छिन्दवाड़ा:
एक सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर अपने जूते के खुले फीतों को एक किशोर से बंधवाने की वजह से फिर एक बार विवाद में आए मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कसम खाई है कि अब वह हमेशा बिना फीते के जूते ही पहना करेंगे।
बिसेन ने इस विवाद के बाद रविवार को बातचीत में कहा, ‘वह पुणे से छह जोड़ बिना फीते वाले जूते लेकर आए हैं और हमेशा यही जूते पहनेंगे।’ उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया की ‘फुटेज’ और प्रिंट मीडिया में छपे-चित्रों में जिले के खामरा के एक सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर एक किशोर से अपने जूते की फीते बंधवाते हुए दिखाया गया था, जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया एवं इस कार्यक्रम में उपस्थित केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने यह कहकर उनकी आलोचना की थी कि उन्हें एक आदिवासी छात्र से जूते के फीते नहीं बंधवाने चाहिए थे।
मीडिया और राजनीतिक तौर पर कड़ी आलोचनाओं का सामना कर रहे बिसेन ने इस घटना पर सफाई दी है कि उक्त बालक उनके पारिवार का सदस्य है और उसे व्यक्तिगत देखरेख के लिए उनके साथ रखा गया है।
प्रदेश के सहकारिता मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह किशोर आदिवासी नहीं है, छात्र भी नहीं है और भाजपा से उसका कोई लेनादेना नहीं है, शुभम उर्फ छोटू नामक यह बालक उनके मामा का लड़का है, जो पिछड़े वर्ग से है। उन्होने कहा कि ‘बायपास सर्जरी’ एवं हार्निया की शिकायत के बाद चिकित्सकों ने उन्हें झुकने से मना किया है। मंच पर अपने फीते खुले देखकर वह उन्हें बांधने का प्रयास कर ही रहे थे, जिसे देखकर छोटू उनके पास आया और फीते बांधने में मदद की।
बिसेन ने कहा कि वह अपनी गलती मानते हैं कि सार्वजनिक जीवन में प्रत्येक जनप्रतिनिधि को सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया एवं केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वस्तुस्थिति की जानकारी लिए बिना इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्हें ऐसे जिम्मेदार राजनेताओं से ऐसी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि संबंधित बालक आदिवासी अथवा छात्र नहीं है, उनके परिवार का सदस्य है एवं किसी राजनीतिक दल का सदस्य भी नहीं है। उसकी उम्र अठारह वर्ष है।
बिसेन ने इस विवाद के बाद रविवार को बातचीत में कहा, ‘वह पुणे से छह जोड़ बिना फीते वाले जूते लेकर आए हैं और हमेशा यही जूते पहनेंगे।’ उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया की ‘फुटेज’ और प्रिंट मीडिया में छपे-चित्रों में जिले के खामरा के एक सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर एक किशोर से अपने जूते की फीते बंधवाते हुए दिखाया गया था, जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया एवं इस कार्यक्रम में उपस्थित केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने यह कहकर उनकी आलोचना की थी कि उन्हें एक आदिवासी छात्र से जूते के फीते नहीं बंधवाने चाहिए थे।
मीडिया और राजनीतिक तौर पर कड़ी आलोचनाओं का सामना कर रहे बिसेन ने इस घटना पर सफाई दी है कि उक्त बालक उनके पारिवार का सदस्य है और उसे व्यक्तिगत देखरेख के लिए उनके साथ रखा गया है।
प्रदेश के सहकारिता मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह किशोर आदिवासी नहीं है, छात्र भी नहीं है और भाजपा से उसका कोई लेनादेना नहीं है, शुभम उर्फ छोटू नामक यह बालक उनके मामा का लड़का है, जो पिछड़े वर्ग से है। उन्होने कहा कि ‘बायपास सर्जरी’ एवं हार्निया की शिकायत के बाद चिकित्सकों ने उन्हें झुकने से मना किया है। मंच पर अपने फीते खुले देखकर वह उन्हें बांधने का प्रयास कर ही रहे थे, जिसे देखकर छोटू उनके पास आया और फीते बांधने में मदद की।
बिसेन ने कहा कि वह अपनी गलती मानते हैं कि सार्वजनिक जीवन में प्रत्येक जनप्रतिनिधि को सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया एवं केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वस्तुस्थिति की जानकारी लिए बिना इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्हें ऐसे जिम्मेदार राजनेताओं से ऐसी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि संबंधित बालक आदिवासी अथवा छात्र नहीं है, उनके परिवार का सदस्य है एवं किसी राजनीतिक दल का सदस्य भी नहीं है। उसकी उम्र अठारह वर्ष है।
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Boy Ties Minister's Shoelaces, Gauri Shankar Bisen, MP, मध्य प्रदेश, जूता, फीता बांधना, गौरी शंकर बिसेन