प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:
एक अध्ययन में इस बात का पता चला है कि मुंबई के 31 फीसदी कामकाजी पेशेवर तनाव से ग्रस्त हैं. एक ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श मंच लीब्रेट द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला है कि प्रथम श्रेणी के शहरों में लगभग 60 फीसदी कामकाजी पेशेवर तनाव ग्रस्त हैं.
यह भी पढ़ें : स्मार्टफोन पर चलने वाले ऐप डिप्रेशन के इलाज में कर सकते हैं मदद: अध्ययन
इसमें दिल्ली (27 फीसदी), बेंगलुरु (14 फीसदी), हैदराबाद (11 फीसदी), चेन्नई (10 फीसदी) और कोलकाता (7 फीसदी) शामिल हैं. तंग समय सीमा, लक्ष्य पूरा न कर पाना, दबाव से निपटना, कार्यालय की राजनीति, लंबे समय तक काम करने वाला समय, उदासीन और असंबद्ध प्रबंधकों और काम-जीवन संतुलन कामकाजी पेशेवरों की मुख्य चिंताएं हैं. लीब्रेट के सीईओ और संस्थापक सौरभ अरोड़ा ने कहा, 'लोग तनाव को लेकर अपने परिवार और दोस्तों से बात करने में असहज महसूस करते हैं. हालांकि स्वास्थ्य के नजरिए से यह जरूरी है कि वह अपने अंदर की हताशा और अपनी भावनाओं का इजहार करें.
यह भी पढ़ें : नौकरी खोने का डर, बुरी सेहत को बुलावा
अरोड़ा ने कहा, आपको यह पता लगाना जरूरी है कि आपको क्या परेशान कर रहा है और तनाव का कारण क्या है, जिससे प्रभावी तौर से निपटा जा सके. लंबे समय से जारी तनावर्पूण भावनाएं गंभीर स्वास्थ्य का कारण बन सकती हैं. अध्ययन में पता चला है कि मीडिया और पब्लिक रिलेशन (22 फीसदी), बीपीओ (17 फीसदी), ट्रैवल और टूरिज्म (9 फीसदी) और एडवरटाइजिंग और इवेंट मैनेजमेंट (8 फीसदी) की तुलना में सेल्स और मार्केटिंग क्षेत्र से संबंधित कामकाजी पेशेवर (24 फीसदी) अधिक तनाव ग्रस्त रहते हैं.
VIDEO:डॉक्टर्स ऑन कॉल : डिप्रेशन की पहचान कैसे करें
अध्ययन के लिए, लीब्रेट की टीम ने 10 अक्टूबर 2016 से लेकर 12 महीने की अवधि के दौरान डॉक्टरों के साथ मिलकर एक मंच पर एक लाख से ज्यादा कामकाजी पेशेवरों से बातचीत का विश्लेषण किया.
यह भी पढ़ें : स्मार्टफोन पर चलने वाले ऐप डिप्रेशन के इलाज में कर सकते हैं मदद: अध्ययन
इसमें दिल्ली (27 फीसदी), बेंगलुरु (14 फीसदी), हैदराबाद (11 फीसदी), चेन्नई (10 फीसदी) और कोलकाता (7 फीसदी) शामिल हैं. तंग समय सीमा, लक्ष्य पूरा न कर पाना, दबाव से निपटना, कार्यालय की राजनीति, लंबे समय तक काम करने वाला समय, उदासीन और असंबद्ध प्रबंधकों और काम-जीवन संतुलन कामकाजी पेशेवरों की मुख्य चिंताएं हैं. लीब्रेट के सीईओ और संस्थापक सौरभ अरोड़ा ने कहा, 'लोग तनाव को लेकर अपने परिवार और दोस्तों से बात करने में असहज महसूस करते हैं. हालांकि स्वास्थ्य के नजरिए से यह जरूरी है कि वह अपने अंदर की हताशा और अपनी भावनाओं का इजहार करें.
यह भी पढ़ें : नौकरी खोने का डर, बुरी सेहत को बुलावा
अरोड़ा ने कहा, आपको यह पता लगाना जरूरी है कि आपको क्या परेशान कर रहा है और तनाव का कारण क्या है, जिससे प्रभावी तौर से निपटा जा सके. लंबे समय से जारी तनावर्पूण भावनाएं गंभीर स्वास्थ्य का कारण बन सकती हैं. अध्ययन में पता चला है कि मीडिया और पब्लिक रिलेशन (22 फीसदी), बीपीओ (17 फीसदी), ट्रैवल और टूरिज्म (9 फीसदी) और एडवरटाइजिंग और इवेंट मैनेजमेंट (8 फीसदी) की तुलना में सेल्स और मार्केटिंग क्षेत्र से संबंधित कामकाजी पेशेवर (24 फीसदी) अधिक तनाव ग्रस्त रहते हैं.
VIDEO:डॉक्टर्स ऑन कॉल : डिप्रेशन की पहचान कैसे करें
अध्ययन के लिए, लीब्रेट की टीम ने 10 अक्टूबर 2016 से लेकर 12 महीने की अवधि के दौरान डॉक्टरों के साथ मिलकर एक मंच पर एक लाख से ज्यादा कामकाजी पेशेवरों से बातचीत का विश्लेषण किया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं