ऑटो चलाने को दुनिया का सबसे अच्छा काम बताते हैं यह ऑटो ड्राइवर.
नई दिल्ली:
दुनिया में अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं. कुछ ऐसे जो अपने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए मन मारकर नौकरी करते हैं और कुछ जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए अच्छी से अच्छी जॉब को ठोकर मार देते हैं. ऐसी ही कहानी है मुंबई के रहने वाले एक ऑटो ड्राइवर की जिन्होंने ऑटो चलाने के लिए हिन्दुस्तान युनिलिवर जैसी कंपनी की नौकरी छोड़ दी और पिछले 40 सालों से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा रहे हैं. इस दौरान उन्हें कभी भी नौकरी छोड़ने का अफसोस नहीं हुआ.
कुछ-कुछ अमिताभ बच्चन की तरह दिखने वाले इस ऑटो ड्राइवर की कहानी 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' नाम के फेसबुक पेज पर साझा की गई है. इस पोस्ट में उनका नाम तो नहीं है पर वह बारे में बताते हुए कह रहे हैं, 'मैं हिन्दुस्तान युनिलिवर में काम करता था. कंपनी या काम में कोई समस्या नहीं थी. लेकिन नौ से पांच की नौकरी मुझे जम नहीं रही थी, मैं उस एकरसता से खुश नहीं था. एक सुबह मैं ऑफिस पहुंचा और नौकरी छोड़ दी.'
वह आगे कहते हैं, 'मुझे नहीं पता था कि इसके बाद मैं क्या करूंगा? लेकिन यह जानता था कि मुझे लोगों से मिलने, फोटोग्राफी और स्केच बनाने का जुनून है. मैं खुद को एक जगह तक सीमित नहीं रखना चाहता था. मैं आज़ाद रहना चाहता था इसलिए कुछ महीनों बाद मैंने यह ऑटो रिक्शा खरीदा.'
ऑटो चलाते हुए नए नए लोगों से मिलने का उनका सिलसिला पिछले 40 सालों से चल रहा है. कई-कई दिन वह लगातार 40 घंटों तक काम करते हैं लेकिन उन्हें इसमें मज़ा आता है. वह कहते हैं कि यह दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी है. वह अपने यात्रियों से बात करते हैं, उनकी तस्वीरें क्लिक करते हैं, लिखते हैं और पेंटिंग भी करते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कुछ-कुछ अमिताभ बच्चन की तरह दिखने वाले इस ऑटो ड्राइवर की कहानी 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' नाम के फेसबुक पेज पर साझा की गई है. इस पोस्ट में उनका नाम तो नहीं है पर वह बारे में बताते हुए कह रहे हैं, 'मैं हिन्दुस्तान युनिलिवर में काम करता था. कंपनी या काम में कोई समस्या नहीं थी. लेकिन नौ से पांच की नौकरी मुझे जम नहीं रही थी, मैं उस एकरसता से खुश नहीं था. एक सुबह मैं ऑफिस पहुंचा और नौकरी छोड़ दी.'
वह आगे कहते हैं, 'मुझे नहीं पता था कि इसके बाद मैं क्या करूंगा? लेकिन यह जानता था कि मुझे लोगों से मिलने, फोटोग्राफी और स्केच बनाने का जुनून है. मैं खुद को एक जगह तक सीमित नहीं रखना चाहता था. मैं आज़ाद रहना चाहता था इसलिए कुछ महीनों बाद मैंने यह ऑटो रिक्शा खरीदा.'
ऑटो चलाते हुए नए नए लोगों से मिलने का उनका सिलसिला पिछले 40 सालों से चल रहा है. कई-कई दिन वह लगातार 40 घंटों तक काम करते हैं लेकिन उन्हें इसमें मज़ा आता है. वह कहते हैं कि यह दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी है. वह अपने यात्रियों से बात करते हैं, उनकी तस्वीरें क्लिक करते हैं, लिखते हैं और पेंटिंग भी करते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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