मध्य प्रदेश चुनाव: 58 साल तक BJP में रहे, अब कांग्रेसी होकर बन रहे विधानसभा अध्यक्ष के लिए 'खतरे की घंटी'

मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को होने वाले चुनाव से ठीक पहले होशंगाबादा विधानसभा सीट से भाजपा के लिए उनके ही 'पराए' हुए सरताज सिंह ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

मध्य प्रदेश चुनाव: 58 साल तक BJP में रहे, अब कांग्रेसी होकर बन रहे विधानसभा अध्यक्ष के लिए 'खतरे की घंटी'

सरताज सिंह (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 (Madhya Pradesh Assembly Election) का बिगुल बज चुका है और सभी पार्टियां जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को होने वाले चुनाव से ठीक पहले होशंगाबादा विधानसभा सीट से भाजपा के लिए उनके ही 'पराए' हुए सरताज सिंह ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह (Sartaj Singh) को जब बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया तो ऐसे वक्त में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम, बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोल दिया. दरअसल, होशंगाबाद सीट पर कांग्रेस के सरताज सिंह और बीजेपी के सीतासरन शर्मा के बीच मुकाबला है.

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होशंगाबाद से सरताज के लिए बैटिंग करना आसान है, क्योंकि इस पीच पर और नई टीम से पहली बार वह बैटिंग करने उतरे हैं. इसलिए वह सीतासरन शर्मा की नाकामियों को प्रमुखता से उजागर कर सकते हैं और बीजेपी की कमियों को भी लोगों को दिखा सकते हैं. मगर वहीं यहां पर सीतासरन शर्मा के लिए बीजेपी का बचाव करना चुनौती होगी. क्योंकि इस सीट पर पहले भी बीजेपी की ओर से सीतासरन शर्मा ही थे. 

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दरअसल, होशंगाबाद को ब्राह्मण बाहुल्य सीट माना जाता है. यहां दो लाख से अधिक मतदाताओं की संख्या है, जिनमें ब्राह्मणों की संख्या करीब 65 हजार के पास है. वहीं दूसरे नंबर पर यहां कुर्मी जाति का दबदबा है, जिनकी संख्या 50 हजार है. इसके अलावा, पिछड़ी जातियों की संख्या करीब 40 हजार के पास है. यह सीट सीतासरन शर्मा के लिए आसान इस बार इसलिए भी नहीं है क्योंकि यहां से बीजेपी के ही पुराने नेता सरताज सिंह चुनावी मैदान में कांग्रेस की ओर से बैटिंग कर रहे हैं. 

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अगर दोनों उम्मीदवारों की कमजोरियों और मजबूती की बात करें तो कहीं न कहीं सरताज सिंह बीजेपी के मुकाबले ज्यादा मजबूत नजर आते हैं. क्योंकि सरताज सिंह 52 साल तक बीजेपी में रहे, मगर इस बार टिकट न मिलने पर कांग्रेस की ओर से लड़ रहे हैं. सरताज सिंह विधायक रहे हैं और सांसद भी. इतना ही नहीं, वह अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि, उनकी बढ़ती उम्र इस जंग में कमजोर कड़ी है. 

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वहीं, सीतासरन की मजबूती है कि इस क्षेत्र में जनता उनपर और उनके परिवार पर भरोसा करती रही है. मोदी सरकार और शिवराज सरकार की चमक उनकी मजबूती हो सकती है. हालांकि, परिवारवाद उनकी कमजोर कड़ी है. 

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बता दें कि बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद सरताज सिंह ने कहा था कि ‘मैं कांग्रेस का आभारी हूं कि उसने मुझे होशंगाबाद सीट से टिकट दिया है. मैं 58 साल तक भाजपा में रहा, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने मुझे इस बार टिकट नहीं दिया. मैं जनता के बीच रहकर उसकी और सेवा करना चाहता हूं, इसलिए चुनाव लड़ रहा हूं.' उन्होंने कहा, ‘मैं अपने घर में बैठकर माला नहीं जपना चाहता हूं. मैं लोगों की सेवा करना चाहता हूं.' भाजपा के सिख चेहरे रहे सरताज सिंह मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की सिवनी-मालवा से दो बार विधायक बने. वर्तमान में वह इस सीट से विधायक हैं और इस सीट से टिकट मांग रहे थे.


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