बेटी की पढ़ाई जारी रखने के लिए टैक्सी ड्राइवर ने कम खाना खाकर किया गुज़ारा.
नई दिल्ली:
माता-पिता अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं कर जाते, इसकी मिसाल हैं मुंबई के एक टैक्सी ड्राइवर. जिन्होंने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन देने के लिए कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ कई कुर्बानियां भी दी. 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' नाम के एक फेसबुक पेज पर यह टैक्सी ड्राइवर अपनी कहानी बता रहे हैं. उन्होंने न केवल लोगों से पैसे उधार लिए बल्कि खाना भी कम कर दिया ताकि बेटी के स्कूल की फीस समय पर जमा कर सकें और उसे पढ़ाई छोड़नी न पड़े.
खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 12 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक और पांच सौ से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. इस पोस्ट में एक टैक्सी ड्राइवर कह रहे हैं, 'लोगों को लगता है कि हम अपने बच्चों को घर पर बैठाकर रखना चाहते हैं, उन्हें पढ़ाना नहीं चाहते. लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसके लिए हमें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हमारा काम ऐसा है कि किसी हफ्ते अच्छी कमाई होती है और किसी हफ्ते बिलकुल भी अच्छी कमाई नहीं होती. एक मौका ऐसा भी आया कि मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि अपनी बेटी के स्कूल का फीस भर सकता. मुझे ख्याल आया कि उसे प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में डाल दूं.'
फिर क्या हुआ? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, 'मैं ऐसा कर नहीं पाया. मैंने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और आज मेरे सामने ऐसी स्थिति है. मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी को कभी यह सब देखना पड़े. मैंने पैसे उधार लिए, अपना खाना कम कर दिया ताकि समय पर बेटी के स्कूल की फीस भर सकूं.'
वह अपनी बेटी के बारे में बताते हैं, 'उसके दोस्त उसकी पुरानी यूनिफॉर्म और जूतों को देखकर हंसते हैं लेकिन वह कभी शिकायत नहीं करती. मुझे लगता है कि मैंने अपनी बेटी को सही परवरिश दी है और एक दिन वह ऐसा काम करेगी जिससे मुझे उस पर गर्व होगा.'
खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 12 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक और पांच सौ से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. इस पोस्ट में एक टैक्सी ड्राइवर कह रहे हैं, 'लोगों को लगता है कि हम अपने बच्चों को घर पर बैठाकर रखना चाहते हैं, उन्हें पढ़ाना नहीं चाहते. लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसके लिए हमें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हमारा काम ऐसा है कि किसी हफ्ते अच्छी कमाई होती है और किसी हफ्ते बिलकुल भी अच्छी कमाई नहीं होती. एक मौका ऐसा भी आया कि मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि अपनी बेटी के स्कूल का फीस भर सकता. मुझे ख्याल आया कि उसे प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में डाल दूं.'
फिर क्या हुआ? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, 'मैं ऐसा कर नहीं पाया. मैंने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और आज मेरे सामने ऐसी स्थिति है. मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी को कभी यह सब देखना पड़े. मैंने पैसे उधार लिए, अपना खाना कम कर दिया ताकि समय पर बेटी के स्कूल की फीस भर सकूं.'
वह अपनी बेटी के बारे में बताते हैं, 'उसके दोस्त उसकी पुरानी यूनिफॉर्म और जूतों को देखकर हंसते हैं लेकिन वह कभी शिकायत नहीं करती. मुझे लगता है कि मैंने अपनी बेटी को सही परवरिश दी है और एक दिन वह ऐसा काम करेगी जिससे मुझे उस पर गर्व होगा.'
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