
भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु (PV Sindhu) ने पिछले महीने ही विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम कर इतिहास रचा. वह ऐसा करने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी बनी। राष्ट्रीय टीम के कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि जूनियर सर्किट पर भारत के पास जो प्रतिभा है उसे अगर सही तरीके से संवारा जाए तो इस तरह की कई ऐतिहासिक जीतें देश के सर माथे आ सकती हैं. इस साल के शुरुआत में भारत को बैडमिंटन में ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन बीते महीने सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण और पुरुष खिलाड़ी बी. साई. प्रणीत ने कांस्य पदक जीत भारत को ऐतिहासिक सफलता दिलाई.
#Article370 abrogation bill was passed and things happened so smoothly; Thanks to @MVenkaiahNaidu garu :Pullela Gopichand, Chief National Coach for the Indian Badminton team@pmoindia pic.twitter.com/P98WkULpyb
— PIB India (@PIB_India) August 11, 2019
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साई प्रणीत की सफलता हालांकि सिंधु के गले में डले सोने की चमक में दब गई लेकिन गोपीचंद का मानना है कि पुरुष वर्ग में मिली यह सफलता भारत के लिए काफी सकारात्मक संदेश है. गोपीचंद ने कहा, "प्रणीत का प्रदर्शन विशेष था. सिंधु के शानदार प्रदर्शन ने हालांकि उसे छुपा दिया, लेकिन कई साल बाद विश्व चैम्पियनशिप के पुरुष वर्ग में पदक जीतना विशेष है. मुझे लगता है कि उन्होंने राह का रोड़ा हटा दिया है और उम्मीद है कि यह आने वाले कल में होने वाली अच्छी चीजों के संदेश हों. सिंधु और प्रणीत ने जैसा प्रदर्शन किया न सिर्फ वो खास है बल्कि जिस तरह से उन्होंने जीत हासिल की वो भी शानदार है"
Welcomed India's pride, @Pvsindhu1 & Pullela Gopichand on behalf of State Government. (2/2) @KTRTRS @TelanganaCMO @trspartyonline @ntdailyonline @TelanganaToday pic.twitter.com/Ms63qAgEjd
— V Srinivas Goud (@VSrinivasGoud) August 28, 2019
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सिंधु पिछले कई साल से कई टूर्नामेंट्स के फाइनल में हार रही थीं. रियो ओलिंपिक-2012 में उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन ने मात दी. विश्व चैंपियनशिप में भी वह पिछले साल फाइनल में हार गई थीं. गोपीचंद का मानना है कि बेशक सिंधु कई फाइनल हारी हों लेकिन वह महज 24 साल की उम्र में ओलिंपिक पदक विजेता, विश्व चैम्पियन और सीजन के अंत में होने वाले बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स में जीत हासिल कर चुकी हैं. ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप के विजेता गोपीचंद ने कहा, "मैं जानता था कि सिंधु बहुत जल्दी ही कुछ अच्छा करेगी. जो लोग मुझे जानते हैं वह यह भी जानते हैं कि मैंने 2010-2011 में ही कह दिया था कि सिंधु में शीर्ष में पहुंचने का माद्दा है. मुझे लगता है कि उन्होंने अभी तक काफी कुछ हासिल कर लिया है और जिस तरह से उन्होंने प्रदर्शन किया वो लाजवाब है"
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उन्होंने कहा, "अच्छी बात यह है कि वह सिर्फ 24 साल की हैं और उनके पास अभी कई साल बाकी हैं. उम्मीद है कि अपने करियर के आखिर में उनके नाम कई चैम्पियनशिप खिताब होंगे." गोपीचंद की अपनी खुद की अकादमी भी है जिससे निकले कई खिलाड़ी इस समय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं. इनमें सिंधु, प्रणीत, सायना नेहवाल, किदाम्बी श्रीकांत, एच.एस. प्रणॉय के अलावा कई बड़े नाम हैं. अकादमी में खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण गोपीचंद मौजूदा युवा खिलाड़ियों की पौध पर अच्छे से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. उन्होंने कहा, "जब हम जूनियर सर्किट में खिलाड़ियों की संख्या और प्रतिभा देखते हैं तो अच्छा लगता है. हमें उन्हें सही तरीके से तराशना पड़ेगा. यह ऐसी चीज है जो भारतीय बैडमिंटन के लिए बेहद अच्छी है क्योंकि पुरुष और महिला दोनों वर्गो से अच्छे खिलाड़ी आ रहे हैं जिनके पास शीर्ष स्तर के खिलाड़ी बनने की क्षमता है."
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शायद यही कारण है कि गोपीचंद देश में अच्छे प्रशिक्षकों की कमी और कोचिंग सिस्टम में खामी की बात को कहने से पीछे नहीं हटते हैं. उन्होंने कहा, "यह बेहद जरूरी है कि हम अपने कोचिंग स्टाफ को मजबूत करें. एक तरीका यह है कि हमारे शीर्ष खिलाड़ी कोचिंग में वापस आएं. इसका यह मतलब नहीं है कि सभी आ जाएं, लेकिन अगर हम 10 प्रतिशत को कोच बनाने में सफल रहे तो हम अच्छा काम करेंगे.
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