
लोकप्रिय पेज 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' (Humans of Bombay) पर साझा की गई एक कहानी ने हजारों लोगों को चौका दिया है. 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के साथ अपने साक्षात्कार में, मुंबई निवासी नितेश जायसवाल (Nitesh Jaiswal) ने अपने माता-पिता की संघर्ष की कहानी सुनाई. उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे उनके "अशिक्षित और अल्पविकसित" माता-पिता ने वित्तीय और सामाजिक दबावों का सामना करने के बावजूद दोनों बच्चों के लिए पढ़ाई के लिए पैसा जुटाने के लिए कड़ी मेहनत की.
जायसवाल ने कहा, 'मेरे माता-पिता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं. जल्दी शादी होने के बाद बेहतर जीवन जीने के लिए वो मुंबई चले आए.' उनके पास अपने जीवन के लिए ही बहुत कम पैसा था, लेकिन उनके पिता जल्द ही एक बिजली कारखाने में नौकरी खोजने में कामयाब रहे. हालांकि, कुछ महीनों के भीतर, वह एक दुर्घटना में तीन उंगलियां खो चुके थे और उन्हें बिना मुआवजे के निकाल दिया गया था.
परिवार की देखभाल करने के लिए उनकी मां ने अपने पति का पालन-पोषण करते हुए विषम नौकरी करना शुरू कर दिया. नितेश जायसवाल कहते हैं, 'लेकिन, मां के परिवार ने पिताजी को छोड़ने के लिए बहुत दबाव बनाया.' उन्होंने कहा, 'तुम्हारी शादी को सिर्फ दो साल हुए हैं. इस विकलांग आदमी को छोड़ने में बहुत देर नहीं हुई है, लेकिन मम्मी ने मना कर दिया.'
उनके माता-पिता ने बच्चों से अपने संघर्षों के बारे में बताया, जिससे वो अच्छे से पढ़ाई कर सकें. उन्होंने कहा, 'उन्होंने मुझे और मेरे भाई को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने के लिए चिल्लरें तक बचाईं. हमारे पास पेट भरने के लिए सिर्फ एक रोटी हुआ करती थी.'
उनका परिवार एक चॉल में किराय पर रहने लगे. लेकिन वहां पड़ोसी उनको ताना मारा करते थे. नितेश जायसवाल ने कहा, 'हमारे पड़ोसी और रिश्तेदार पिताजी को ताना मारते थे और कहते थे, 'तुम भोजन भी नहीं कर सकते, उन्हें एक नगर पालिका स्कूल भेज दो. लेकिन हमने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की. हम सुबह लाइब्रेरी में पढ़ाई करते थे और रात में चिमनी लगाकर पढ़ते थे. हम हर परीक्षा में अच्छे नंबर भी लाते थे.'
कई सालों तक, उनके पड़ोसी परीक्षा के समय लाउड स्पीकर्स पर तेज गाने बजाते थे और उन्हें विचलित करने के लिए आधारहीन झगड़े करते थे. उन्होंने कहा, 'यह और बदतर हो गया, जब उन्हें पता चला कि हम दोनों मेडिकल प्रोफेशन में जाने वाले हैं.'
एन्ट्रेंस एग्जाम से एक दिन पहले उन्होंने पानी के रिसाव के लिए परिवार को दोषी ठहराया. जायसवाल कहते हैं, "उन्होंने हमारे साथ मारपीट की और परिणामस्वरूप हम सभी को जेल में बंद कर दिया गया.' उसे अपनी प्रवेश परीक्षा देनी थी, इसलिए उसने जमानत की भीख मांगी. उसे अंततः सुबह दो बजे छोड़ने की अनुमति दी गई.
उनकी मां ने जमीन खरीदने के लिए पैसे बचाए थे. लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने सारे लगा दिए. उन्होंने सारे पैसे बच्चे की कॉलेज फीस के लिए दे दिए. उन्होंने कहा, 'यह पैसे व्यर्थ नहीं गए. मेरे भाई के पास डेंटल सर्जरी की बैचलर डिग्री है और मैं अभी COVID के लिए एक शोध सहयोगी के रूप में काम कर रहा हूं.'
उन्होंने कहा, 'हम अंत में एक ऐसी जगह पर हैं जहाँ हम अपने परिवार की देखभाल कर सकते हैं- हम अभी भी उसी चॉल में रहते हैं, लेकिन हम एक और फ्लैट खरीदने के लिए बचत कर रहे हैं ताकि हम अंत में यहाँ से जा सकें.'
आखिर में बच्चे कहते हैं, 'यह जरूरी नहीं कि आप कहां से आते हैं. यह जरूरी है कि आप आगे कहां जाते हैं. मेरे माता-पिता ने यह साबित किया है कि दो अशिक्षित, अल्प-शिक्षित माता-पिता कैसे अपने बच्चों को पढ़ाकर बढ़ा आदमी बना सकते हैं.'
उनकी स्टोरी को बहुत पसंद किया जा रहा है. 28 सितंबर को शेयर की गई इस स्टोरी पर अब तक 40 हजार से ज्यादा लाइक्स आ चुके हैं. कई लोगों ने बच्चों की खूब तारीफ की. जबकि अन्य ने माता-पिता की ताकत और संकल्प के लिए सराहना की.
एक यूजर ने लिखा, 'आपके माता-पिता को सम्मान. वो दोनों आप पर काफी गर्व करते होंगे.' वहीं दूसरे ने लिखा, 'आपको और आपके माता-पिता को सलाम, आप ऐसे ही अपने माता-पिता को खुश रखें.'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं