उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य में गठबंधन सरकार बनने के संकेत दिए हैं.
नई दिल्ली:
उत्तराखंड में वोटों की गिनती से पहले जहां बीजेपी भारी जीत के दावे कर रही है वहीं राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य में गठबंधन सरकार के संकेत दिए हैं. रावत ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि वे बहुत सारे निर्दलियों के ‘कायल’ हैं और अगर उन्हें पूर्ण बहुमत मिल भी गया तो वह उन्हें साथ लेना चाहेंगे.
वोटिंग से ठीक एक दिन पहले हरीश रावत पत्रकारों के आगे अपनी जीत और एक्ज़िट पोल के नतीजों की हार की भविष्यवाणी करते हैं. उन्होंने कहा ‘प्लान बी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.’ लेकिन एक्ज़िट पोल के नतीजे कांग्रेस के लिए निराशाजनक हैं और हर राजनेता की तरह हरीश रावत भी उत्तराखंड में एक्ज़िट पोल के नतीजे मानने को तैयार नहीं. रावत यह संकेत भी दे रहे हैं कि निर्दलियों से उनकी बात हो चुकी है और अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला को कांग्रेस बाहर से मदद लेकर सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी.
“हमको आवश्यकता हो या न हो... मैं कह रहा हूं कि मैं 36 का आंकड़ा पार करूंगा इसका मुझे भरोसा है लेकिन इसके बावजूद भी अगर कोई सही आदमी है, और वह निर्दलीय लड़कर जीत कर आ रहा है तो मैं उसे साथ लेना चाहूंगा. यह मैंने चुनाव से पहले ही कह दिया था. मैं कुछ लोगों का कायल हूं और यदि कल उनका साथ चाहूंगा चाहे संख्या के हिसाब से ज़रूरत हो या न हो.”
उत्तराखंड विधानसभा में हमेशा करीबी मुकाबलों का इतिहास रहा है 2012 में कांग्रेस को 32 सीटें मिलीं तो बीजेपी को 31 सीटें .. अन्य और निर्दलीय 7 सीटें लाए. इससे पहले 2007 में सरकार बनाने वाली बीजेपी 34 सीटें लाई और कांग्रेस को 21 सीटें, 2007 में अन्य या निर्दलीय के पास 14 सीटें थी. ऐसे में दोनों पार्टियां जानती हैं कि छोटी पार्टियों और निर्दलियों की अहमियत क्या है.
हालांकि एक्ज़िट पोल नतीजों के बाद बीजेपी नेता कह रहे हैं उनकी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलेगा. बीजेपी के प्रवक्ता और विकासनगर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं, “मोदी लहर को देखते हुए और हमारी पार्टी ने जिस तरह कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार को बेनकाब किया है उसे देखते हुए हमें 50 से अधिक सीटें मिलेंगी.”
उधर हरीश रावत ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में माना कि कुछ सीटों पर टिकट देने में उनसे गड़बड़ी हुई है. “मैं मानता हूं कि कुछ सीटों में हम और मजबूत उम्मीदवार उतार सकते थे.” रावत का इशारा टिहरी और ज्वालापुर जैसी सीटों को लेकर है. जहां उनके मुताबिक पार्टी के लिए ‘दिक्कत’ हो सकती है, लेकिन रावत ने इसकी भरपाई के लिए निर्दलियों के साथ संपर्क शुरू कर दिया है. “राज्य चलाने के लिए हमें एक वृहद सामाजिक गठबंधन करना होगा जो लाइक माइंडेड लोग हैं वो चाहे उत्तराखंड क्रांति दल से हों या निर्दलीय हों या कोई और हो उनका साथ लिया जाना चाहिए. उनको हम रोप इन करेंगे. मैंने पार्टी से भी कहा है कि आज की स्थिति में हम कंजरवेटिव होकर नहीं सोच सकते.”
वोटिंग से ठीक एक दिन पहले हरीश रावत पत्रकारों के आगे अपनी जीत और एक्ज़िट पोल के नतीजों की हार की भविष्यवाणी करते हैं. उन्होंने कहा ‘प्लान बी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.’ लेकिन एक्ज़िट पोल के नतीजे कांग्रेस के लिए निराशाजनक हैं और हर राजनेता की तरह हरीश रावत भी उत्तराखंड में एक्ज़िट पोल के नतीजे मानने को तैयार नहीं. रावत यह संकेत भी दे रहे हैं कि निर्दलियों से उनकी बात हो चुकी है और अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला को कांग्रेस बाहर से मदद लेकर सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी.
“हमको आवश्यकता हो या न हो... मैं कह रहा हूं कि मैं 36 का आंकड़ा पार करूंगा इसका मुझे भरोसा है लेकिन इसके बावजूद भी अगर कोई सही आदमी है, और वह निर्दलीय लड़कर जीत कर आ रहा है तो मैं उसे साथ लेना चाहूंगा. यह मैंने चुनाव से पहले ही कह दिया था. मैं कुछ लोगों का कायल हूं और यदि कल उनका साथ चाहूंगा चाहे संख्या के हिसाब से ज़रूरत हो या न हो.”
उत्तराखंड विधानसभा में हमेशा करीबी मुकाबलों का इतिहास रहा है 2012 में कांग्रेस को 32 सीटें मिलीं तो बीजेपी को 31 सीटें .. अन्य और निर्दलीय 7 सीटें लाए. इससे पहले 2007 में सरकार बनाने वाली बीजेपी 34 सीटें लाई और कांग्रेस को 21 सीटें, 2007 में अन्य या निर्दलीय के पास 14 सीटें थी. ऐसे में दोनों पार्टियां जानती हैं कि छोटी पार्टियों और निर्दलियों की अहमियत क्या है.
हालांकि एक्ज़िट पोल नतीजों के बाद बीजेपी नेता कह रहे हैं उनकी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलेगा. बीजेपी के प्रवक्ता और विकासनगर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं, “मोदी लहर को देखते हुए और हमारी पार्टी ने जिस तरह कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार को बेनकाब किया है उसे देखते हुए हमें 50 से अधिक सीटें मिलेंगी.”
उधर हरीश रावत ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में माना कि कुछ सीटों पर टिकट देने में उनसे गड़बड़ी हुई है. “मैं मानता हूं कि कुछ सीटों में हम और मजबूत उम्मीदवार उतार सकते थे.” रावत का इशारा टिहरी और ज्वालापुर जैसी सीटों को लेकर है. जहां उनके मुताबिक पार्टी के लिए ‘दिक्कत’ हो सकती है, लेकिन रावत ने इसकी भरपाई के लिए निर्दलियों के साथ संपर्क शुरू कर दिया है. “राज्य चलाने के लिए हमें एक वृहद सामाजिक गठबंधन करना होगा जो लाइक माइंडेड लोग हैं वो चाहे उत्तराखंड क्रांति दल से हों या निर्दलीय हों या कोई और हो उनका साथ लिया जाना चाहिए. उनको हम रोप इन करेंगे. मैंने पार्टी से भी कहा है कि आज की स्थिति में हम कंजरवेटिव होकर नहीं सोच सकते.”
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