
आईएएस अशोक खेमका की कोर्ट ने एक मामले में वाट्सऐप से भेजे गए समन को दी मान्यता.
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संपत्ति विवाद के एक मामले में एक पक्ष को कोर्ट ने वाट्सऐप से भेजा समन
मामले में एक आरोपी गांव छोड़कर नेपाल में जा बसा है
उसने नेपाल का अपना पता नहीं बताया, जिसपर कोर्ट ने लिया यह फैसला
बताया जा रहा है कि कोर्ट को वाट्सऐप पर समन इसलिए भेजना पड़ा क्योंकि मामले का एक पक्ष अपना गांव छोड़कर नेपाल की राजधानी काठमांडू रहने लगा है.
हरियाणा के हिसार जिले में एक गांव के तीन भाइयों के बीच संपत्ति का विवाद चल रहा है. मामला वित्त आयुक्त की कोर्ट में पहुंचा था. अशोक खेमका की कोर्ट ने 6 अप्रैल को वाट्सऐप के जरिए इस मामले के एक पक्ष को पेशी के लिए समन भेजा था. वह जिस गांव में रहता था, उसे छोड़कर काठमांडू चला गया. पर उसका स्थानीय पता अदालत के पास अपडेट नहीं कराया गया और किसी भी दूसरे पक्ष को इसकी जानकारी भी नहीं थी. सिर्फ मोबाइल फोन नंबर होने की वजह से कोर्ट ने उसे वाट्सऐप के जरिए समन भेजा गया. हालांकि उसने कोर्ट में पेश होने से न सिर्फ इनकार कर दिया बल्कि अपना काठमांडू का पता भी देने से मना कर दिया.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्थानीय पता जरूरी नहीं की हमेशा स्थानीय रहे, लेकिन ईमेल और मोबाइल फोन नंबर इसकी तुलना में ज्यादा स्थायी होते हैं. ऐसे में फोन या ईमेल से भी किसी को समन भेजा जा सकता है.
कोर्ट अब तक समन रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाता है. वाट्सऐप के जरिए समन भेजे जाने के फैसले पर अशोक खेमका ने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस युग में हमें कानूनी प्रक्रिया भी इस ओर ले जाना होगा.
मालूम हो कि अशोक खेमका देश के ईमानदार आईएएस ऑफिसर माने जाते हैं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के कथित जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया था.
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