यह ख़बर 25 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

गूगल-फेसबुक ने 24 साल बाद मिलाया परिवार से!

खास बातें

  • खण्डवा में एक परिवार को नियति ने 24 साल पहले किसी फिल्मी कहानी की तर्ज पर एकदूसरे से अलग कर दिया था, लेकिन इंटरनेट सर्च इंजन ‘गूगल’ और सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ के जरिए उसके सदस्य फिर एक दूसरे से मिल सके हैं।
खण्डवा:

खण्डवा में एक परिवार को नियति ने 24 साल पहले किसी फिल्मी कहानी की तर्ज पर एकदूसरे से अलग कर दिया था, लेकिन इंटरनेट सर्च इंजन ‘गूगल’ और सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ के जरिए उसके सदस्य फिर एक दूसरे से मिल सके हैं।

शेरू जिसका अब नाम ‘शारू ब्राली’ है, लगभग छह साल की उम्र में अपने परिवार से बिछड़ गया था। इन सालों में वह अपने बड़े भाई गुड्डू की तलाश में था, जो अक्सर बुरहानपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को चाय बेचा करता था। शेरू के एक अन्य छोटे भाई कल्लू (सलीम) ने बताया, ‘आज से लगभग चौबीस-पच्चीस साल पहले बुरहानपुर से खण्डवा आते समय ट्रेन में शेरू की नींद लग गई। जब ट्रेन खण्डवा पहुंची तो मैं उतर गया और शेरू उसी में रह गया और कोलकाता पहुंच गया।’ उसने बताया कि शेरू को कोलकाता रेलवे स्टेशन पर भिखारियों के एक गिरोह ने पकड़ लिया और उसे भीख मांगने पर मजबूर कर दिया। कुछ दिनों बाद वह उनके चंगुल से भाग निकला और एक मछुआरा परिवार ने उसे अनाथ बच्चों की ‘नवजीवन’ नामक संस्था के हवाले कर दिया।

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कल्लू ने कहा कि संस्था ने कुछ दिनों बाद शेरू को ऑस्ट्रेलिया के एक युगल को गोद दे दिया, जिसने उसका नाम शारू ब्राली रखा। ऑस्ट्रेलिया में शेरू ने व्यवसाय प्रबंध में स्नातक पढ़ाई की तथा परिवार के कृषि व्यवसाय में हाथ बंटाने लगा।