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This Article is From Jun 29, 2011

यह है मोंटेक का महंगाई कंट्रोल फार्मूला

नई दिल्ली: सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में वृद्धि के फैसले का समर्थन करते हुए योजना आयोग ने बुधवार को कहा कि इससे अर्थतंत्र से नकदी सोखने में मदद मिलेगी और दीर्घावधि में इससे मुद्रास्फीति का दबाव भी कम होगा। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा, जैसे हम कीमतों में वृद्धि कर रहे हैं। इससे तंत्र से नकदी निकलेगी। इसका मुद्रास्फीति पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं कि यदि हमने कुछ नहीं किया होता, तो महंगाई नीचे होती। यदि हमने कुछ नहीं किया होता, लेकिन उस स्थिति में छुपी मुद्रास्फीति हम पर असर डाल रही होती। आहलूवालिया ने कहा कि शुल्क कटौती का फैसला राजस्व का कुछ नुकसान उठाते हुए आम आदमी पर ईंधन मूल्य वृद्धि के असर को कम करने का एक सजग फैसला है। सरकार ने पिछले सप्ताह डीजल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर तथा केरोसिन के दाम दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाए थे। इसके अलावा रसोई गैस के दामों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि की गई। इसके अतिरिक्त सरकार ने कच्चे तेल पर 5 प्रतिशत सीमाशुल्क पूरी तरह समाप्त कर पेट्रोलियम पदार्थों पर सीमा शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 फीसद कर दिया। इससे सरकार को सालाना 49,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। डीजल पर उत्पाद शुल्क 4.6 रुपये प्रति लीटर से घटाकर दो रुपये प्रति लीटर कर दिया गया। योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि ईंधन के दामों में वृद्धि से तंत्र से तरलता घटेगी, जिससे महंगाई के आंकड़े नीचे आएंगे। ईंधन कीमत वृद्धि से राजकोषीय घाटे पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर आहलूवालिया ने कहा, सरकार ने कुछ राजस्व नुकसान का अनुमान लगाया है। राजकोषीय घाटा कई बातों पर निर्भर करता है। मुझे भरोसा है कि वित्त मंत्रालय इसे देख रहा है। मुझे लगता है कि जल्द ही वे संसद के सामने वित्तीय स्थिति का मध्यकालिक आकलन पेश करेंगे। उन्होंने आगे कहा, मेरा निजी विचार है कि यदि आगे चलकर भारत को ईंधन कीमतों की वजह से किसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो हमें इसका बोझ आम लोगों पर डालकर तालमेल बैठाना चाहिए, यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम अपनी अर्थव्यवस्था को कमजोर करेंगे। आहलूवालिया ने हालांकि मुद्रास्फीति के नीचे आने के बारे में किसी तरह का अनुमान लगाने से इनकार किया। योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, वित्त मंत्रालय का कहना है कि यदि मानसून सामान्य और कृषि उत्पादन अच्छा रहता है, तो कीमतों का दबाव कम होगा। लेकिन मैं किसी तरह का अनुमान नहीं लगाना चाहता। आहलूवालिया ने देश की सब्सिडी प्रणाली में भी बदलाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि लक्षित सब्सिडी को छोड़कर हम ऐसी प्रणाली का बोझ नहीं उठा सकते जहां ईंधन पर बड़े पैमाने पर सब्सिडी दी जाए। खाद्य सुरक्षा विधेयक के बारे में उन्होंने कहा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग संभवत: इस प्रस्ताव को मंत्री समूह के समक्ष लाएगा। मुझे पता है कि वे इस पर काम कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस विधेयक के लागू होने की समयसीमा पर कुछ नहीं कहने से इनकार किया।

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