विज्ञापन
This Article is From Aug 19, 2015

वाराणसी : जब इंसानों की तरह हुई मुर्गे की अंत्येष्टि, और तेरहवीं...

वाराणसी : जब इंसानों की तरह हुई मुर्गे की अंत्येष्टि, और तेरहवीं...
वाराणसी: तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश में, जहां रिश्ते अपने मायने खोते जा रहे हैं, वाराणसी में एक ऐसे रिश्ते की बानगी दिखाई दी, जो एकबारगी अकल्पनीय लगता है... यह रिश्ता इंसान का इंसान के साथ नहीं, बल्कि उस पक्षी के साथ दिखा, जिसका नाम तक ज़ेहन में आने पर मांसाहारी लोगों के मुंह में पानी भर आता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं एक मुर्गे की, जिसे वाराणसी के कप्सेठी स्थित इसरवार गांव के भोलानाथ पटेल के परिवार ने पाला था। जब 17 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद उस मुर्गे की मौत हुई, तो सारा परिवार गहरे सदमे में इस तरह डूब गया, जैसे कोई किसी अपने के परलोक सिधारने पर महसूस करता है।

यह मुर्गा अपनी पैदाइश से ही भोलानाथ के घर पर रह रहा था, सो, उसका परिवार के लोगों से सगे-संबंधियों जैसा रिश्ता बन गया था। यही वजह है कि उसकी मौत के बाद घर में मातम तो मनाया ही गया, इंसानों की ही तरह उसकी बाकायदा शवयात्रा भी निकाली गई, जिसमें गांव के लोग शामिल हुए।

दिवंगत मुर्गे की चिता मणिकर्णिका घाट पर सजी, जहां उसे अश्रुपूर्ण नेत्रों से अंतिम विदाई दी गई। दाह संस्कार के बाद 13 दिन बीतने पर उसका तेरहवीं संस्कार भी किया गया, जिसके भोज में सैकड़ों लोग शामिल हुए। संस्कार के दौरान मुर्गे की फोटो भी फ्रेम कराकर रखी गई, जिस पर उसके जन्म और मृत्यु की तारीख लिखी हुई थी।
 

मुर्गे के साथ ऐसी मोहब्बत इलाके में चर्चा का विषय बनी रही, लेकिन भोलानाथ के लिए तो वह परिवार के सदस्य की तरह था। जब उनसे मुर्गे के बारे में पूछा गया तो वह अश्रुपूरित आंखों से बोले, "पिता जी मरने से तीन दिन पहले इस मुर्गे को घर में लाए थे और मरते समय कहा था कि जिस प्रकार मेरा दाह संस्कार तुम लोग करोगे, मेरी इच्छा है कि उसी प्रकार इस मुर्गे के मरने पर इसका भी दाह संस्कार किया जाए... उनकी इसी इच्छा का पालन करते हुए परिवार के सभी लोगों ने मुर्गे का विधि-विधान पूर्वक दाह संस्कार किया... पिछले 17 साल में यह मुर्गा घर के सदस्य की तरह हो गया था और आज उसके मरने पर पूरा परिवार शोकाकुल है..."

गांव के प्रधान भी बताते हैं कि यह पूरा परिवार इस मुर्गे को अपने बच्चों की तरह पालता रहा था और जब से उसकी मौत हुई है, सभी दुखी हैं। अपने पिता की निशानी के तौर पर इसका लालन-पालन करने के साथ ही उन्होंने अंतिम संस्कार भी उसी तरह किया, जैसे अपने पिता का किया था।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com