फोटो- असम में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल...
नई दिल्ली:
उन सभी पांच राज्यों में जहां इस और अगले महीने चुनाव होने वाले हैं, इनमें से असम में बीजेपी अपनी बड़ी जीत के लिए सबसे अच्छा मौका देख रही है। दो साल पहले लोकसभा चुनाव के दौरान अपने शक्ति से भरपूर प्रदर्शन के चलते अब पार्टी कांग्रेस से राज्य को हथियाने की उम्मीद भी कर रही है।
ऐतिहासिक आंकड़ों और मौजूदा गठबंधनों के आधार पर भाजपा और उसके सहयोगियों का असम में जीत का 60 फीसदी चांस है। राज्य में कुछ वर्षों से छोटी खिलाड़ी रही भाजपा ने लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी की लहर के चलते असम की 14 संसदीय सीटों में से 7 पर जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस जोकि राज्य में पिछले 15 सालों से सत्तासीन थी, केवल तीन सीटें ही जीत सकी।
बीजेपी की सातों सीटें और 37 प्रतिशत वोट शेयर असम की 126 में से 69 विधानसभा सीटों पर जीत के बराबर है और राज्य में पार्टी के बड़े नेता, जोकि ज्यादातर क्षेत्रीय दलों या कांग्रेस से आए हैं, ने पार्टी से राज्य में सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने के लिए बराबर प्रदर्शन करने का वादा किया है, इनमें असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट शामिल हैं।
असम के करीब 50 लाख चाय श्रमिकों के वोट भी अहम स्थान रखते हैं और बीजेपी को इनका समर्थन बनाए रखने का प्रयास करना होगा। पार्टी को असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ रणनीतिक गठबंधन की भी उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह राज्य में जोरदार कैंपेनिंग कर कांग्रेस पर हमला बोले हुए हैं, जिनमें बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार सरीखे राजनीतिक मुद्दे शामिल हैं।
वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई (81 वर्ष) के सामने इसे सबसे कठिन चुनावी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों में 78 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी केवल पांच ही जीत पाई थी। हालांकि उसकी सहयोगी AGP और BOPF ने क्रमश: 10 और 12 सीटें जीती थीं।
ऐतिहासिक आंकड़ों और मौजूदा गठबंधनों के आधार पर भाजपा और उसके सहयोगियों का असम में जीत का 60 फीसदी चांस है। राज्य में कुछ वर्षों से छोटी खिलाड़ी रही भाजपा ने लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी की लहर के चलते असम की 14 संसदीय सीटों में से 7 पर जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस जोकि राज्य में पिछले 15 सालों से सत्तासीन थी, केवल तीन सीटें ही जीत सकी।
बीजेपी की सातों सीटें और 37 प्रतिशत वोट शेयर असम की 126 में से 69 विधानसभा सीटों पर जीत के बराबर है और राज्य में पार्टी के बड़े नेता, जोकि ज्यादातर क्षेत्रीय दलों या कांग्रेस से आए हैं, ने पार्टी से राज्य में सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने के लिए बराबर प्रदर्शन करने का वादा किया है, इनमें असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट शामिल हैं।
असम के करीब 50 लाख चाय श्रमिकों के वोट भी अहम स्थान रखते हैं और बीजेपी को इनका समर्थन बनाए रखने का प्रयास करना होगा। पार्टी को असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ रणनीतिक गठबंधन की भी उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह राज्य में जोरदार कैंपेनिंग कर कांग्रेस पर हमला बोले हुए हैं, जिनमें बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार सरीखे राजनीतिक मुद्दे शामिल हैं।
वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई (81 वर्ष) के सामने इसे सबसे कठिन चुनावी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों में 78 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी केवल पांच ही जीत पाई थी। हालांकि उसकी सहयोगी AGP और BOPF ने क्रमश: 10 और 12 सीटें जीती थीं।
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