तस्वीर : AFP
रेलमंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार को संसद में अपना दूसरा रेल बजट पेश कर रहे हैं। हर साल फरवरी में भारत की जनता टीवी और अख़बारों के ज़रिए रेलमंत्री की नई घोषणाओं को जानती है और हिसाब लगाती है कि उनके गांव या शहर तक जाने के लिए कितना किराया बढ़ा है, कितना घटा है, कितनी नई ट्रेनें शुरू हुई हैं और किस शहर या राज्य पर रेल मंत्रालय की मेहरबानी नहीं हुई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत उन चुनिंदा देशों में से है जहां एक अलग रेल मंत्रालय है और जहां आम बजट से अलग हटकर रेल बजट पेश किया जाता है।
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पढ़ें - रेल बजट 2016 की ख़ास बातें
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लंबे समय से आलोचक यह बहस करते आए हैं कि देश में रेल बजट को हटाकर उसे मुख्य बजट में ही शामिल कर देना चाहिए। लेकिन इसके जवाब में भारतीय रेलवे को दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक बताकर 1924 में शुरू हुई भारतीय रेल बजट की परंपरा के महत्व को समझाया जाता रहा है। जहां भारत के अलावा, चीन, पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया में अलग से रेल मंत्रालय है, वहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में रेल विभाग, परिवहन मंत्रालय के ही देख-रेख में आता है।
'धार्मिक मामलों' का मंत्रालय
विदेश, रक्षा, वित्त, यह कुछ ऐसे मंत्रालय हैं जो लगभग हर देश में होते हैं लेकिन इसके अलावा राष्ट्र अपनी ज़रूरतों के हिसाब से मंत्रालयों का निर्माण करते हैं। जिस तरह भारत की विशाल भौगौलिक स्थिति और उतने ही बड़े रेल नेटवर्क को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान ही रेल मंत्रालय बना दिया गया था, उसी तरह कई देशों में ऐसे विभाग हैं जो भारत में नहीं पाए जाते हैं। जैसे सऊदी अरब में 'धार्मिक मामलों का मंत्रालय' है जो हर साल होने वाली हज यात्रा का आयोजन करता है। बताया जाता है कि फ्रांस में भी एक वक्त 'आराधना/ पूजा' मंत्रालय हुआ करता था, हालांकि बाद में इसे हटा दिया गया।
'पूर्व सैनिकों के मामलों' का मंत्रालय
पिछले दिनों भारत में पूर्व सैनिकों ने 'वन रैंक, वन पेंशन' का मुद्दा उठाया था जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने जवाब दिया था। लेकिन अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, अंगोला जैसे देशों में 'पूर्व सैनिकों के मामलों का मंत्रालय' है जो सेवानिवृत्त सैनिकों से जुड़े मुद्दों को देखता है। वहीं भारत में 20 से भी ज्यादा आधिकारिक भाषाएं होने के बावजूद गृह मंत्रालय के तहत आधिकारिक भाषाओं का एक विभाग है, वहीं कनाडा में 'आधिकारिक भाषाओं' को समर्पित एक मंत्रालय है।
जापान में 'परमाणु आपातकाल में मुस्तैदी' के लिए मंत्रालय है तो बेल्जियम में 'बजट और प्रशासनिक सरलीकरण' के लिए विभाग बनाया गया है। ज़रूरत के मुताबिक सिर्फ देश ही नहीं, राज्य भी अपने मंत्रालय और विभाग का गठन करता है। जैसे साल 2014 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 36 जिलों के लिए ‘संरक्षक मंत्रियों’ की घोषणा की थी। इन मंत्रियों का काम अपने जिले की विकास योजनाओं और उसे जुड़े मामलों पर नज़र रखने का है। वैसे राज्य में किसानों की बढ़ती आत्महत्या के मामले को भी इन मंत्रियों की नियुक्ति की वजह माना जाता है।
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लंबे समय से आलोचक यह बहस करते आए हैं कि देश में रेल बजट को हटाकर उसे मुख्य बजट में ही शामिल कर देना चाहिए। लेकिन इसके जवाब में भारतीय रेलवे को दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक बताकर 1924 में शुरू हुई भारतीय रेल बजट की परंपरा के महत्व को समझाया जाता रहा है। जहां भारत के अलावा, चीन, पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया में अलग से रेल मंत्रालय है, वहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में रेल विभाग, परिवहन मंत्रालय के ही देख-रेख में आता है।
'धार्मिक मामलों' का मंत्रालय
विदेश, रक्षा, वित्त, यह कुछ ऐसे मंत्रालय हैं जो लगभग हर देश में होते हैं लेकिन इसके अलावा राष्ट्र अपनी ज़रूरतों के हिसाब से मंत्रालयों का निर्माण करते हैं। जिस तरह भारत की विशाल भौगौलिक स्थिति और उतने ही बड़े रेल नेटवर्क को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान ही रेल मंत्रालय बना दिया गया था, उसी तरह कई देशों में ऐसे विभाग हैं जो भारत में नहीं पाए जाते हैं। जैसे सऊदी अरब में 'धार्मिक मामलों का मंत्रालय' है जो हर साल होने वाली हज यात्रा का आयोजन करता है। बताया जाता है कि फ्रांस में भी एक वक्त 'आराधना/ पूजा' मंत्रालय हुआ करता था, हालांकि बाद में इसे हटा दिया गया।
'पूर्व सैनिकों के मामलों' का मंत्रालय
पिछले दिनों भारत में पूर्व सैनिकों ने 'वन रैंक, वन पेंशन' का मुद्दा उठाया था जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने जवाब दिया था। लेकिन अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, अंगोला जैसे देशों में 'पूर्व सैनिकों के मामलों का मंत्रालय' है जो सेवानिवृत्त सैनिकों से जुड़े मुद्दों को देखता है। वहीं भारत में 20 से भी ज्यादा आधिकारिक भाषाएं होने के बावजूद गृह मंत्रालय के तहत आधिकारिक भाषाओं का एक विभाग है, वहीं कनाडा में 'आधिकारिक भाषाओं' को समर्पित एक मंत्रालय है।
जापान में 'परमाणु आपातकाल में मुस्तैदी' के लिए मंत्रालय है तो बेल्जियम में 'बजट और प्रशासनिक सरलीकरण' के लिए विभाग बनाया गया है। ज़रूरत के मुताबिक सिर्फ देश ही नहीं, राज्य भी अपने मंत्रालय और विभाग का गठन करता है। जैसे साल 2014 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 36 जिलों के लिए ‘संरक्षक मंत्रियों’ की घोषणा की थी। इन मंत्रियों का काम अपने जिले की विकास योजनाओं और उसे जुड़े मामलों पर नज़र रखने का है। वैसे राज्य में किसानों की बढ़ती आत्महत्या के मामले को भी इन मंत्रियों की नियुक्ति की वजह माना जाता है।
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