विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jun 19, 2022

मॉनसून के साथ इस पक्षी ने सबसे अलग और खूबसूरत घोंसले बनाना शुरू किया, देखें - VIDEO

इंसानों की तरह बया पक्षी बसाते हैं अपनी बस्ती, मनमुताबिक खूबसूरत घोंसले में ही मादा करती है 'गृह प्रवेश'

Read Time: 6 mins
मॉनसून के साथ इस पक्षी ने सबसे अलग और खूबसूरत घोंसले बनाना शुरू किया, देखें - VIDEO
बरिश का मौसम आने पर बया (Baya weaver) ने अपने खूबसूरत घोंसले बना लिए हैं.
नई दिल्ली:

मॉनसून (Monsoon) आ गया है और बया (Bayaweaver) ने दुनिया के पक्षियों से जुदा अपने अलग किस्म के आशियाने बनाने शुरू कर दिए हैं. उसके लिए यह मौसम घरौंदे (Nest) बनाने और संतति बढ़ाने का है. मानव बस्तियों में तो आप रहते हैं, क्या आपने कभी इस खास पक्षी की बस्ती देखी है? दक्षिण एशिया (South Asia) में पाया जाने वाला हल्के पीले रंग का पक्षी बया मॉनसून के आते ही एक सुंदर बस्ती बसाने में जुट जाता है. बया बुनकर पक्षी (Weaverbird) भी कहलाता है और इसकी यह खासियत इसके घोंसलों में दिखाई देती है. घांस के तिनकों से बनने वाला बया का घोंसला बाकी सभी पक्षियों के घोंसलों से बिल्कुल अलहदा होता है. तिनका-तिनका जोड़कर, उन्हें गूंथकर वह अपने घोंसलों को ऐसा बनाता है कि जिसे देखकर यही लगता है कि किसी बुनकर ने बहुत सब्र और लगन के साथ उसे आकार दिया है. 

भारत में मॉनसून आने के साथ बया ने अपने घोंसले बनाना शुरू कर दिया है. चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट और नेचर फोटोग्राफर अनिल गुलाटी ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें बया के झुंड का कलरव और उसकी कॉलोनी देखी जा सकती है.  

भारत और दक्षिण एशिया में खास तौर पर मॉनसून का आना एक ऐसी घटना है जिसका सभी को इंतजार होता है. ऐसा हो भी क्यों न, मॉनसून ही प्रकृति में बदलाव का वह चरण है जिस पर दुनिया के इस इलाके की अर्थव्यवस्थाएं निर्भर हैं. भारत जैसे देश, जिनकी अर्थव्यवस्था (Economy) खेतीबाड़ी पर ही आधारित है, मॉनसून के बिना तो सहज आर्थिक, सामाजिक और प्राकृतिक चक्र की कल्पना भी नहीं कर सकते. मॉनसून के साथ प्रकृति भी अपने नए रंग-रूप में सामने आती है. इंसान के साथ-साथ पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों की जीवन शैली (Life Style) में भी एक बदलाव आ जाता है. इंसान मॉनसून आते ही जहां अपने घरों के बारिश से बचाव और रखरखाव में जुट जाता है वहीं बया अपने नए-नए आशियाने बनाने में जुट जाता है.    

बया पेड़ की डाल से लटकने वाले खूबसूरत घोंसले बनाता है. यह घोंसले ऊपर से पतले और नीचे से चौड़े और गोल होते हैं. यह घोंसले पेड़ों पर झूलते तो हैं लेकिन यह इतने मजबूत होते हैं कि आंधी चलने पर भी गिरते नहीं हैं. 

बया के घोंसले बनाने का भी एक विशेष सिस्टम है. यह पक्षी अपने घोंसले सिर्फ बबूल या इसी तरह के कांटेदार पेड़ों पर बनाता है. वह नदी, तालाब के किनारे के ऐसे पेड़ों को भी चुनता है जिसकी डालें पानी के ऊपर झूलती हों. वह ऐसा इसलिए करता है ताकि घोंसलों को शत्रुओं से सुरक्षित रखा जा सके. घोंसलों की संरचना ऐसी होती है कि वह उसे मौसम के प्रभावों से बचाए रखती है. घोंसले मादा बया नहीं बनाती बल्कि सिर्फ नर बया ही बनाते हैं. यह घोंसले एक घर की तरह ही होते हैं जिसमें दो कमरों की तरह दो हिस्से होते हैं. ऊपर के पतले हिस्से में आने-जाने का रास्ता होता है और नीचे का चौड़ा हिस्सा अंदर से दो हिस्सों में बंटा होता है. एक हिस्से में नर और मादा रहते हैं. दूसरे हिस्से का उपयोग तब किया जाता है जब मादा अंडे दे दे देती है. अंडों को दूसरे हिस्से में रखा जाता है और उस हिस्से को बंद करके अंडों को सुरक्षित रखा जाता है. मादा उसी हिस्से में जाकर अंडों को सेती है.      

जब नर बया कोई घोंसला बनाता है तो मादा बया उस घोंसले को देखती है और जब वह उससे संतुष्ट होती है तभी उसका वहां 'गृह प्रवेश' होता है. नर बया एक घोंसला बनाने के बाद दूसरा घोंसला बनाने में जुट जाता है और उसमें दूसरी मादा को ले आता है. यह सिलसिला चलता रहता है और फिर पेड़ पर बया के इतने घोंसले हो जाते हैं कि वह एक बस्ती की तरह नजर आने लगते हैं. पक्षियों की इन बस्तियों में एक सुरक्षा तंत्र भी होता है. घोंसलों के आसपास हमेशा एक नर बया मौजूद होता है जो खतरे की आशंका होने पर जोर से आवाज निकालने लगता है और तब उसके बाकी साथी घोंसलों के पास पहुंच जाते हैं.  

बया को बुनकर पक्षी (Weaverbird) या ट्रेलर बर्ड भी कहा जाता है. इसका साइंटिफिक नाम प्लोसियस फिलिपिनस (Ploceus philippinus) है. बया घास के मैदानों, खेतों और नदी तालाबों के आसपास के पेड़ों पर घोंसले बनाते हैं. बया की पांच उप-प्रजातियां हैं. इनमें से फिलिपिनस भारत के अधिकांश हिस्सों में देखी जाती है. बर्मानिकस (Burmanicus) उप प्रजाति पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया के कई देशों में पाया जाता है. दक्षिण-पश्चिम भारत में इस पक्षी की एक उप प्रजाति अधिक गहरे रंग की होती है जिसे त्रावणकोरेंसिस (Travancoreensis) कहा जाता है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
प्राण जाए तो जाए पर टशन न जाए...बाढ़ के पानी में फंसे बाइक सवार का तंबाकू खाते वीडियो वायरल
मॉनसून के साथ इस पक्षी ने सबसे अलग और खूबसूरत घोंसले बनाना शुरू किया, देखें - VIDEO
वापस नहीं मिल रहे उधार दिए पैसे? तो जरूर देखें ये Video, महिला ने बताया पैसे निकलवाने का धांसू तरीका
Next Article
वापस नहीं मिल रहे उधार दिए पैसे? तो जरूर देखें ये Video, महिला ने बताया पैसे निकलवाने का धांसू तरीका
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;