कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज राजस्थान के चूरू में एक रैली में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि बीजेपी साजिश के तहत चोट पहुंचाती है और वह जानबूझकर आग लगाती है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी गुस्सा दिलाती है और हम शांत करते हैं। मैं भाइचारे और प्यार की बात करता हूं और जनता का गुस्सा और दर्द कम करता हूं। अपने भाषण में राहुल ने अपनी दादी की हत्या की भी बात उठाई। राहुल ने कहा कि जैसे दादी और पापा की हत्या की गई वैसे ही उनकी भी एक दिन हत्या कर दी जाएगी।
राहुल ने कहा कि मध्य प्रदेश के भाषण में मैंने अपने दिल की बात कही थी, जिसमें मैंने अपनी मां (सोनिया गांधी) की कहानी बताई थी। जब मैं दिल्ली लौटा तो मां मुझसे कहा कि मेरी कहानी क्यों बताते हो, अपनी बात बताओ, जो मेरा दर्द है, वह मेरा दर्द है। चलो आज फिर मैं अपनी कहानी बताता हूं। अमूमन भाषणों में दिल की बात नहीं होती, विकास की बात होती है या दूसरी बातें होती हैं।
राहुल ने कहा कि बीजेपी के लोग हिन्दू-मुसलमान की लड़ाई करवाते हैं। मैं इसके खिलाफ बोलता हूं। अंदर का कारण आज मैं आपको बताने वाला हूं कि ऐसा क्यों करता हूं?
राहुल ने बताया कि मेरे पापा (राजीव गांधी) हमारे लिए कानून बनाते थे, लेकिन मेरी दादी (इंदिरा गांधी) मुझे इन कानूनों से बचाती थीं। जैसे मुझे पालक अच्छा नहीं लगता था, तो दादी टेबल पर अखबार खोल देती थीं तो मैं पालक उनकी प्लेट में कर देता था।
मेरे दो-तीन दोस्त भी थे। वे मेरी दादी की देखभाल करते थे। एक नाम सतवंत सिंह और दूसरे का बेअंत सिंह। उन्होंने मुझे बैडमिंटन खेलना सिखाया। हमारे बीच काफी अच्छी दोस्ती थे। उनमें मेरा भरोसा था।
एक दिन 1984 में बेअंत सिंह ने मेरे पास आया और मुझसे दो-तीन सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि तुम्हारी दादी कहां सोती है, फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि आपको क्या लगता है कि आपकी दादी की सुरक्षा में कोई कमी तो नहीं है। उसने यह भी कहा कि अगर तुम्हारे ऊपर कभी भी कोई हथगोला फेंके तो तुम्हें इस प्रकार से लेट जाना चाहिए। उस समय मैं 14 साल का था तो समझ नहीं आया था।
सालों बाद मुझे पता चला कि दादी की हत्या से पहले सतवंत सिंह और बेअंत सिंह और दूसरे लोग दिवाली में दादी के ऊपर हथगोला फेंकना चाहते थे। उसके बाद दादी की हत्या हुई। आगे क्या हुआ, सब जानते हैं।
खैर अगले दिन जब मैं उठा तो स्कूल गया तो भूगोल की क्लास चल रही थी। मुझे पढ़ाई अच्छी नहीं लगती थी, मैं बाहर की तरफ देख रहा था। फिर मेरी टीचर के पास एक आदमी आया और उससे बात के बाद टीचर ने कहा कि तुम्हें घर जाना है।
घर गया तो पता चला कि दादी की मौत हो गई है। वो जो दर्द मुझे उस दिन हुआ.... फिर वह दर्द मुझे पापा की मौत पर हुआ। जैसे किसी ने छाती फाड़ दी हो।
राहुल ने कहा कि दादी की मौत की खबर से मेरे पैर कांप रहे थे। जब मैं बहन प्रियंका को स्कूल से लेकर घर गया तो दादी और उनके साथ एक और खून देखकर बहुत दर्द आया। काफी सालों तक मुझे दिल में बेअंत और सतवंत के प्रति बहुत गुस्सा था। मुझे उस गुस्से को समझने के लिए 10 से 15 साल लगे।
जो आज यहां हमारे सिख भाई बैठे हैं, उनमें अब गुस्सा खत्म हो गया। गुस्सा खत्म होने सालों लगते हैं, और चालू करने के लिए मिनट लगता है।
उदाहरण देकर राहुल ने कहा कि मेरे कमरे में कुछ महीने पहले पंजाब के एक एमएलए आए। जाने से पहले वह मुझसे कहता है कि मैं इस बात को मान नहीं सकता कि आज मैं आपके कमरे में बैठा हूं। मैंने जब इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि आप मुझे 20 साल पहले मिले होते तो मैं आपको जान से मार देता, लेकिन आज आपके साथ बैठा हूं और आपको गले लगा सकता हूं।
गुस्सा लोगों में डाला जाता है। इसलिए मैं बीजेपी की राजनीति के खिलाफ हूं। राजनीतिक लाभ के लिए वह लोगों को चोट पहुंचाते हैं।
मैं मुजफ्फरनगर गया था। वहां हिन्दू-मुसलमानों से मिला। उनके दुख में मुझे अपना चेहरा दिखाई दे रहा था। इसलिए मैं ऐसी राजनीति के खिलाफ हूं।
ये लोग मुजफ्फरनगर में आग लगाते हैं, गुजरात में लगाते हैं और कश्मीर में लगाते हैं। हमें इस आग को ठंडा करना पड़ता है, युवाओं का हाथ पकड़ना पड़ता है। आग लगाने से देश का नुकसान होता है।
राहुल बोले, मेरी दादी को मारा, मेरे पापा को मारा और शायद एक दिन मुझे भी मार देंगे... लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
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