
- केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का भूमि पूजन किया
- यह विश्वविद्यालय सहकारिता में पारदर्शिता और रोजगार के अवसर बढ़ाने का लक्ष्य रखता है
- युवाओं को तकनीकी विशेषज्ञता, अकाउंटेंसी और सहकारिता के संस्कार सिखाए जाएंगे
- सहकारिता मंत्रालय ने चार वर्षों में 60 नई पहलें प्रारंभ की हैं
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी' का भूमि पूजन किया. साथ ही पीएम मोदी ने त्रिभुवन दास पटेल को श्रद्धांजलि देने का काम किया. इस यूनिवर्सिटी से सहकारिता में भाई-भतीजावाद खत्म होगा, पारदर्शिता आएगी और सहकारी यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षण लेने वालों को रोजगार मिलेगा.
इस यूनिवर्सिटी में युवाओं को तकनीकी विशेषज्ञता, अकाउंटेंसी, वैज्ञानिक अप्रोच और मार्केटिंग के साथ-साथ सहकारिता के संस्कार भी सीखने को मिलेंगे. सहकारिता आंदोलन में शिक्षा, प्रशिक्षण और नवाचार के मेगा वैक्यूम को भरने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी, जिसके कारण भारत पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा. एक सहकारी नेता हर सदस्य की भलाई के लिए जब काम करता है, तो राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में कितना बड़ा योगदान देता है, इसके आदर्श उदाहरण त्रिभुवन दास जी थे. पारदर्शिता, जवाबदेही, अनुसंधान और सहकारी संघवाद की भावना के विकास के लिए स्थापित होने जा रही यूनिवर्सिटी के लिए सबसे उचित नाम ‘त्रिभुवनदास' है.
त्रिभुवन दास के ही विजन के कारण दुनियाभर की निजी डेयरियों के सामने आज हमारे देश की कोऑपरेटिव डेयरी सीना तानकर खड़ी हैं. गृह एवं सहकारिता मंत्री ने आह्वान करते हुए कहा कि देशभर के सहकारी प्रशिक्षण विशेषज्ञ इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और अपना योगदान दें. केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी' का भूमि पूजन किया.
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण दिन है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्रिभुवन दास पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि चार साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश के करोड़ों गरीबों और ग्रामीणों के जीवन में आशा का संचार करने और उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद से पिछले 4 साल में सहकारिता मंत्रालय ने भारत में सहकारिता क्षेत्र के विकास, संवर्धन और समविकास के लिए 60 नई पहल की हैं. शाह ने कहा कि ये सभी पहल सहकारिता आंदोलन को चिरंजीव, पारदर्शी, लोकतांत्रिक बनाने, विकसित करने, सहकारिता के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाने और सहकारिता आंदोलन में मातृशक्ति और युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए की गईं.
अमित शाह ने कहा कि आज यहां 125 एकड़ में 500 करोड़ रूपए की लागत से देश के पहले त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखने का काम हुआ है. उन्होंने कहा कि आज त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने में रह गई सभी कमियों को पूरा करने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज देशभर में सहकारिता आंदोलन बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक युगांतरकारी कदम है. आज देशभर में 40 लाख कर्मी सहकारिता आंदोलन के साथ जुड़े हैं, 80 लाख बोर्ड्स के सदस्य हैं और 30 करोड़ लोग, यानी देश का हर चौथा व्यक्ति, सहकारिता आंदोलन से जुड़ा हुआ है.
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जिस मेगा वैक्यूम ने हमारे सहकारिता आंदोलन को सिकोड़कर रख दिया था उसे भरने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी जिसके कारण अब सहकारिता आंदोलन फलेगा, फूलेगा, आगे बढ़ेगा और भारत पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा. त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी, यहां बनाई हुई नीतियां और अभ्यासक्रम, सहकारिता के आर्थिक मॉडल को एक जनआंदोलन में परिवर्तित करने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी बड़ी सहकारी संस्थाओं के लिए योग्य कर्मचारी प्रदान करने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी. शाह ने कहा कि हम कोऑपरेटिव टैक्सी लाना चाहते हैं, कोऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी भी बनाना चाहते हैं तो हमें हर क्षेत्र के विशेष ज्ञान वाले अधिकारी, कर्मचारी और सहकारी नेता भी चाहिए. उन्होंने पूरे देश के सहकारिता क्षेत्र का आह्वान करते हुए कहा कि देशभर के सहकारिता प्रशिक्षण विशेषज्ञ इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और अपना योगदान दें.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं