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This Article is From Aug 07, 2021

मिलिए इस अनोखे पोस्टमास्टर से, 110 साल की बुजुर्ग को पेंशन देने के लिए नदी-पहाड़ पार कर पहुंचता है घर

ये धरती ज़िंदा है क्योंकि मानवता ज़िंदा है. भले ही लोग कहे कि दुनिया में कलयुग आ चुका है, मगर कुछ लोग ऐसे हैं जो मानवता को ज़िंदा रखे हुए हैं. आज आपको मैं एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहा हूं जिनके बारे में जानके के बाद आप भी गर्व महसूस करेंगे.

मिलिए इस अनोखे पोस्टमास्टर से, 110 साल की बुजुर्ग को पेंशन देने के लिए नदी-पहाड़ पार कर पहुंचता है घर
ये धरती ज़िंदा है क्योंकि मानवता ज़िंदा है.

ये धरती ज़िंदा है क्योंकि मानवता ज़िंदा है. भले ही लोग कहे कि दुनिया में कलयुग आ चुका है, मगर कुछ लोग ऐसे हैं जो मानवता को ज़िंदा रखे हुए हैं. आज आपको मैं एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहा हूं जिनके बारे में जानके के बाद आप भी गर्व महसूस करेंगे. ये कहानी है 55 साल के एक पोस्टमास्टर की, जो 110 साल की महिला के लिए पहाड़ और नदी पार कर जाते हैं ताकि उनको समय पर पेंशन मिल सके.

पोस्टमास्टर का नाम एस. क्रिस्टूराजा है. ये तामिलनाडु  के रहने वाले हैं. यहीं इंडिया पोस्ट में वो नौकरी करते हैं. अकेले होने के कारण आस-पास के पोस्ट को स्वयं ही पहुंचाते हैं. ऐसे में 110 साल की बुजुर्ग महिला के लिए नदी-पहाड़ पार कर जाते हैं.

कलेक्टर के वादा के कारण जाते हैं

The New Indian Express की एक खबर के अनुसार, 5 साल पहले यहां के कलेक्टर वी. विष्णु इंजीखुजी एक ट्राइबल गांव गए थे, ये ट्राइबल गांव टाइगर रिजर्व के पास में ही है. यहां कलेक्टर की मुलाक़ात 110 साल की कुट्टीयाम्मल से हुई. कुट्टीयाम्मल ने कलेक्टर साहब से कहा कि उन्हें पेंशन नहीं मिलता है, ऐसे में कलेक्टर साहब ने बुजुर्ग महिला से वादा किया कि उन्हें समय पर पेंशन मिल जाएंगे. गांव से निकलने के बाद कलेक्टर ने लोकल प्रशासन को आदेश दिया कि वह इंडिया पोस्ट ऑफिस के जरिए महिला को हर महीने 1000 रुपये पेंशन के रूप में दे. ऐसे में इसकी जिम्मेदारी पोस्ट मास्टर एस. क्रिस्टूराजा के ऊपर आ गई और वह इसे निभा भी रहे हैं.

ये कहानी बेहद ख़ास हो जाती है. आज के समय में ऐसी कहानी मिलना बेहद ख़ास है. हर महीने के पहले रविवार को पोस्टमास्टर क्रिस्टूराजा एक लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं. रास्ते में उन्हें कलक्कद मंदतुरई टाइगर रिजर्व सेंटर भी मिलता है, इसके अलावा उन्हें नदी और कंकड़ीले पहाड़ों का भी सामना करना पड़ता है. इनकी कहानी जानने के बाद एक सलाम तो बनता है.

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