बांदा:
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भले ही मादक पदार्थों का सेवन न करते हों और इस दुर्व्यसन से सहमत भी न हों पर बुंदेलखण्ड में मादक पदार्थों की पिच पर भी वह अव्वल हैं। चौंकिए मत, यहां उनके नाम से प्रचलित तम्बाकू युक्त गुटखा 'धोनी' की बिक्री सबसे ज्यादा है।
'सोने जैसा खरा' स्लोगन वाले इस पान-मसाले की रोजाना बिक्री औसतन छह लाख रुपये से ज्यादा की बताई जा रही है।
वैसे बुंदेलखण्ड में 'पान-सुपारी' की लत पुरानी परम्परा जैसी है। एक दशक पूर्व तक यहां के बुर्जुगों के कंधे पर पान-मसाले का बटुआ टंगा हुआ करता था। अब ऐसा बटुआ तो नजर नहीं आता पर तम्बाकू युक्त गुटखों का चलन काफी बढ़ गया है। इन्हीं में से एक धोनी के नाम से 'सोने जैसे खरा' स्लोगन वाला 'धोनी' गुटखा है, जो उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे में सूरज इंटर प्राइजेज नामक गुटखा फैक्ट्री में निर्मित होता है।
इस क्षेत्र में भारत, साईं, तुलसा, श्री, चंद्रकमल, चंद्रमोहन, 555 व 64 नम्बर जैसे आधा सैकड़ा तम्बाकू युक्त गुटखों का अंधाधुंध चलन है, पर इन सभी को 'धोनी' गुटका मात दिए हुए है। गुटखों पर संवैधानिक चेतावनी 'तम्बाकू चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' छपे होने के बाद भी यह गुटखा बुंदेलखण्ड के बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट के अलावा पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के कई जिलों में सरकारी प्रतिबंध के बाद भी चोरी-छिपे बिक रहा है।
सूरज इंटर प्राइजेज गुटखा फैक्ट्री के मालिक सूरज कुमार ने बताया, "फैक्ट्री उत्तर प्रदेश सरकार से पंजीकृत है। पंजीयन संख्या-एजीवीपीके 9127, डीएक्सएम-001 है और एक पैकेट में 52 पाउच हैं, जिनकी बाजारू कीमत 30 रुपये प्रति पैकेट है।" उन्होंने बताया कि सभी टैक्सों सहित फुटकर बिक्री रेट 50 पैसा प्रति पाउच निर्धारित की गई है, थोक बिक्री के जरिए लगभग छह लाख रुपये की प्रतिदिन की आवक है।
गुटखा निर्माता फैक्ट्री के मालिक से जब गुटखा के नामकरण के लिए धोनी से अनुमति लेने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, "इसमें अनुमति लेने की क्या जरूरत है? हम तो अपना व्यवसाय कर रहे हैं और साथ में धोनी जी का मुफ्त में प्रचार भी कर रहे हैं।"
बांदा जनपद के तेन्दुरा गांव के परचून के दुकानदार संतोष कुमार ने बताया कि अन्य गुटखों को कोई ग्राहक 50 पैसे में नहीं खरीदता, जबकि 'धोनी' एक रुपये में बिक रहा है। दिनभर में इस गुटखा के दो सौ से ज्यादा पाउच बिक जाते हैं।
धोनी के नाम से तम्बाकू युक्त गुटखे के चलन से यहां के कुछ क्रिकेट प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता खफा भी हैं। अतर्रा स्थित हिन्दू इंटर कॉलेज के 12वीं के छात्र संकल्प कुमार कहना है कि क्रिकेट कप्तान की शोहरत को तम्बाकू गुटखा के साथ जोड़ना किसी तौहीनी से कम नहीं है। अब तक धौनी को धूम्रपान भी करते नहीं देखा गया।
एक अन्य क्रिकेट प्रेमी राममोहन ने बताया कि युवा वर्ग क्रिकेटर धौनी के मुरीद हैं, जिससे यह वर्ग धौनी के नाम पर चल रहे गुटखे की लती होता जा रहा है। उन्होंने कहा, "तम्बाकू से कैंसर होने का खतरा है और धौनी किसी भी लत के खिलाफ हैं। ऐसे में उनके नाम से चल रहे गुटखे पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।"
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार का कहना है, "उत्तर प्रदेश सरकार को भी मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर तम्बाकू युक्त गुटखे के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। तम्बाकू युक्त गुटखे से सैकड़ों लोग गम्भीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।"
वहीं दंत चिकित्सक डॉ. लखन द्विवेदी का कहना है, "गुटखे के सेवन से पाचन शक्ति कमजोर होती है और मुंह व दांतों से सम्बंधित कई बीमारियां पैदा होती हैं।"
