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वीक ऑफ पर महिला कर्मचारी को कंपनी ने नौकरी से निकाला, देने पड़ गए 28 लाख रुपये, जानें क्यों?  

एक कंपनी ने महिला कर्मचारी को उसके वीक ऑफ वाले दिन फायर किया तो महिला ने कुछ ऐसा कर दिया.

वीक ऑफ पर महिला कर्मचारी को कंपनी ने नौकरी से निकाला, देने पड़ गए 28 लाख रुपये, जानें क्यों?  
वीक ऑफ पर महिला कर्मचारी को कंपनी किया फायर, हुआ बड़ा नुकसान

ब्रिटेन की एक महिला कर्मचारी को उसके वीक ऑफ (Week Off) वाले दिन निकालने पर कंपनी को उसे कंपनसेशन के रूप में 28 लाख रुपये देने पड़ गए. अचानक कंपनी से निकाले जाने पर महिला की मेंटल हेल्थ बिगड़ गई थी. रोजगार न्यायाधिकरण ने मामले की सुनवाई की और डर्मोलॉजिका (यूके) में काम करने वाली जोआन नील के पक्ष में फैसला सुनाया. न्यायाधिकरण ने कंपनी पर महिला कर्मचारी को मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके बाद महिला को इस कंपनी में दोबारा नौकरी भी मिल गई.

कंपनी ने महिला को चालाकी से किया था बाहर (UK Woman Wins Rs 28 Lakh In Compensation )

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण लंदन के क्रॉयडन स्थित न्यायाधिकरण ने पाया कि बर्खास्तगी से नील का मानसिक स्वास्थ्य 'काफी बिगड़' गया है, जिससे वह पहले से ही जूझ रही थीं. महिला कर्मचारी को अपनी बर्खास्तगी की खबर माइक्रोसॉफ्ट टीम्स मीटिंग के जरिए से मिली थी, जहां उन्हें पूरी प्रक्रिया के बारे में एचआर से सवाल पूछने का कोई अवसर नहीं दिया गया था. न्यायाधीश लिज ऑर्ड ने कहा, 'मीटिंग के लिए महिला को जो शॉर्ट नोटिस मिला था वो भ्रामक था और उन्हें कंपनी से निकाले की कोई खबर नहीं थी. यह मीटिंग नील के वीक ऑफ पर उनके मैनेजर इयान व्हाइट और एक अन्य कार्यकारी अधिकारी के साथ हुई. उन्हें बताया गया कि उन्हें 'दुर्भाग्य से' कंपनी से निकाला जाता है.

लैंगिक भेदभाव का शिकार हुई थी महिला  ( Company Fired Woman On Day Off)
इससे महिला को बड़ा सदमा लगा और उनकी मानसिक स्थिति और बिगड़ने लगी. कोर्ट के दस्तावेजों से पता चला कि नील की नवंबर 2022 में कंपनी से छंटनी हुई थी. जनवरी 2022 से उनकी मेंटल हेल्थ बिगड़ने लगी. उन्हें घर से सप्ताह में दो दिन काम करने की भी अनुमति नहीं थी. इससे निपटने के लिए नील अक्सर अपने सहकर्मियों के सामने रो पड़ती थीं, लेकिन वे छुट्टी नहीं ले सकती थीं, क्योंकि उन्हें हर साल केवल दो दिन का सिक लीव ही मिलती थी. रोजगार न्यायाधिकरण ने कहा कि नील को नौकरी से निकालना अप्रत्यक्ष लैंगिक भेदभाव था, क्योंकि उन्हें उनके काम के घंटों के आधार पर छंटनी के लिए चुना गया था, जो कि अंशकालिक कर्मचारियों के नियमों का उल्लंघन था, क्योंकि महिलाओं के अंशकालिक काम करने की संभावना ज्यादा होती है. गौरतलब है कि एक अन्य कर्मचारी के कंपनी छोड़ने के बाद भी नील को अपनी नौकरी वापस मिल गई.

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