा बोधगया, दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के चार सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. यहीं पर लुंबिनी के राजकुमार और घूमने वाले साधु सिद्धार्थ गौतम को 534 BC में महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान मिला था. उन्होंने 29 साल की उम्र में अपना परिवार छोड़ दिया था. बदलाव की घटना के बाद, सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध के नाम से जाने गए और बोधगया बौद्ध धर्म की जन्मभूमि बन गया. दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आस्‍था इस धर्म में है.  

सम्राट अशोक पहुंचे थे यहां 

बौद्ध धर्म को फैलाने में अहम भूमिका निभाने वाले सम्राट अशोक ने बुद्ध को ज्ञान मिलने के लगभग 200 साल बाद बोधगया का दौरा किया था. उन्होंने उस जगह पर एक मंदिर और मठ बनवाया, जिसे अब महाबोधि मंदिर के नाम से जाना जाता है.  साल 2002 में, इस मंदिर को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था. सदियों तक, बोधगया बौद्ध सभ्यता का एक सेंट्रल हब बना रहा, जब तक कि 13वीं सदी में कुतुब अल-दीन ऐबक और बख्तियार खिलजी की मुस्लिम तुर्क सेनाओं ने इसे तबाह नहीं कर दिया. इससे महाबोधि मंदिर की हालत खराब हो गई और सदियों तक उसे छोड़ दिया गया. 19वीं सदी के आखिर में ही इसे ठीक करने की कोशिशें शुरू हुईं, जिससे इसका आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व फिर से वापस आया. 

दिलचस्‍प है चुनावी इतिहास  

बोधगया का चुनावी इतिहास भी उतना ही दिलचस्प है. साल 1957 में बोधगया विधान सभा सीट अस्तित्‍व में आई थी. यह एक एससी रिजर्व सीट है. यह गया लोकसभा सीट के छह असेंबली एरिया में से एक है, जो SC कैंडिडेट के लिए भी रिजर्व है. इतने सालों में, बोधगया ने किसी एक पॉलिटिकल आइडियोलॉजी के प्रति वफादारी नहीं दिखाई है, और हर तरह के पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम से विधायक चुने हैं, लेफ्ट से लेकर राइट तक, साथ ही कई सेंट्रिस्ट और सोशलिस्ट पार्टियों से भी. 

18 में से पांच बार जीती RJD 

अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, बोधगया में 18 विधानसभा चुनाव हुए हैं. राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को सबसे ज्‍यादा बार जीती है. पार्टी ने 2015 और 2020 समेत पांच बार चुनावों में जीत हासिल की है. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने यह सीट तीन बार जीती है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस ने दो-दो बार जीत हासिल की है. दूसरी पार्टियां, जैसे भारतीय जनसंघ, ​​स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल, और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), साथ ही इंडिपेंडेंट कैंडिडेट, सभी ने एक-एक बार जीत हासिल की है. साल 2020 के चुनावों में, आरजेडी के कुमार सर्वजीत ने अपने बीजेपी विरोधी को 4,708 वोटों से हराकर सीट बरकरार रखी. 

कैसा है मतदाता का गणित  

बोधगया असेंबली सीट पर SC की अच्छी-खासी आबादी है, जो करीब 35.72 परसेंट वोटर हैं. मुस्लिम वोटर इस सीट पर करीब 7.3 परसेंट हैं. यह सीट ज्‍यादातर ग्रामीण है, जहां ग्रामीण वोटर 92.03 परसेंट हैं, जबकि शहरी वोटर सिर्फ 7.97 परसेंट हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में, बोधगया में 315,397 वोटर थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 324,068 हो गई. एनडीए में शामिल पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, गया लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में, एनडीए ने बोधगया विधानसभा क्षेत्र में बढ़त बनाई थी, जो वोटरों की सोच में संभावित बदलाव का संकेत है. 

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