इस मसले पर हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला ने कहा, "गुटखा फैक्ट्री के मालिक से 'धोनी' नामकरण करने के बारे में पूछताछ की जाएगी। दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई होगी।"
'सोने जैसा खरा' स्लोगन वाले इस पान-मसाले की रोजाना बिक्री औसतन छह लाख रुपये से ज्यादा की बताई जा रही है।
वैसे बुंदेलखण्ड में 'पान-सुपारी' की लत पुरानी परम्परा जैसी है। एक दशक पूर्व तक यहां के बुर्जुगों के कंधे पर पान-मसाले का बटुआ टंगा हुआ करता था। अब ऐसा बटुआ तो नजर नहीं आता पर तम्बाकू युक्त गुटखों का चलन काफी बढ़ गया है। इन्हीं में से एक धोनी के नाम से 'सोने जैसे खरा' स्लोगन वाला 'धोनी' गुटखा है, जो उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे में सूरज इंटर प्राइजेज नामक गुटखा फैक्ट्री में निर्मित होता है।
इस क्षेत्र में भारत, साईं, तुलसा, श्री, चंद्रकमल, चंद्रमोहन, 555 व 64 नम्बर जैसे आधा सैकड़ा तम्बाकू युक्त गुटखों का अंधाधुंध चलन है, पर इन सभी को 'धोनी' गुटका मात दिए हुए है। गुटखों पर संवैधानिक चेतावनी 'तम्बाकू चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' छपे होने के बाद भी यह गुटखा बुंदेलखण्ड के बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट के अलावा पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के कई जिलों में सरकारी प्रतिबंध के बाद भी चोरी-छिपे बिक रहा है।
सूरज इंटर प्राइजेज गुटखा फैक्ट्री के मालिक सूरज कुमार ने बताया, "फैक्ट्री उत्तर प्रदेश सरकार से पंजीकृत है। पंजीयन संख्या-एजीवीपीके 9127, डीएक्सएम-001 है और एक पैकेट में 52 पाउच हैं, जिनकी बाजारू कीमत 30 रुपये प्रति पैकेट है।" उन्होंने बताया कि सभी टैक्सों सहित फुटकर बिक्री रेट 50 पैसा प्रति पाउच निर्धारित की गई है, थोक बिक्री के जरिए लगभग छह लाख रुपये की प्रतिदिन की आवक है।
गुटखा निर्माता फैक्ट्री के मालिक से जब गुटखा के नामकरण के लिए धोनी से अनुमति लेने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, "इसमें अनुमति लेने की क्या जरूरत है? हम तो अपना व्यवसाय कर रहे हैं और साथ में धोनी जी का मुफ्त में प्रचार भी कर रहे हैं।"
बांदा जनपद के तेन्दुरा गांव के परचून के दुकानदार संतोष कुमार ने बताया कि अन्य गुटखों को कोई ग्राहक 50 पैसे में नहीं खरीदता, जबकि 'धोनी' एक रुपये में बिक रहा है। दिनभर में इस गुटखा के दो सौ से ज्यादा पाउच बिक जाते हैं।
धोनी के नाम से तम्बाकू युक्त गुटखे के चलन से यहां के कुछ क्रिकेट प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता खफा भी हैं। अतर्रा स्थित हिन्दू इंटर कॉलेज के 12वीं के छात्र संकल्प कुमार कहना है कि क्रिकेट कप्तान की शोहरत को तम्बाकू गुटखा के साथ जोड़ना किसी तौहीनी से कम नहीं है। अब तक धौनी को धूम्रपान भी करते नहीं देखा गया।
एक अन्य क्रिकेट प्रेमी राममोहन ने बताया कि युवा वर्ग क्रिकेटर धौनी के मुरीद हैं, जिससे यह वर्ग धौनी के नाम पर चल रहे गुटखे की लती होता जा रहा है। उन्होंने कहा, "तम्बाकू से कैंसर होने का खतरा है और धौनी किसी भी लत के खिलाफ हैं। ऐसे में उनके नाम से चल रहे गुटखे पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।"
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार का कहना है, "उत्तर प्रदेश सरकार को भी मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर तम्बाकू युक्त गुटखे के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। तम्बाकू युक्त गुटखे से सैकड़ों लोग गम्भीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।"
वहीं दंत चिकित्सक डॉ. लखन द्विवेदी का कहना है, "गुटखे के सेवन से पाचन शक्ति कमजोर होती है और मुंह व दांतों से सम्बंधित कई बीमारियां पैदा होती हैं।"
इस मसले पर हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला ने कहा, "गुटखा फैक्ट्री के मालिक से 'धोनी' नामकरण करने के बारे में पूछताछ की जाएगी। दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई होगी।"
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