
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड कुक के साथ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
शिक्षक से भारत के राष्ट्रपति तक का पद संभालने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की आज (17 अप्रैल) पुण्यतिथि है. देश भर के राजनेताओं के साथ आम लोग भी इस शिक्षाविद् राष्ट्रपति को याद कर रहे हैं. सोशल मीडिया ट्विटर पर लोग उन्हें याद करने के अलावा उनके कहे कथनों को पोस्ट कर रहे हैं. राष्ट्रपति और दो बार उपराष्ट्रपति का पद सुशोभित करने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के वर्ष 1939 से 1948 तक वाइस चांसलर भी रहे. ऐस मौके पर हम आपको पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ी एक किस्सा बता रहे हैं जो शायद आपने पहले नहीं सुनी होगी.
जब माओ के थपथपाए थे गाल...
साल 1957 का वाक्या है. भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन के दौरे पर गए थे. उस वक्त माओ चीन के प्रसिद्ध नेता थे, या यूं कहें कि उस देश की राजनीति इन्हीं के इर्द-गिर्द घुम रही थी. माओ ने राधाकृष्णन को मिलने के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया. राधाकृष्णन कुछ भारतीय अधिकारियों के साथ माओ से मिलने उनके घर चुग नान हाई पहुंचे. यहां माओ उनकी अगवानी के लिए अपने आंगन में खड़े थे. आंगन में दाखिल होते ही दोनों नेताओं ने आपस में हाथ मिलाया. इसके बाद राधाकृष्णन ने माओ के गाल को थपथपा दिए. इस बर्ताव पर माओ के कुछ बोलने से पहले राधाकृष्णन ने ऐसी बात कह दी कि शायद वे चाहकर भी कुछ नहीं कह सके.
गाल थपथपाने के बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने माओ से कहा, 'अध्यक्ष महोदय, परेशान मत होइए. मैंने यही स्टालिन और पोप के साथ भी किया है.'
बताया जाता है कि भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह इस पूरे घटनाक्रम के गवाह हैं. उस दौरान नटवर लाल चीन में ही भारतीय अधिकारी थे.
वेजीटेरियन राधाकृष्णन की थाली में माओ ने डाला मांसाहार खान
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के इसी चीन यात्रा से जुड़ा एक और वाक्या बेहद रोचक है. बताया जाता है कि माओ और राधाकृष्णन एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे. तभी माओ ने खाते-खाते बहुत अपनापन दर्शाने के लिए चॉपस्टिक से अपनी प्लेट से खाने का एक कौर उठा कर राधाकृष्णन की प्लेट में रख दिया. दिलचस्प बात यह है कि माओ को नहीं पता था कि राधाकृष्णन पूरी तरीके से शाकाहारी हैं. माओ के इस प्यार का राधाकृष्णन ने भी सम्मान किया. उन्होंने ऐसा माओ को अहसास नहीं होने दिया कि उन्होंने कोई गलती की है.
राधाकृष्णन की कटी अंगुली देखकर द्रवित हो गए माओ
राधाकृष्णन और माओ से जुड़ा एक और किस्सा बेहद रोचक है. चीन यात्रा पर जाने से पहले राधाकृष्णन कंबोडिया गए थे. यहां उनके साथ गए सहयोगी की गलती के चलते कार के दरवाजे से राधाकृष्णन की अंगुली की हड्डी टूट गई थी. राधाकृष्णन जब चीन पहुंचकर माओ से मिले तो उनकी नजर अंगुली पर गई. उन्होंने पहले तत्काल अपने डॉक्टर को बुलाकर उसका मलहम-पट्टी कराया. इसी दौरान उन्होंने उनसे अंगुली के चोटिल होने की वजह जानी.
इनपुट: बीबीसी
जब माओ के थपथपाए थे गाल...
साल 1957 का वाक्या है. भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन के दौरे पर गए थे. उस वक्त माओ चीन के प्रसिद्ध नेता थे, या यूं कहें कि उस देश की राजनीति इन्हीं के इर्द-गिर्द घुम रही थी. माओ ने राधाकृष्णन को मिलने के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया. राधाकृष्णन कुछ भारतीय अधिकारियों के साथ माओ से मिलने उनके घर चुग नान हाई पहुंचे. यहां माओ उनकी अगवानी के लिए अपने आंगन में खड़े थे. आंगन में दाखिल होते ही दोनों नेताओं ने आपस में हाथ मिलाया. इसके बाद राधाकृष्णन ने माओ के गाल को थपथपा दिए. इस बर्ताव पर माओ के कुछ बोलने से पहले राधाकृष्णन ने ऐसी बात कह दी कि शायद वे चाहकर भी कुछ नहीं कह सके.
गाल थपथपाने के बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने माओ से कहा, 'अध्यक्ष महोदय, परेशान मत होइए. मैंने यही स्टालिन और पोप के साथ भी किया है.'
बताया जाता है कि भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह इस पूरे घटनाक्रम के गवाह हैं. उस दौरान नटवर लाल चीन में ही भारतीय अधिकारी थे.
वेजीटेरियन राधाकृष्णन की थाली में माओ ने डाला मांसाहार खान
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के इसी चीन यात्रा से जुड़ा एक और वाक्या बेहद रोचक है. बताया जाता है कि माओ और राधाकृष्णन एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे. तभी माओ ने खाते-खाते बहुत अपनापन दर्शाने के लिए चॉपस्टिक से अपनी प्लेट से खाने का एक कौर उठा कर राधाकृष्णन की प्लेट में रख दिया. दिलचस्प बात यह है कि माओ को नहीं पता था कि राधाकृष्णन पूरी तरीके से शाकाहारी हैं. माओ के इस प्यार का राधाकृष्णन ने भी सम्मान किया. उन्होंने ऐसा माओ को अहसास नहीं होने दिया कि उन्होंने कोई गलती की है.
राधाकृष्णन की कटी अंगुली देखकर द्रवित हो गए माओ
राधाकृष्णन और माओ से जुड़ा एक और किस्सा बेहद रोचक है. चीन यात्रा पर जाने से पहले राधाकृष्णन कंबोडिया गए थे. यहां उनके साथ गए सहयोगी की गलती के चलते कार के दरवाजे से राधाकृष्णन की अंगुली की हड्डी टूट गई थी. राधाकृष्णन जब चीन पहुंचकर माओ से मिले तो उनकी नजर अंगुली पर गई. उन्होंने पहले तत्काल अपने डॉक्टर को बुलाकर उसका मलहम-पट्टी कराया. इसी दौरान उन्होंने उनसे अंगुली के चोटिल होने की वजह जानी.
इनपुट: बीबीसी
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