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This Article is From Jun 26, 2019

पद्मश्री मिलने के बाद नहीं मिल रहा काम, चींटे के अंडे खाने को मजबूर किसान, बकरी के बाड़े में लटकाया अवॉर्ड

अपने हालात के बारे में बात करते हुए दैतारी नायक ने कहा, "पद्मश्री अवॉर्ड ने किसी तरह मेरद मदद नहीं की. पहले मैं दिहाड़ी मजदूरी करता था. मुझे अब लोग कोई काम नहीं दे रहे हैं क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि यह मेरे सम्‍मान के खिलाफ है. अब हम चींटी के अंडे खाकर गुजारा कर रहे हैं."

पद्मश्री मिलने के बाद नहीं मिल रहा काम, चींटे के अंडे खाने को मजबूर किसान, बकरी के बाड़े में लटकाया अवॉर्ड
पद्मश्री अवॉर्ड विजेता दैतारी नायक

आपका आने वाल कल कैसा होगा ये कोई नहीं बता सकता. हो सकता है कि आज आप टॉप पर हों, लेकिन कल जमीन पर पड़े हों. ऐसा ही कुछ आदिवासी किसान दैतारी नायक (Daitari Nayak) के साथ हुआ है. आपको याद दिला दें ओडिशा के क्योंझर जिले के खनिज संपन्न तालबैतरणी गांव के रहने वाले 75 वर्षीय दैतारी वह शख्‍स हैं जिन्‍होंने सिंचाई के लिए 2010 से 2013 के बीच अकेले ही गोनासिका का पहाड़ खोदकर तीन किलोमीटर लंबी नहर बना दी थी. इस नहर से अब 100 एकड़ जमीन की सिंचाई होती है. उनके इस काम के लिए उन्‍हें इसी साल पद्मश्री (Padma Shri) से नवाजा गया था. 

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हालांकि अवॉर्ड जीतना उनकी जिंदगी के किसी काम नहीं आया बल्‍कि उनकी हालत और खराब हो गई. हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स के मुताबिक, नायक को काम मिलना बंद हो गया क्‍योंकि लोगों को लगता है कि इतने बड़े अवॉर्ड ने उन्‍हें बड़ा आदमी बना दिया है. अब किसान की माली हालत इतनी खराब हो गई है कि उनका परिवार जिंदा रहने के लिए चींटी के अंडे खाने को मजबूर है. 

अपने हालात के बारे में बात करते हुए दैतारी नायक ने कहा, "पद्मश्री अवॉर्ड ने किसी तरह मेरद मदद नहीं की. पहले मैं दिहाड़ी मजदूरी करता था. मुझे अब लोग कोई काम नहीं दे रहे हैं क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि यह मेरे सम्‍मान के खिलाफ है. अब हम चींटी के अंडे खाकर गुजारा कर रहे हैं." 

पैसों के लिए तेंदू पत्ते और आम पापड़ बेचने वाले नायक अब अपना अवॉर्ड वापस लौटा देना चाहते हैं क्‍योंकि अब उनके लिए उसकी कोई अहमियत नहीं है. 

उनके मुताबिक, "अब मैं अपना घर चलाने के लिए तेंदू पत्ता और आम पापड़ बेच रहा हूं. मेरे लिए अवॉर्ड ने सारी अहमियत खो दी है. मैं अवॉर्ड वापस लौटाना चाहता हूं ताकि मुझे कोई काम मिल सके." 

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उन्‍हें कुछ साल पहले राज्‍य सरकार की बीजू पक्‍का घर योजना के तहत इंदिरा आवास योजना का एक घर दिया गया था, लेकिन वह भी पूरी तरह से झूठा साबित हुआ. परिणामस्‍वरूप नायक अभी भी अपने पुराने घर में ही रह रहे हैं. उन्‍हें 700 रुपये की वृद्धावस्‍था पेंशन म‍िलती है. 

अपने पिता को किए गए दूसरे वादों के बारे में बात करते हुए उनके बेटे आलेख कहते हैं, "अधिकारियों ने हमसे वादा किया था कि पथरीली नहर को कंक्रीट का बनाया जाएगा. मेरे पिता भी इस बात से मायूस हैं कि वह लोगों को पीने का साफ पानी मुहैया नहीं करा पा रहे हैं." 

हालात से दुखी नायक ने अपने अवॉर्ड को बकरी के गले में टांग दिया है. क्‍योंझार जिले के कलेक्‍टर आशीष ठाकरे का कहना है कि वो नायक की शिकायत को सुनेंगे और उन्‍हें अवॉर्ड वापस नहीं करने के लिए मनाएंगे. 

उम्‍मीद है कि जल्‍द ही दैतारी नायक की शिकायतों का निपटान होगा और फिर से उनकी किस्‍मत चमक उठेगी. 

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