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This Article is From Mar 18, 2019

‘मेहुल चौकसी’ ने की पीएम नरेंद्र मोदी पर PhD, बताया लोग क्या सोचते हैं प्रधानमंत्री के बारे में

गुजरात (Gujarat) के सूरत (Surat) में एक स्टूडेंट ने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर पीएचडी थीसिस (Phd Thesis) पूरी कर ली है. डॉक्टरेट स्टूडेंट का नाम मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) है.

‘मेहुल चौकसी’ ने की पीएम नरेंद्र मोदी पर PhD, बताया लोग क्या सोचते हैं प्रधानमंत्री के बारे में
‘मेहुल चौकसी’ ने की पीएम नरेंद्र मोदी पर PhD.

गुजरात (Gujarat) के सूरत (Surat) में एक स्टूडेंट ने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर पीएचडी थीसिस (Phd Thesis) पूरी कर ली है. डॉक्टरेट स्टूडेंट का नाम मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) है. खास बात ये है कि पीएनबी घोटाले (PNB Scam) के आरोपी भगोड़े हीरा कारोबारी का भी नाम मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) है. सूरत के छात्र ने नरमद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी (Veer Narmad South Gujarat University) में थीसिस जमा की. उनके रिसर्च थीसिस का नाम 'लीडरशिप अंडर गवर्नमेंट- केस स्टडी ऑफ नरेंद्र मोदी' है. उन्होंने रिसर्च के लिए 450 लोगों का इंटरव्यू किया. जिसमें सरकारी अफसर, किसान, स्टूडेंट और पॉलिटिकल लीडर्स थे. मेहुल (Mehul Choksi) ने इनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की लीडरशिप क्वालिटी से जुड़े सवाल पूछे.

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ANI से बात करते हुए मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) ने कहा- 'मैंने 450 लोगों से 32 सवाल पूछे. उनको जवाबों के मुताबिक, 25 प्रतिशत लोग समझते हैं कि मोदी की स्पीच काफी अपीलिंग होती है. वहीं 48 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मोदी पॉलिटिकल मार्केटिंग में बेस्ट हैं.' आपको बता दें, मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) लॉयर भी हैं. उन्होंने वीर नरमद यूनिवर्सिटी के प्रो. नीलेश जोशी के मार्गदर्शन में पीएचडी (Phd) की है.

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2010 में मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) पीएचडी कर रहे थे. उस वक्त नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गुजरात के मुख्यमंत्री थे. तब मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) ने मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)से जुड़े सवाल पूछे थे, जहां 51 प्रतिशत लोगों ने पॉजीटिव, 34.25 प्रतिशत लोगों ने नेगेटिव फीडबैक दिया था. 46.75 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि पॉपुलेरिटी के लिए लीडर को ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जो जनता के लिए सही हों.

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मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) ने कहा- '81 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति ही प्रधानमंत्री होना चाहिए. 31 प्रतिशत लोगों ने प्रमाणिकता और 34 प्रतिशत लोगों ने पारदर्शिता को अहमियत दी.' प्रोफेसर नीलेश जोशी ने कहा- 'ये टॉपिक काफी इंट्रेस्टिंग था. हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. जब कोई व्यक्ति ऊंचे पद पर हो तो उनके बारे में निष्पक्ष होकर लिखना मुश्किल हो जाता है.' प्रोफेसर ने कहा- 'लोगों तक पहुंचना और उनसे जवाब पूछना भी चुनौती से कम नहीं था.'

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