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राजस्थान में खाटू श्याम गई महिला को लगा तगड़ा चूना, चंद मिनटों के लिए टॉयलेट यूज करने पर वसूल लिए 805 रुपये

Overcharge Washrooms: LinkedIn पर वायरल पोस्ट में एक महिला ने बताया कि कैसे इमरजेंसी में भी एक होटल ने वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए मोटी रकम वसूल की.

राजस्थान में खाटू श्याम गई महिला को लगा तगड़ा चूना, चंद मिनटों के लिए टॉयलेट यूज करने पर वसूल लिए 805 रुपये
राजस्थान में होटल टॉयलेट के यूज के लिए चुकाने पड़ गए 805 रुपये, महिला ने सोशल मीडिया पर सुनाई आपबीती

Woman Charged Rs 805 For Using Hotel Washroom: राजस्थान के प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर में दर्शन के दौरान एक महिला और उसके परिवार के साथ हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने सोशल मीडिया पर मानवता को लेकर बहस छेड़ दी है. महिला पत्रकार ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में इस घटना का दर्दनाक विवरण साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे एक होटल ने मात्र कुछ मिनट वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए उनसे 805 रुपये वसूल लिए.

महिला ने सोशल मीडिया पर सुनाई आपबीती (viral LinkedIn post)

महिला ने लिखा कि, वह सुबह 6 बजे परिवार के साथ होटल से निकलीं और 7 बजे मंदिर के सामान्य दर्शन लाइन में खड़ी हो गईं. सब कुछ ठीक चल रहा था जब तक कि उनकी मां को अचानक मिचली, पेट दर्द और उल्टी जैसा महसूस नहीं होने लगा. गंभीर अवस्था में उनकी मां को तुरंत वॉशरूम की जरूरत थी, लेकिन मंदिर परिसर में कोई उचित सुविधा उपलब्ध नहीं थी. अचानक परिवार को पास के एक होटल में भागना पड़ा और वहां रिसेप्शन पर विनती की गई कि बस कुछ मिनट के लिए वॉशरूम इस्तेमाल करने दिया जाए, लेकिन होटल स्टाफ ने बिना किसी सहानुभूति के 805 रुपये की मांग कर दी. तमाम समझाइश के बावजूद होटल वाले ने उनकी स्थिति को अनदेखा कर दिया. आखिरकार मजबूरी में परिवार को 805 रुपये का भुगतान करना पड़ा और इसके बदले में एक रसीद भी ली गई.

लोगों ने दी प्रतिक्रिया (Rajasthan, restroom charges)

महिला ने लिखा, "मानवता? सिर्फ वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए 805 रुपये. एक पवित्र स्थल के पास, जहां हम दया और विश्वास की तलाश में आते हैं, वहां इस तरह का अनुभव बहुत दुखद है." उनकी इस पोस्ट ने लिंक्डइन पर बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं बटोरीं. कई यूजर्स ने महिला के समर्थन में लिखा कि यह सराय अधिनियम 1867 का उल्लंघन है, जो होटल या लॉज को किसी को पीने का पानी और वॉशरूम इस्तेमाल करने से मना करने की इजाजत नहीं देता. वहीं कुछ ने इसे "पूंजीवाद का चरम उदाहरण" करार दिया और चिंता जताई कि कहीं भविष्य में हवा के लिए भी शुल्क न वसूला जाने लगे. 

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