7 विज्ञापन, जो बन गए समूचे देश की धड़कन

विज्ञापन हमेशा से जिज्ञासा का विषय रहे हैं कि अपने उत्पाद को बेचने के लिए कंपनी क्या नया करेगी

7 विज्ञापन, जो बन गए समूचे देश की धड़कन

खास बातें

  • ललिताजी आज तक नहीं भूली हैं
  • लिज्जत पापड़ का विज्ञापन भी जेहन में जिंदा है
  • अब संदेश देने लगे हैं विज्ञापन
नई दिल्ली:

मुगली घुट्टी 555 अहा मीथी मीथी या ललिताजी या फिर आइ एम अ कॉम्प्लेन बॉय/गर्ल या भूल न जाना सिल्वेनिया लक्ष्मण ही लाना...ये कुछ ऐसी पंचलाइन हैं जो आज भी हमारे जेहन में जिंदा हैं. इन्होंने ब्रांड्स को हमारे बीच में पहुंचाया और बताया कि किस तरह से प्रचार के माध्यम से चीजों को दिलोदिमाग के करीब लाया जा सकता है. हालांकि शुरू में जमाना प्रिंट एड्स का ही था. जैसे ही टीवी पर विज्ञापन आने लगे दुनिया ही बदल गई. विज्ञापन ही ऐसी दुनिया रही है, जहां अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए सबसे ज्यादा क्रिएटिविटी का इस्तेमाल किया जाता है.

पीयूष पांडेय, प्रह्लाद कक्कड़, प्रसून जोशी और आर बाल्की जैसे एड गुरु ने यादगार विज्ञापनों की भरमार दी है. चाहे यह व्हाट एन आइडिया सरजी हो या फिर फेविकोल का जोड़ टूटेगा नहीं. कुछ समय तक मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने वाले विज्ञापन आज संदेश भी दे रहे हैं. चाहे जागो रे हो या फिर क्रॉम्प्टन ग्रीव्स का हवा बदलेगी विज्ञापन. आइए पिछले सात दशकों के साथ यादगार विज्ञापनों पर नजर डालते हैः

हमारा बजाज
बजाज स्कूटर का विज्ञापन आज भी हमारे जेहन में ताजा है, और यह हमें उस दौर में ले जाता है जब बड़ी गाड़ियां नहीं हुआ करती थीं. सड़कों परभीड़ भी नहीं होती थी. होता था तो हमारा बजाज और सरकारी वाहन. 1980 के दशक में यह विज्ञापन और स्कूटर मध्यवर्गीय भारत के जीवन का अहम हिस्सा बन गया.

आई लव यू रसना
1990 के दशक में एक प्यारी-सी बच्ची का आना और एक कोल्ड ड्रिंक को लेकर बहुत प्यार से कहना, वाकई मजेदार था. इस विज्ञापन ने रसना को बच्चों के बीच लोकप्रिय बना दिया, और एक घर-घर पहचाने जाने वाले कोल्ड ड्रिंक के तौर पर स्थापित कर दिया.

यह दिल मांगे मोर
इस पंच लाइन को अनुजा चौहान ने 1998 में दिया था. अनुजा जोया फैक्टर जैसी किताब भी लिख चुकी हैं. पेप्सी के इस विज्ञापन को प्रह्लाद कक्कड़ ने डायरेक्ट किया. इस विज्ञापन में सचिन तेंडुलकर, शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन नजर आ चुके हैं. इस पंच लाइन का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर होता देखा जा सकता है.

मिले सुर मेरा तुम्हारा
1988 में पीयूष पांडेय का यह लिखा गाना देख को एक सूत्र में पिरोने वाला साबित हुआ. इस गाने को कंपोज करने वालों में भीमसेन जोशी थे, और जब विभिन्न क्षेत्रों के चेहरे जैसे क्रिकेट से लेकर फिल्म जगत तक इसमें नजर आए तो यह सॉन्ग सब की जुबान पर चढ़ गया. 

ठंडा मतलब कोका कोला
जब आमिर खान स्क्रीन पर कहते, ठंडा मतलब कोका कोला तो निगाहें उन पर टिक जातीं. 2000 के दशक में आमिर खान का यह विज्ञापन न सिर्फ सब की जुबान पर चढ़ गया बल्कि उन्होंने कोका कोला को घर-घर में फेमस ब्रांड बना डाला. इस विज्ञापन को प्रसून जोशी ने लिखा और आशुतोष गोवारिकर ने डायरेक्ट किया था.

वोडाफोन जू जू
इंडियन प्रीमियर लीग के सीजन-2 में वोडाफोन के एड के साथ जू जू ने दस्तक दी और ये प्यारे से क्रिएचर हरदिलअजीज हो गए. इनके साथ ऐसा कनेक्शन जुड़ा कि आइपीएल के हर सीजन में ये नए ढंग से आते हैं और नए-नए काम करते हैं ताकि वे दर्शकों और ग्राहकों दोनों आकर्षित कर सकें.

हर इक फ्रेंड जरूरी होता है
2011 में ब्रांड के साथ युवा ग्राहकों को जोड़ने के लिए कंपनी ने इस कैंपेन की शुरूआत की. इस कैंपेन ने एयरटेल ब्रांड को युवाओं में न सिर्फ पॉपुलर बनाने का काम किया बल्कि विज्ञापनों में युवाओं के इस कॉन्सेप्ट को गहरे तक जोड़ने का काम किया. इस एड का कॉन्सेप्ट एग्नेलो डियाज का था.

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