नई दिल्ली:
बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल - यूनाइटेड (जेडीयू), लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के महागठबंधन की राह में रोड़े पैदा कर सकने में सक्षम असदुद्दीन ओवैसी की मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एमआईएम) जैसी छोटी पार्टियों का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी खुद भी राज्य के महत्वपूर्ण सीमांचल इलाके में दो रैलियों को संबोधित करेंगे।
मुस्लिम बहुत क्षेत्रों में होगी राहुल की रैली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के विजयरथ को रोकने की कोशिश कर रहे महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी की ये रैलियां किशनगंज और कटिहार जिलों में 30 अक्टूबर को होंगी। दोनों ही जिलों में काफी बड़ी तादाद में मुस्लिम आबादी है, जो नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती है। इस बार ओवैसी भी पहली बार बिहार में कदम रख रहे हैं और सीमांचल क्षेत्र में ही अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं, जिनमें स्थापित राजनैतिक दलों के बागी भी शामिल हैं। इस वजह से माना जा रहा है कि एमआईएम के चलते महागठबंधन की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
5 चरण में हैं बिहार में चुनाव
इन दोनों जिलों में आखिरी चरण में 5 नवंबर को मतदान होगा, और विधानसभा सीटों के लिहाज़ से यह सबसे बड़ा चरण होगा, जिसमें 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। वैसे, बिहार में कुल 243-सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव हे रहे हैं, और मतगणना 8 नवंबर को की जाएगी।
एमआईएम, एनडीए और महागठबंधन के अलावा छह पार्टियों - समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक), समरस समाज पार्टी (एसएसपी), नेशनलिस्ट्स पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) तथा समाजवादी जनता पार्टी (सपा) - का तीसरा मोर्चा भी राज्य में चुनाव मैदान में है, जिसने एनसीपी के तारिक अनवर को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, जो फिलहाल कटिहार संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचे हुए हैं।
मुस्लिम बहुत क्षेत्रों में होगी राहुल की रैली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के विजयरथ को रोकने की कोशिश कर रहे महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी की ये रैलियां किशनगंज और कटिहार जिलों में 30 अक्टूबर को होंगी। दोनों ही जिलों में काफी बड़ी तादाद में मुस्लिम आबादी है, जो नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती है। इस बार ओवैसी भी पहली बार बिहार में कदम रख रहे हैं और सीमांचल क्षेत्र में ही अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं, जिनमें स्थापित राजनैतिक दलों के बागी भी शामिल हैं। इस वजह से माना जा रहा है कि एमआईएम के चलते महागठबंधन की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
5 चरण में हैं बिहार में चुनाव
इन दोनों जिलों में आखिरी चरण में 5 नवंबर को मतदान होगा, और विधानसभा सीटों के लिहाज़ से यह सबसे बड़ा चरण होगा, जिसमें 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। वैसे, बिहार में कुल 243-सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव हे रहे हैं, और मतगणना 8 नवंबर को की जाएगी।
एमआईएम, एनडीए और महागठबंधन के अलावा छह पार्टियों - समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक), समरस समाज पार्टी (एसएसपी), नेशनलिस्ट्स पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) तथा समाजवादी जनता पार्टी (सपा) - का तीसरा मोर्चा भी राज्य में चुनाव मैदान में है, जिसने एनसीपी के तारिक अनवर को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, जो फिलहाल कटिहार संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचे हुए हैं।
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