New Delhi:
सचिन तेंदुलकर के महाशतक के इंतजार में उनका पिछली छह पारियों में सैकड़ा नहीं जमा पाना काफी अखर रहा है, लेकिन इससे पहले उनके 22 साल के करियर में कई ऐसे अवसर आए हैं, जब इस मास्टर बल्लेबाज को बीच में शतक के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। टेस्ट में 51 और वनडे में 48 शतक लगाने वाले तेंदुलकर ने टैस्ट मैचों में अपना आखिरी शतक (146 रन) दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में बनाया था और इसके बाद उन्होंने केवल छह पारियां ऐसी खेली हैं, जिनमें वह सैकड़ा नहीं ठोक पाए। वनडे में वह अपने आखिरी शतक के बाद चार पारियों में ही सैकड़े तक नहीं पहुंच पाए। तेंदुलकर इससे पहले भी कुछ अवसरों पर खराब दौर से गुजरे हैं। वह टेस्ट मैचों में कम से कम सात बार लगातार 10 या इससे अधिक पारियों में शतक से वंचित रहे थे। एकदिवसीय मैचों में तो उन्होंने अपने पहले शतक के लिए 79वें मैच की 76वीं पारी तक इंतजार किया था। इसके बाद भी एक समय बीच में उन्होंने 36 और एक बार 29 पारियों तक कोई सैकड़ा नहीं जड़ा था। टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो तेंदुलकर ने अपना पहला शतक 14वीं पारी में जड़ा था। इसके बाद वह नियमित अंतराल में तिहरे अंक तक पहुंचते रहे, लेकिन 1996 में 11 पारियों में वह केवल दो अर्धशतक ही लगा पाए थे। इन पारियों में उनका औसत 24.45 रन प्रति पारी रहा था। इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ 2002 में पोर्ट ऑफ स्पेन में 117 रन बनाने के बाद वह अगली 10 पारियों तक शतक से महरूम रहे। इस पारी में दोहरा शतक नहीं जड़ पाने का गम उनकी अगली 10 पारियों में दिखा, जिनमें उन्होंने 15.11 की औसत से केवल 134 रन बनाए, जिसमें 55 रन की एक पारी भी शामिल है। बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में दिसंबर, 2004 में नाबाद 248 रन बनाकर यह क्रम तोड़ने वाले तेंदुलकर हालांकि 2005 से 2007 तक लगातार 17 पारियों में शतक नहीं जड़ पाए थे। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ दिसंबर, 2005 में दिल्ली में 109 रन की पारी खेलकर सुनील गावस्कर के 34 शतक का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद पाकिस्तान, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लचर प्रदर्शन किया और इस बीच 17 पारियों में केवल दो अर्धशतक जमाए। वर्ष 2003 की तरह 2006 में भी वह आठ टेस्ट मैच में 24.27 की औसत से ही रन बना पाए थे और उस वर्ष उन्होंने कोई शतक नहीं लगाया था। तेंदुलकर ने मई, 2007 में बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव में 101 रन की पारी खेलकर अपना 36वां शतक पूरा किया था, लेकिन 2008 में फिर से 14 पारियों में वह 29.46 की औसत से ही रन बनाए। इस बीच, उनके नाम पर केवल दो अर्धशतक दर्ज रहे। इनमें 1997-98 का दौर कौन भूल सकता है, जब उन्होंने 29 पारियों में कोई शतक नहीं जड़ा था। इस बीच वह दो बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने थे। वर्ष 1997 में वह 39 मैच में 30.97 की औसत से ही रन बना पाए थे। जुलाई, 2002 से जनवरी 2003 तक आठ पारियों में वह केवल दो बार दोहरे अंक में पहुंचे थे, लेकिन 20 की रनसंख्या नहीं छू पाए थे। इसके बाद 2007-08 का भी दौर आया, जब नर्वस नाइंटीज शब्द तेंदुलकर का पर्याय बन गया था। वह इस दौरान 36 पारियों में शतक तक नहीं पहुंचे, लेकिन छह बार 90 रन के पार पहुंचने के बाद आउट हुए। इनमें से तीन अवसरों पर तो वह 99 रन पर पैवेलियन लौटे थे। तेंदुलकर ने 2007 में जो 33 मैच खेले, उनमें उन्होंने एक शतक और 13 अर्धशतक जमाए थे।
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