राजस्थान के 33 जिले में फ्लोराइड युक्त पानी.
भरतपुर:
राजस्थान के 33 जिलों के लाखों लोग फ्लोराइड वाला पानी पीने से बीमार पड़ रहे हैं. राजस्थान सरकार जहां इन ग्रामीणों को पीने का साफ पानी नहीं मुहैया करा पा रही है, वहीं प्राइवेट पानी माफिया सरकार की इस नाकामी का फायदा लाखों रुपये महीना कमा कर उठा रहे हैं. चुनाव के डोल नगाड़े और बड़ी गाड़ियों का कारवां गुजरने के बाद भरतपुर के पूंठ गांव की बदरंग तस्वीर दिखने लगी है. भरतपुर के करीब छह लाख लोगों में से एक ये लोग भी हैं, जो फ्लोराइड वाला पानी पीकर बीमार पड़ रहे हैं.
इस गांव में राजस्थान सरकार की डिफ्लोराइडेशन की योजना तीन साल से खराब पड़ी है और शहरों का पानी माफिया पाइप की शक्ल में गांव के इन घरों में दाखिल हो चुका है. ये पानी माफिया हर महीना 200 रुपये भी लेता है और गरीबों को बीमार भी दे रहा है. राजस्थान सरकार ने अपने RO को ठीक करने के बजाए अमृत योजना के तहत करीब तीन हजार गांवों में कई पानी कंपनियों के प्राइवेट RO यहां लगवा दिए हैं, जिससे जो पानी खरीद सकता है वो चार रुपये में 10 लीटर पानी खरीदता है.
इस गांव से करीब तीस किलोमीटर दूर हम नदबई के करीली गांव पहुंचे. यहां गरीब बस्ती में इतना बड़ा RO का प्लांट लगाया गया, लेकिन महीने भर चलने के बाद अब ये कबाड़ की शक्ल में हमारे सामने है. इस RO को तीन साल पहले राजस्थान अभियात्रिकी विभाग ने लाखों रुपये खर्च करके लगवाया था, लेकिन इसके अंदर की ये हालत देखिए लगने के कितने दिन बाद तक चला. ग्रामीण बोल रहे हैं साहब केवल तीन महीने चला फिर नहीं चला. ग्रामीणों ने कहा कि यह RO कबाड़ बन गया है और इसके बोरिंग पर दबंगों का कब्जा हो गया है.
गरीबों की इस बस्ती में न सड़क है और न पीने का पानी. लिहाजा ये लोग दूर से फ्लोराइडयुक्त पानी लाकर पीते हैं. हमने पानी की इस समस्या पर तीन बार यहां की विधायक और मंत्री रही कृष्णेंद्र कौर दीपा से पूछा तो उन्होंने करोड़ों की योजना लाने का दावा किया. नदबई विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी कृष्णेंद्र कौर दीपा ने कहा, 'देखिए मैं जब MP थी तो तंबल के पानी को इस क्षेत्र में लेकर आई थी, लेकिन कुम्हेर डीग ज्यादा प्रभावित इलाके थे तो वहां पानी चला गया अब नदबई में भी लाऊंगी.'
VIDEO: राजस्थान के भरतपुर में कैसे फैला 'प्राइवेट पानी माफिया' का जाल ?
साफ पानी पहुंचाने में सरकार जरूर नाकाम रही है, लेकिन हमारी नहरों और भूमिगत पानी निकालकर पानी माफिया लाखों कमा रहा है. इस सियासी लड़ाई में कोई नेता जीतेगा ही, लेकिन यहां का गरीब किसान मीठा पानी पाने की जंग हारता दिख रहा है.
इस गांव में राजस्थान सरकार की डिफ्लोराइडेशन की योजना तीन साल से खराब पड़ी है और शहरों का पानी माफिया पाइप की शक्ल में गांव के इन घरों में दाखिल हो चुका है. ये पानी माफिया हर महीना 200 रुपये भी लेता है और गरीबों को बीमार भी दे रहा है. राजस्थान सरकार ने अपने RO को ठीक करने के बजाए अमृत योजना के तहत करीब तीन हजार गांवों में कई पानी कंपनियों के प्राइवेट RO यहां लगवा दिए हैं, जिससे जो पानी खरीद सकता है वो चार रुपये में 10 लीटर पानी खरीदता है.
इस गांव से करीब तीस किलोमीटर दूर हम नदबई के करीली गांव पहुंचे. यहां गरीब बस्ती में इतना बड़ा RO का प्लांट लगाया गया, लेकिन महीने भर चलने के बाद अब ये कबाड़ की शक्ल में हमारे सामने है. इस RO को तीन साल पहले राजस्थान अभियात्रिकी विभाग ने लाखों रुपये खर्च करके लगवाया था, लेकिन इसके अंदर की ये हालत देखिए लगने के कितने दिन बाद तक चला. ग्रामीण बोल रहे हैं साहब केवल तीन महीने चला फिर नहीं चला. ग्रामीणों ने कहा कि यह RO कबाड़ बन गया है और इसके बोरिंग पर दबंगों का कब्जा हो गया है.
गरीबों की इस बस्ती में न सड़क है और न पीने का पानी. लिहाजा ये लोग दूर से फ्लोराइडयुक्त पानी लाकर पीते हैं. हमने पानी की इस समस्या पर तीन बार यहां की विधायक और मंत्री रही कृष्णेंद्र कौर दीपा से पूछा तो उन्होंने करोड़ों की योजना लाने का दावा किया. नदबई विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी कृष्णेंद्र कौर दीपा ने कहा, 'देखिए मैं जब MP थी तो तंबल के पानी को इस क्षेत्र में लेकर आई थी, लेकिन कुम्हेर डीग ज्यादा प्रभावित इलाके थे तो वहां पानी चला गया अब नदबई में भी लाऊंगी.'
VIDEO: राजस्थान के भरतपुर में कैसे फैला 'प्राइवेट पानी माफिया' का जाल ?
साफ पानी पहुंचाने में सरकार जरूर नाकाम रही है, लेकिन हमारी नहरों और भूमिगत पानी निकालकर पानी माफिया लाखों कमा रहा है. इस सियासी लड़ाई में कोई नेता जीतेगा ही, लेकिन यहां का गरीब किसान मीठा पानी पाने की जंग हारता दिख रहा है.
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