यह ख़बर 23 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मृत्यु पूर्व बयान को माना आधार, हत्यारे को उम्रकैद

खास बातें

  • एक मरते हुए आदमी के अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के सामने दिए मृत्यु पूर्व बयान को आधार मानते हुए अदालत ने उसके हत्यारे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
New Delhi:

एक मरते हुए आदमी के अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के सामने दिए मृत्युपूर्व बयान को आधार मानते हुए दिल्ली की एक अदालत ने उसके हत्यारे को दोषी ठहराया है। अदालत ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सविता राव ने 37 वर्षीय आरोपी को मृतक लक्ष्मी की हत्या का दोषी ठहराते हुए कहा, मुझे ऐसा कोई कारण नहीं नजर आता, जिससे मृतक के मरने से पहले अभियोजन पक्ष के दो गवाहों को दिए गए उसके वक्तव्य को मृत्युपूर्व बयान न माना जाए। साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में कहा है कि मृत्युपूर्व बयान किसी मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के सामने दिया बयान है। साथ ही एक चिकित्सक को इस बात की पुष्टि करनी होती है कि जिसने बयान दिया है, उसकी मानसिक स्थिति पूरी तरह ठीक है। इसके बावजूद अदालत ने उस व्यक्ति के दो गवाहों के सामने दिए बयान को उसका मृत्युपूर्व बयान माना है। अदालत ने कहा कि उस व्यक्ति ने बार-बार वही बयान दिया और उसमें कहीं कोई अंतर नहीं आया। अदालत के सामने आई यह घटना 2 जुलाई, 2009 की है। इस दिन पूर्वी दिल्ली के खिचड़ीपुर के निवासी और आरोपी छोटे लाल का अपने पड़ोसी लक्ष्मी के साथ एक ऋण को लेकर विवाद हुआ। छोटे लाल ने लक्ष्मी को एक मंदिर में ले जाकर उसकी हत्या की कोशिश की। लक्ष्मी की कुछ देर बाद मौत हो गई। लक्ष्मी ने मरने के पहले अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के सामने इस बारे में बयान दिया।


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