सपा ने महीनों पहले अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया था.
नई दिल्ली:
यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बारे में दोनों पक्षों से घोषणाएं हो चुकी हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने तीन दिन पहले कहा था कि अगले 48 घंटे में गठबंधन हो जाएगा लेकिन 100 घंटे गुजरने के बाद भी अभी तस्वीर साफ नहीं हो सकी है. माना जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच सीटों की संख्या के साथ कुछ खास सीटों पर दावेदारी के कारण मामला फिलहाल फंसा हुआ है. दरअसल सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों के बीच मोटे तौर पर अभी यह सहमति बन रही है कि पिछले विधानसभा सीटों पर जीती हुई सीटें संबंधित पार्टी को ही दी जाएंगी लेकिन इस शर्त पर लखनऊ कैंट की सीट का मामला फंस गया है.
यह सीट पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी ने जीती थी. पिछले साल वह बीजेपी में शामिल हो गईं. अब कांग्रेस का दावा है कि यह सीट दरअसल उसने जीती थी, इसलिए उसको यह मिलनी चाहिए. इसके चलते समाजवादी पार्टी के समक्ष बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है क्योंकि महीनों पहले ही सपा ने इस सीट पर मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव को उतारने की घोषणा कर दी थी. सपा में घमासान के समाप्त होने के बाद पिता-पुत्र के बीच सुलह होने पर मुलायम सिंह ने 38 प्रत्याशियों की जो नई लिस्ट अखिलेश यादव को सौंपी है, उसमें भी अपर्णा यादव का नाम है.
मौजूदा सियासी परिस्थितियों में अखिलेश भी इस सीट पर पुनर्विचार करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि इस सीट के कांग्रेस के पास जाने से परिवार में फिर से रार उत्पन्न होने की आशंका है. साथ ही परिवार में इसके गलत निहितार्थ भी निकाले जा सकते हैं. इन वजहों से सपा किसी भी सूरत में इस सीट से अपर्णा यादव की उम्मीदवारी पर समझौता नहीं करना चाहती.
गायत्री प्रसाद प्रजापति
इसी तरह अमेठी विधानसभा सीट का मामला भी दोनों पार्टियों के बीच फंस गया है. यह सीट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में पड़ती है. यह क्षेत्र गांधी परिवार का गढ़ माने जाने के कारण कांग्रेस इस सीट पर भी दावेदारी कर रही है. लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी गायत्री प्रसाद प्रजापति ने यह सीट जीती थी और मुलायम सिंह की नई सूची में भी उनका नाम शामिल है. इसके अलावा प्रजापति को मुलायम सिंह का बेहद करीबी माना जाता है और इसी वजह से उनको मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बावजूद अखिलेश को वापस कैबिनेट में लेना पड़ा. अब चूंकि सपा की यह पिछली बार जीती हुई सीट है, इसलिए उसकी दावेदारी है लेकिन कांग्रेस इस सीट को छोड़ने का सपा पर दबाव बना रही है.
सिर्फ इतना ही नहीं गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी की कई विधानसभा सीटों पर दोनों ही पार्टियों की दावेदारी है. इन दोनों संसदीय क्षेत्रों की कुल मिलाकर 10 सीटों में से पिछली बार सपा ने सात जीती थीं. सपा इस बार भी इन्हीं सीटों पर दावेदारी कर रही है लेकिन कांग्रेस इनमें से कुछ ज्यादा सीटें चाह रही है.
यह सीट पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी ने जीती थी. पिछले साल वह बीजेपी में शामिल हो गईं. अब कांग्रेस का दावा है कि यह सीट दरअसल उसने जीती थी, इसलिए उसको यह मिलनी चाहिए. इसके चलते समाजवादी पार्टी के समक्ष बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है क्योंकि महीनों पहले ही सपा ने इस सीट पर मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव को उतारने की घोषणा कर दी थी. सपा में घमासान के समाप्त होने के बाद पिता-पुत्र के बीच सुलह होने पर मुलायम सिंह ने 38 प्रत्याशियों की जो नई लिस्ट अखिलेश यादव को सौंपी है, उसमें भी अपर्णा यादव का नाम है.
मौजूदा सियासी परिस्थितियों में अखिलेश भी इस सीट पर पुनर्विचार करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि इस सीट के कांग्रेस के पास जाने से परिवार में फिर से रार उत्पन्न होने की आशंका है. साथ ही परिवार में इसके गलत निहितार्थ भी निकाले जा सकते हैं. इन वजहों से सपा किसी भी सूरत में इस सीट से अपर्णा यादव की उम्मीदवारी पर समझौता नहीं करना चाहती.
गायत्री प्रसाद प्रजापति
इसी तरह अमेठी विधानसभा सीट का मामला भी दोनों पार्टियों के बीच फंस गया है. यह सीट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में पड़ती है. यह क्षेत्र गांधी परिवार का गढ़ माने जाने के कारण कांग्रेस इस सीट पर भी दावेदारी कर रही है. लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी गायत्री प्रसाद प्रजापति ने यह सीट जीती थी और मुलायम सिंह की नई सूची में भी उनका नाम शामिल है. इसके अलावा प्रजापति को मुलायम सिंह का बेहद करीबी माना जाता है और इसी वजह से उनको मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बावजूद अखिलेश को वापस कैबिनेट में लेना पड़ा. अब चूंकि सपा की यह पिछली बार जीती हुई सीट है, इसलिए उसकी दावेदारी है लेकिन कांग्रेस इस सीट को छोड़ने का सपा पर दबाव बना रही है.
सिर्फ इतना ही नहीं गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी की कई विधानसभा सीटों पर दोनों ही पार्टियों की दावेदारी है. इन दोनों संसदीय क्षेत्रों की कुल मिलाकर 10 सीटों में से पिछली बार सपा ने सात जीती थीं. सपा इस बार भी इन्हीं सीटों पर दावेदारी कर रही है लेकिन कांग्रेस इनमें से कुछ ज्यादा सीटें चाह रही है.
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