बोरघाट (असम):
केंद्र पर दबाव बनाते हुए राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि ईपीएफ पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव वापस लेने तक वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे। असम में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, प्रधानमंत्री ने हाल में अपनी बजट की 'फेयर एंड लवली' योजना में चोरों को काले धन को सफेद करने का अवसर दिया है, लेकिन ईमानदारी से वेतन कमाने वाले वर्ग के जीवन भर की संचय निधि पर कर लगा दिया है।
प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए राहुल ने उन पर चुनावी वादे पूरा नहीं कर लोगों से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया और कहा कि जिन लोगों ने उन्हें वोट दिया वे अब 'रिफंड' चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं इस सरकार पर दबाव बनाना जारी रखूंगा क्योंकि यह ईमानदार कामगार वर्ग की सरकार नहीं है... यह गरीब किसानों, पिछड़े वर्ग, युवकों, महिलाओं, दलितों, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की सरकार नहीं है।'
राहुल ने कहा कि वह वेतनभोगी वर्ग के लिए लड़ते रहेंगे और सरकार पर दबाव बनाए रहेंगे जो उद्योगपतियों के एक चुनिंदा समूह और काला धन रखने वालों के लिए काम करती है। उन्होंने कहा, मैंने मीडिया में कहा और प्रधानमंत्री से भी कहा था कि उनकी ईमानदार संचयन निधि पर कर नहीं लगाएं और इस बारे में कुछ करें। लेकिन बृहस्पतिवार को संसद में अपने एक घंटे के भाषण में इस बारे में उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में इस वर्ष 1 अप्रैल के बाद ईपीएफ निकासी पर 60 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव का विभिन्न राजनीतिक दलों, संगठनों और अन्य वर्गों ने विरोध किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राज्य के दो-दिवसीय दौरे पर हैं और इससे पहले उन्होंने नौगांव से बोरघाट तक छह किलोमीटर की पदयात्रा की।
प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए राहुल ने उन पर चुनावी वादे पूरा नहीं कर लोगों से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया और कहा कि जिन लोगों ने उन्हें वोट दिया वे अब 'रिफंड' चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं इस सरकार पर दबाव बनाना जारी रखूंगा क्योंकि यह ईमानदार कामगार वर्ग की सरकार नहीं है... यह गरीब किसानों, पिछड़े वर्ग, युवकों, महिलाओं, दलितों, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की सरकार नहीं है।'
राहुल ने कहा कि वह वेतनभोगी वर्ग के लिए लड़ते रहेंगे और सरकार पर दबाव बनाए रहेंगे जो उद्योगपतियों के एक चुनिंदा समूह और काला धन रखने वालों के लिए काम करती है। उन्होंने कहा, मैंने मीडिया में कहा और प्रधानमंत्री से भी कहा था कि उनकी ईमानदार संचयन निधि पर कर नहीं लगाएं और इस बारे में कुछ करें। लेकिन बृहस्पतिवार को संसद में अपने एक घंटे के भाषण में इस बारे में उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में इस वर्ष 1 अप्रैल के बाद ईपीएफ निकासी पर 60 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव का विभिन्न राजनीतिक दलों, संगठनों और अन्य वर्गों ने विरोध किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राज्य के दो-दिवसीय दौरे पर हैं और इससे पहले उन्होंने नौगांव से बोरघाट तक छह किलोमीटर की पदयात्रा की।
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