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This Article is From Mar 13, 2013

क्या प्रेम संबंधों के चलते पकड़ा गया बिट्टी?

क्या प्रेम संबंधों के चलते पकड़ा गया बिट्टी?
कन्नूर: क्या बैंक की एक महिला सहयोगी अधिकारी के साथ प्रेम संबंधों के कारण जर्मन महिला के साथ बलात्कार का आरोपी बिट्टी मोहंती पेरोल से भागने के सात वर्ष बाद फिर पुलिस की गिरफ्त में आया? बिट्टी के पकड़े जाने के संबंध में कुछ इसी तरह की अटकलों का बाजार गर्म है। पुलिस ने भी इस तरह की संभावनाओं से इनकार या इन्हें स्वीकार नहीं किया। पुलिस का कहना है कि यह फिलहाल मामले में चल रही उसकी जांच का हिस्सा नहीं है।

बिट्टी को यहां सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक में नौकरी मिल गई थी और ऐसी खबर है कि उसका अपनी एक महिला सहयोगी के साथ प्रेम संबंध था, जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक द्वारा भर्ती किए गए परीवीक्षा अधिकारियों के उसी बैच की थी।

खबरों के अनुसार शुरू में सब कुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन जब उनका रिश्ता ऐसे मुकाम पर पहुंचा कि दोनो जीवनसाथी बनने के बारे में सोचें, बिट्टी ने अपने कदम पीछे खींच लिए क्योंकि उसे डर था कि ऐसा होने पर उसकी पोल खुल सकती है।

हालांकि लड़की जो बैंक की एक दूसरी शाखा में काम करती थी, बिट्टी से शादी करने की जिद पर अड़ी रही और उसने अपने अभिभावकों को भी इस बारे में सूचित कर दिया। उसके अभिभावको ने भी उसे इस शादी के लिए मना किया, लेकिन वह अपनी बात पर अड़ी रही।

लड़की के अभिभावक बिट्टी के बारे में पूछताछ कर ही रहे थे कि दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना हुई और विभिन्न टेलीविजन चैनलों ने इस घटना के बारे में खबरें दिखाने के दौरान इसी तरह के कुछ और मामलों का जिक्र किया और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों की तस्वीरें दिखाईं। इसी दौरान बिट्टी की तस्वीर भी जर्मन महिला बलात्कार मामले में भगोड़े के तौर पर दिखाई गई। टेलीविजन पर दिखाई गई तस्वीर बिट्टी से मिलती जुलती होने के कारण लड़की के परिजन को उसकी पहचान को लेकर संदेह हुआ। बिट्टी उस समय आंध्र प्रदेश के ‘राघव राजन’ के नाम से यहां रह रहा था। इसके बाद लड़की को भी बिट्टी पर संदेह होने लगा।

इसी दौरान बैंक की शाखा को एक गुमनाम खत मिला, जिसमें कहा गया था कि राघव राजन के नाम से काम करने वाला शख्स दरअसल बिट्टी है, जो 2006 में पैरोल से फरार हो गया था। उसे राजस्थान के अलवर में जर्मन महिला के साथ बलात्कार के मामले में सात साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

बैंक की शाखा ने यह पत्र अपने मुख्यालय को भेज दिया और वहां के अधिकारियों ने इसे पुलिस को सौंप दिया।

इस संबंध में संपर्क करने पर बैंक मुख्यालय के जिम्मेदार सूत्रों ने कहा कि यह सच है कि एक पत्र की वजह से ‘राघव राजन’ की असली पहचान के बारे में संदेह पैदा हुआ, लेकिन वह यह नहीं बता पाए कि वह पत्र किसने लिखा था।

जांच की शुरुआत में ही पुलिस ने कहा था कि एक अज्ञात पत्र से इस मामले में सुराग मिले। हालांकि फिलहाल यह जांच का हिस्सा नहीं है।

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