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This Article is From Oct 26, 2015

बिहार चुनाव : राघोपुर में लालू के 'तेज' की 'अग्निपरीक्षा'

बिहार चुनाव : राघोपुर में लालू के 'तेज' की 'अग्निपरीक्षा'
तेजस्वी यादव की फाइल तस्वीर
हाजीपुर: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति के दिग्गज लालू प्रसाद यादव अपनी राजनीतिक विरासत अपने दोनों बेटों को सौंपने की कोशिश में हैं। लालू के पुत्र तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की परंपरागत सीट राघोपुर से पहली बार चुनावी दंगल में हाथ आजमा रहे हैं।

यह सीट वैशाली जिले में पड़ती है। प्राचीन काल में वैशाली से ही लिच्छवी साम्राज्य ने गणतंत्र की बुनियाद रखी थी। यह दीगर बात है कि आज यह धरती लोकतंत्र में परिवारवाद को भी झेल रही है। लालू के दूसरे पुत्र तेज प्रताप इसी जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं।

गंगा और गंडक की गोद में बसे वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 15 वर्ष तक लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने किया है, मगर राघोपुर की जनता आज भी समस्याओं के मकड़जाल में फंसी है। पिछले चुनाव में राबड़ी देवी यहां से चुनाव हार गई थीं।

राघोपुर के दियारा क्षेत्र के लोगों के लिए सात महीने तक आवागमन का एकमात्र साधन नाव ही है। नाव से ही यहां के लोग पटना और हाजीपुर जाते हैं। हालत यह है कि यहां की नावों पर मोटरसाइकिल और ऑटो भी लदे मिल जाएंगे।

राघोपुर दियारा के अमन कहते हैं, "राघोपुर में कई चुनावों से सबसे बड़ा मुद्दा पुल रहा है और इस चुनाव में भी यही बड़ा मुद्दा है। पुल बनाने का वादा कर नेता यहां के वोट तो ले लेते हैं, लेकिन आज तक पुल नहीं बना।" वे बताते हैं कि दिसंबर से जून तक राघोपुर दियारा को पटना की ओर से पीपा पुल से जोड़ा जाता है और इसी छह महीने के दौरान ही इस क्षेत्र में विवाह भी होते हैं।

सैदाबाद के रहने वाले रवींद्र राय कहते हैं कि यहां के छात्र-छात्राएं पटना के कॉलेजों में नामांकन तो करा लेते हैं, लेकिन आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण वे प्रतिदिन कॉलेज नहीं जा पाते। सप्ताह में एक दिन भी चले गए, तो बड़ी बात है। राघोपुर दियारा में कॉलेज नहीं है।

राय कहते हैं, "यहां चुनाव के समय नेता तो तरह-तरह के वादे करते हैं। उनके वादे पर विश्वास किया जाए तो लगता है कि चुनाव के बाद राघोपुर में रामराज्य आने वाला है, मगर चुनाव समाप्त होते ही नेता वादे भूल जाते हैं।"

राघोपुर में आरजेडी के एक कार्यकर्ता अनिल राय कहते हैं कि यह सीट लालू की रही है और फिर से रहेगी। वे कहते हैं कि बीजेपी को यहां कोई जानता तक नहीं। वे इशारों ही इशारों में कह गए कि आरजेडी पूरे राज्य में जीत जाए, मगर राघोपुर में हार जाए तो यह आरजेडी की हार होगी, महागठबंधन की नहीं।

पिछले चुनाव में सतीश कुमार ने अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंदी आरजेडी की राबड़ी देवी को 13 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराकर बड़ा उलटफेर किया था, लेकिन इस चुनाव में निवर्तमान विधायक सतीश जेडीयू को छोड़कर बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।

करीब 3.15 लाख मतदाताओं वाले राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में इस चुनाव में ऐसे तो कुल 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला सत्ताधारी महागठबंधन की ओर से आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव और एनडीए की तरफ से सतीश के बीच मानी जा रही है। जानकार कहते हैं कि यादव बहुल राघोपुर में किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए जातीय समीकरण मजबूत करना ही मूलमंत्र है।

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