
Dying To Be Me फिल्म का एक दृश्य | फोटो साभार: YouTube/SmitaPop
नीचे जिस वीडियो को हमने खबर में एम्बेड किया हुआ है, वह मात्र 2 मिनट की एक फिल्म है। इस छोटी सी फिल्म में दिखाए जा रहे आंकड़े भारत में महिलाओं की आर्थिक स्थिति के कड़वे सच को सामने रखते हैं। वीडियो के मुताबिक, भारतीय महिलाएं कुल आबादी का आधा हिस्सा हैं। यह आबादी कामकाजी घरों में 70 फीसदी योगदान देती है लेकिन भारत में सैलरी के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो महज 10 फीसदी सैलरी की पाती है। और, केवल 1 प्रतिशत संपत्ति की हकदार होती है।
भारतीय अमेरिकी फिल्ममेकर देव कत्ता द्वारा बनाई गई फिल्म 'Dying To Be Me' को स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज किया गया। फिल्म संदेश देती है महिलाओं की आर्थिक आजादी के बारे में।
फिल्म में महिला का किरदार निभाया है एक्ट्रेस-सिंगर स्मिता ने। वह पढ़ी लिखी, काबिल, शहरी महिला है लेकिन उतनी ही कमजोर और दयनीय हालातों में दिखाई है जितना कि कोई गरीब और बिना पढ़ी लिखी महिला हो...। मगर वह फैसला लेती है.. अपने जीवन को खुद नियंत्रित करने का, और मुक्त होती है पति के उस पिंजरे से जहां उसे कैद करके रखा जाना, जीवन भर के लिए, तय था।
फिल्म कहती है- आजाद जियो और आजाद जीने दो।
भारतीय अमेरिकी फिल्ममेकर देव कत्ता द्वारा बनाई गई फिल्म 'Dying To Be Me' को स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज किया गया। फिल्म संदेश देती है महिलाओं की आर्थिक आजादी के बारे में।
फिल्म में महिला का किरदार निभाया है एक्ट्रेस-सिंगर स्मिता ने। वह पढ़ी लिखी, काबिल, शहरी महिला है लेकिन उतनी ही कमजोर और दयनीय हालातों में दिखाई है जितना कि कोई गरीब और बिना पढ़ी लिखी महिला हो...। मगर वह फैसला लेती है.. अपने जीवन को खुद नियंत्रित करने का, और मुक्त होती है पति के उस पिंजरे से जहां उसे कैद करके रखा जाना, जीवन भर के लिए, तय था।
फिल्म कहती है- आजाद जियो और आजाद जीने दो।
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