बेलूर (पश्चिम बंगाल):
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेलूर मठ स्थित रामकृष्ण मठ और मिशन का दौरा काफी भावुक क्षण लेकर आया। इसी मठ ने पूर्व में तीन बार नरेंद्र मोदी की तपस्वी बनने की अपील को नामंजूर कर दिया था।
प्रधानमंत्री मठ में स्वामी विवेकानंद के कक्ष में उनकी पादुकाओं के करीब 15 मिनट तक रहे और ध्यान लगाया। इस कक्ष में स्वामी विवेकानंद से संबंधित सामान रखा गया है।
पीएम मोदी ने मठ के संतों के साथ फोटो खिंचवाएं जहां पृष्ठभूमि में शांति मंत्रों का उच्चारण हो रहा था। मठ में करीब एक घंटे तक रहने के बाद वहां से रवाना होने से पूर्व मोदी ने ब्रह्मानंद, मां शारदा और स्वामी विवेकानंद के मंदिर में प्रार्थना की।
मठ प्रशासन ने उन्हें 'धोती' तथा शॉल भेंट किया और बंगाली मिठाई पायस से बना प्रसाद एवं फल दिए।
मठ के संतों ने प्रधानमंत्री को बेलूर मठ से जुड़े स्मृतिचिन्ह, श्री रामकृष्ण तथा स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं की पुस्तकें भेंट कीं।
उन्होंने मठ परिसर में आमंत्रित करने के लिए मठ प्रशासन का आभार व्यक्त किया। एक युवक के तौर पर मोदी स्वामी विवेकानंद के विचारों से काफी प्रभावित थे और उन्होंने तपस्वी बनने का फैसला कर लिया था। इसी दौरान वह पहली बार बेलूरमठ गए थे। मठ के सहायक सचिव स्वामी सुबीरनंद ने बताया, ...लेकिन हमारे तत्कालीन अध्यक्ष ने उन्हें शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। वह तपस्वी बनने के लिए जरूरी न्यूनतम उम्र से नीचे थे। बाद में मोदी अल्मोड़ा में आरकेएम सेंटर गए और वहां भी उनकी अपील को नामंजूर कर दिया गया।
सुबीरनंद ने बताया, इसके बाद मोदी दो साल के लिए हिमालय चले गए और उसके बाद अपने गांव लौटे और हमारे राजकोट स्थित सेंटर में आना शुरू कर दिया जहां उन्हें स्वामी आत्मास्थानंद का पवि़त्र साथ मिला, जो इस समय आरकेएम के अध्यक्ष हैं। मोदी उनसे आध्यात्मिक निर्देश लेते रहते हैं।
प्रधानमंत्री मठ में स्वामी विवेकानंद के कक्ष में उनकी पादुकाओं के करीब 15 मिनट तक रहे और ध्यान लगाया। इस कक्ष में स्वामी विवेकानंद से संबंधित सामान रखा गया है।
पीएम मोदी ने मठ के संतों के साथ फोटो खिंचवाएं जहां पृष्ठभूमि में शांति मंत्रों का उच्चारण हो रहा था। मठ में करीब एक घंटे तक रहने के बाद वहां से रवाना होने से पूर्व मोदी ने ब्रह्मानंद, मां शारदा और स्वामी विवेकानंद के मंदिर में प्रार्थना की।
मठ प्रशासन ने उन्हें 'धोती' तथा शॉल भेंट किया और बंगाली मिठाई पायस से बना प्रसाद एवं फल दिए।
मठ के संतों ने प्रधानमंत्री को बेलूर मठ से जुड़े स्मृतिचिन्ह, श्री रामकृष्ण तथा स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं की पुस्तकें भेंट कीं।
उन्होंने मठ परिसर में आमंत्रित करने के लिए मठ प्रशासन का आभार व्यक्त किया। एक युवक के तौर पर मोदी स्वामी विवेकानंद के विचारों से काफी प्रभावित थे और उन्होंने तपस्वी बनने का फैसला कर लिया था। इसी दौरान वह पहली बार बेलूरमठ गए थे। मठ के सहायक सचिव स्वामी सुबीरनंद ने बताया, ...लेकिन हमारे तत्कालीन अध्यक्ष ने उन्हें शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। वह तपस्वी बनने के लिए जरूरी न्यूनतम उम्र से नीचे थे। बाद में मोदी अल्मोड़ा में आरकेएम सेंटर गए और वहां भी उनकी अपील को नामंजूर कर दिया गया।
सुबीरनंद ने बताया, इसके बाद मोदी दो साल के लिए हिमालय चले गए और उसके बाद अपने गांव लौटे और हमारे राजकोट स्थित सेंटर में आना शुरू कर दिया जहां उन्हें स्वामी आत्मास्थानंद का पवि़त्र साथ मिला, जो इस समय आरकेएम के अध्यक्ष हैं। मोदी उनसे आध्यात्मिक निर्देश लेते रहते हैं।
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