New Delhi:
आपको किससे खुशी मिलती है? ऐसा प्रश्न आपसे बार-बार पूछा जाता है। आप स्वयं से पूछें कि आपको कैसे खुशी मिलती है? क्या व्यवसाय संभाल कर ही आप खुश हैं या आप किसी और वजह से खुश होते हैं? क्या कोई और तय करता है कि आप खुश हों कि नहीं? क्या आप विश्वास करते हैं कि आपकी खुशी पहले से तय है और आपके बस के बाहर? कुछ लोगों के लिए धन-दौलत ही सबसे बड़ी खुशी है। कुछ लोगों के लिए यह पंचतारा होटलों के खाने तक सीमित है। कुछ लोगों के हेरोइन आदि मादक पदार्थों के सेवन से खुशी मिलती है और कुछ लोग शराब और जुए को ही खुशी का साधन मानते हैं। कुछ लोगों के लिए अच्छा जीवन साथी, बढ़िया नौकरी, अच्छा बॉस, आज्ञाकारी बच्चे व माता-पिता से पटरी बैठना ही खुशी के पैमाने हो सकते हैं। शराब और नशीले पदार्थों में प्रसन्नता पाना खतरनाक होता है। ऐसे शौक न केवल थोड़े समय के लिए बल्कि दीर्घकालीन रूप से भी नुकसानदायक होते है। 'प्रसन्नता का व्यापार' एक बड़े उद्योग का रूप ले चुका है। कुछ लोग पवित्र महापुरुषों की संगति में आनंद पाते हैं और मुक्ति का उपाय तलाशते हैं यद्यपि भारत जैसे देश में साधु के रूप में छिपे ठगों की भी कमी नहीं है। आप स्वयं ही अपने आपको प्रसन्न कर सकते हैं। प्रसन्नता कोई अपने आप आने वाली चीज नहीं है। इसके लिए आपको लगातार कोशिश करनी होगी। जब आपको दूसरों की खुशी में ही खुशी मिलने लगेगी तो आप खुशी के भीतर छिपा राज जान लेंगे। याद रखें कि खुशी हमेशा किसी वस्तु की इच्छा, प्रशंसा या कुछ करने में नहीं होती। जीवन की छोटी-छोटी बातों में खुशियां तलाशें और मानकर चलें कि आप प्रसन्न हैं। कोई भी अपना मनपसंद काम करके खुशी पा सकता है। यदि आप मनचाहा काम करने जा रहे हों तो आपको सच्ची प्रसन्नता मिलती है। कुछ रचनात्मक कार्य करें, बेकार व्यक्ति कभी भी खुशी नहीं पा सकता। अपनी इच्छाएं सीमित करके अपने साधनों से संतुष्ट रहने में ही सच्ची खुशी छिपी है। जो लोग कुछ नहीं कर सकते उनके पास काम ही नहीं होता। खुशी का एक रहस्य यह भी होता है कि आप अपने हुनर से समाज, परिवार, सहकर्मियों व अपने काम आएं। मेरा अपना अनुभव तो यही है कि जिस दिन मैं कुछ नहीं करता, मुझे बेचैनी महसूस होती है। रिटायरमेंट के बाद भी मैंने अपने आपको लेखन कार्य में व्यस्त कर रखा है। लोग कहते हैं कि मैंने बहुत कड़ी दिनचर्या बना रखी है, लेकिन मेरे लिए यही सबसे बड़ी खुशी है। कई बार तो मुझे लगता है कि हम जो करना चाहते हैं या पाना चाहते हैं, उसके लिए एक जीवन बहुत थोड़ा है। इस संसार में ज्ञान की कमी नहीं है। अपने बारे में अच्छी राय बनाएं और अपनी योग्यता की कद्र करें। आप स्वयं अपनी इज्जत नहीं कर सकते तो दूसरों से भी इसकी उम्मीद न रखें। आप अपने विश्वास से ज्यादा ऊपर नहीं उठ सकते। जितनी आप अपनी इज्जत करेंगे, उसी अनुपात में लोग आपकी इज्जत करेंगे। अपनी ही संगति में रहना सीखें और साथ ही दूसरों को भी नीचा न दिखाएं। मेरा मित्र श्रीराम हमेशा मुझसे अपना दुख बांटता है, चाहे वह मुझे कहीं भी क्यों न मिले। एक दिन एक खुशनुमा शाम बिताने के बाद जब हम घर लौट रहे थे उसने मुझसे कहा कि नरेंद्र घमंडी है, मैंने इस बारे में साफ इनकार किया तो उसने बड़ी निराशा से कहा कि मैंने ध्यान नहीं दिया, वे लोग उसे नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते हैं। मैंने उससे कहा कि तुम जीवन से वही पाते हो, जो जो चाहते हो। मैं लोगों के साथ दोस्ताना व्यवहार करता हूं इसलिए वे भी मेरे साथ ऐसा ही करते हैं। मैंने उसे कहा कि हमें भूलना नहीं चाहिए, भगवान ने हर इंसान को अलग-अलग बनाया है। हर इंसान पर उस माहौल का असर पड़ता है, जिसमें उसका पालन-पोषण होता है।
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