एक मादा तेंदुए ने मंगलवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nashik) के इगतपुरी (Igatpuri) इलाके में एक झोपड़ी के अंदर चार शावकों को जन्म (Leopardess Gives Birth To 4 Cubs) दिया. नन्हे शावकों के एक वीडियो ने अब सोशल मीडिया (Social Media) पर धमाल मचा दिया है. जन्म देने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है. वन विभाग अब शावक को अलग स्थान पर ले जाने के लिए तेंदुए का इंतजार कर रहा है. वीडियो तेजी से वायरल (Viral Video) हो रहा है.
गणेशराव जोले, वन विभाग अधिकारी ने एएनआई को बताया, 'मादा तेंदुए ने इगतपुरी में एक झोपड़ी के अंदर चार को जन्म दिया. वे सभी सुरक्षित और स्वस्थ हैं. हम तेंदुए के शावक को दूसरी जगह ले जाने का इंतजार कर रहे हैं. शावकों के कारण, हम अब तेंदुए को नहीं पकड़ सकते.'
समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए एक वीडियो में झोपड़ी के अंदर अपने चार शावकों के साथ मां तेंदुए को दिखाया गया है.
देखें Video:
#WATCH Maharashtra: A leopard gave birth to four cubs inside a hut in Igatpuri area of Nashik yesterday. Forest Official says, "all the cubs are healthy and safe." (Video Source: Forest Department) pic.twitter.com/AMA5xXLNHJ
— ANI (@ANI) August 18, 2020
इस वीडियो को 19 अगस्त की सुबह शेयर किया गया था, जिसके अब तक 1.2 लाख व्यूज हो चुके हैं. साथ ही 14 हजार से ज्यादा लाइक्स और 2 हजार से ज्यादा रि-ट्वीट हो चुके हैं. कई ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने कहा कि शावक बहुत प्यारे हैं. जबकि अन्य ने मानव-पशु संघर्ष के बढ़ते उदाहरणों पर चिंता व्यक्त की.
Its good to see that all cubs are healthy and safe but at the same time its quite horrifying to see wild animals giving birth in human establishments... it will increase human animal conflicts...
— Dr. S. Lamba (@S4Shivaa) August 18, 2020
A delight to watch these baby Leopards
— Sumit Singh Rajput (@ImRealSSR20) August 18, 2020
so cute
— Jun No Yao (@logicalTripura) August 18, 2020
रणथंभौर नेशनल पार्क के अनुसार, भारतीय तेंदुआ आईयूसीएन रेड लिस्ट में सूचीबद्ध एक कमजोर प्रजाति है, क्योंकि इसकी आबादी कम है. तेंदुए को शिकारियों ने अपने खाल और शरीर के अन्य हिस्सों के लिए निशाना बनाया है. हालांकि, विशेष रूप से खेती के कारण, निवास स्थान का नुकसान भी उनके लिए खतरा बन गया है. मानव-पशु संघर्ष के बढ़ते उदाहरणों के लिए पर्यावास हानि को भी दोषी ठहराया गया है.
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