नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी के लोग रविवार की रात चांद को कौतुक भरी नजरों से निहारा क्योंकि ऐसा नजारा फिर जल्द मिलने वाला नहीं था। आज की रात का चांद पहले से ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखा।
दर्शकों के लिए ऐसे नजारे का दीदार करना इसलिए सम्भव हुआ क्योंकि पूर्णिमा की तिथि को चांद पूरी तरह गोल और अपनी कक्षा में परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के करीब आ गया। खगोल वैज्ञानिकों ने रविवार के चांद की पृथ्वी से दूरी केवल 357,000 किलोमीटर बताई है जबकि वास्तविक दूरी 384,400 किलोमीटर है।
बुद्ध पूर्णिमा की रात ठीक 9.05 बजे चांद अपनी धुरी पर घूमते हुए पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर आ गया।
विशिष्ट चांद को देखने के लिए कई लोग अपने-अपने घर की छत पर जुट गए तो कुछ लोगों ने बच्चों के साथ आसपास के मैदान में जाकर बड़े चांद को जी भरकर निहारा। बच्चे चमकीले चांद को 'चंदा मामा' कहकर पुकारने लगे।
साइंस पॉपुलराइजेशन एसोसिएशन ऑफ कॉम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स (स्पेस) की सदस्य मिला मित्रा ने रविवार को दिन में कहा था, "चांद पहले से अधिक चमकीला और सामान्य आकार से 14 फीसदी बड़ा दिखेगा क्योंकि उसके पृथ्वी के करीब आने का अनुमान है। ऐसा चांद फिर 2014 के आसपास दिखने की सम्भावना है।"
दर्शकों के लिए ऐसे नजारे का दीदार करना इसलिए सम्भव हुआ क्योंकि पूर्णिमा की तिथि को चांद पूरी तरह गोल और अपनी कक्षा में परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के करीब आ गया। खगोल वैज्ञानिकों ने रविवार के चांद की पृथ्वी से दूरी केवल 357,000 किलोमीटर बताई है जबकि वास्तविक दूरी 384,400 किलोमीटर है।
बुद्ध पूर्णिमा की रात ठीक 9.05 बजे चांद अपनी धुरी पर घूमते हुए पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर आ गया।
विशिष्ट चांद को देखने के लिए कई लोग अपने-अपने घर की छत पर जुट गए तो कुछ लोगों ने बच्चों के साथ आसपास के मैदान में जाकर बड़े चांद को जी भरकर निहारा। बच्चे चमकीले चांद को 'चंदा मामा' कहकर पुकारने लगे।
साइंस पॉपुलराइजेशन एसोसिएशन ऑफ कॉम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स (स्पेस) की सदस्य मिला मित्रा ने रविवार को दिन में कहा था, "चांद पहले से अधिक चमकीला और सामान्य आकार से 14 फीसदी बड़ा दिखेगा क्योंकि उसके पृथ्वी के करीब आने का अनुमान है। ऐसा चांद फिर 2014 के आसपास दिखने की सम्भावना है।"