नई दिल्ली:
बिहार चुनावों को लेकर एनडीए में सीटों का बंटवारा हो तो गया है, लेकिन अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान इस सीट बंटवारे से खुश नहीं हैं।
कई दौर की बातचीत के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सीटों के बंटवारे की घोषणा की। शाह ने बताया कि बीजेपी राज्य में 243 में से 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 40 सीटें दी गई हैं। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (सेक्युलर) यानी हम के खाते में 20 सीटें गई हैं।
अमित शाह ने बताया कि मांझी की पार्टी के कुछ लोग बीजेपी उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने सीटों को लेकर किसी तरह के विवाद को भी सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर एनडीए में टिकटों को लेकर कोई लड़ाई नहीं है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार 40 सीटें मिलने से पासवान नाराज हैं, उन्हें ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद थी। सूत्रों का कहना है केंद्रीय मंत्री पासवान को लगता है कि मांझी को जरूरत से ज्यादा अहमियत दे दी गई है।
वहीं मांझी से जब पूछा गया कि उनमें और पासवान में से कौन ज्यादा बड़ा नेता है, तो उन्होंने कहा, 'इसका फैसला लोगों को करना है।' (पढ़ें - क्या है जीतनराम मांझी होने का मतलब?)
आपको बता दें कि जेडीयू सरकार में कुछ समय मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले जीतनराम मांझी उतनी ही सीटें लेने पर अड़े थे। उनका कहना था कि दलितों और महादलितों के बीच उनकी गहरी पैठ है। बिहार में दलित और महादलित वोटरों की संख्या अच्छी खासी है और राज्य के चुनावों में जाति एवं समुदाय की अहम भूमिका होती है। बीजेपी ने मांझी को 15 सीटें देने का प्रस्ताव रखा था, जबकि वो 40 की मांग कर रहे थे। (पढ़ें- ओवैसी फैक्टर का RJD, JDU, BJP के चुनावी गणित पर असर)
कई दौर की बातचीत के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सीटों के बंटवारे की घोषणा की। शाह ने बताया कि बीजेपी राज्य में 243 में से 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 40 सीटें दी गई हैं। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (सेक्युलर) यानी हम के खाते में 20 सीटें गई हैं।
अमित शाह ने बताया कि मांझी की पार्टी के कुछ लोग बीजेपी उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने सीटों को लेकर किसी तरह के विवाद को भी सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर एनडीए में टिकटों को लेकर कोई लड़ाई नहीं है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार 40 सीटें मिलने से पासवान नाराज हैं, उन्हें ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद थी। सूत्रों का कहना है केंद्रीय मंत्री पासवान को लगता है कि मांझी को जरूरत से ज्यादा अहमियत दे दी गई है।
वहीं मांझी से जब पूछा गया कि उनमें और पासवान में से कौन ज्यादा बड़ा नेता है, तो उन्होंने कहा, 'इसका फैसला लोगों को करना है।' (पढ़ें - क्या है जीतनराम मांझी होने का मतलब?)
आपको बता दें कि जेडीयू सरकार में कुछ समय मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले जीतनराम मांझी उतनी ही सीटें लेने पर अड़े थे। उनका कहना था कि दलितों और महादलितों के बीच उनकी गहरी पैठ है। बिहार में दलित और महादलित वोटरों की संख्या अच्छी खासी है और राज्य के चुनावों में जाति एवं समुदाय की अहम भूमिका होती है। बीजेपी ने मांझी को 15 सीटें देने का प्रस्ताव रखा था, जबकि वो 40 की मांग कर रहे थे। (पढ़ें- ओवैसी फैक्टर का RJD, JDU, BJP के चुनावी गणित पर असर)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
बिहार, बिहार विधानसभा चुनाव 2015, जीतनराम मांझी, एनडीए, बीजेपी, रामविलास पासवान, अमित शाह, Bihar, Bihar Assembly Elections 2015, Jitan Ram Manjhi, NDA Seat Sharing, Ram Vilas Paswan, BiharPolls2015