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This Article is From Dec 19, 2023

बंगाल के चाय बागान गांवों की ‘आवाज़’ बना सामुदायिक रेडियो

एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘रेडियो सेल्सियन’ (90.8 एफएम) के लिए काम करने वाले समीर और अन्य आरजे स्थानीय नेपाली भाषी लोगों से मिलने और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों पर कार्यक्रम बनाने के लिए दार्जिलिंग जिले में समुद्र तल से 6,500 फीट ऊपर दूरदराज के पहाड़ी गांवों का दौरा करते हैं.

बंगाल के चाय बागान गांवों की ‘आवाज़’ बना सामुदायिक रेडियो

पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में चाय बागानों के बीच बसे एक गांव में एक बुजुर्ग सेवानिवृत्त सैनिक को युद्ध के दौरान बहादुरी की कहानियां सुनाते हुए सुना जा सकता है. ऐसे ही एक अन्य गांव में, एक महिला ऐसे गीत गाती है जिससे आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों को उससे जुड़ाव महसूस होता है.यह सब कुछ इन गांवों में सामुदायिक रेडियो से संभव हो सका है जिसका प्रसारण सुनने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस रेडियो सेवा के जरिये ना केवल सुदूर क्षेत्र में बसे चाय बागान गांवों के लोग अपना मनोरंजन करते हैं बल्कि समस्याओं पर चर्चा से लेकर इनके निदान पर भी काम करते हैं.

जैसे ही इस रेडियो सेवा पर आम लोगों की आवाजें प्रसारित की जाती हैं, श्रोता ध्यान से सुनते हैं क्योंकि वे उन अभिव्यक्तियों को अपनी अभिव्यक्ति मानते हैं. रेडियो जॉकी (आरजे) समीर ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘हाल में हमने डुपकिन गांव का दौरा किया, जहां हमारी मुलाकात एक विधवा महिला से हुई. उसने हमें बताया कि कैसे हमारे सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रम सुन कर उसे अवसाद से उबरने में मदद मिली.''

एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘रेडियो सेल्सियन' (90.8 एफएम) के लिए काम करने वाले समीर और अन्य आरजे स्थानीय नेपाली भाषी लोगों से मिलने और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों पर कार्यक्रम बनाने के लिए दार्जिलिंग जिले में समुद्र तल से 6,500 फीट ऊपर दूरदराज के पहाड़ी गांवों का दौरा करते हैं.

सामुदायिक रेडियो में स्थानीय लोग अपने स्वयं के कार्यक्रम बनाते और प्रसारित करते हैं.

‘रेडियो सेल्सियन' के संस्थापक-निदेशक और सेल्सियन कॉलेज के उप प्रधानाचार्य फादर सी.एम. पॉल ने कहा, ‘‘इस साल नवंबर के पहले सप्ताह से, हमारे आरजे ने हर शनिवार को गांवों में जाना शुरू कर दिया. हमारी योजना दूरदराज के 40 गांवों तक पहुंचने की है.''

पॉल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इन गांवों तक अक्सर वाहन आसानी से नहीं पहुंच पाते, जिससे आरजे को कई बार पैदल यात्रा करनी पड़ती है.

उन्होंने कहा कि आरजे उन दूरदराज के गांवों में हो रही गतिविधियों और ग्रामीणों से जुड़े परिवहन, पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को सामने लाते हैं.

पॉल ने कहा, ‘‘ग्रामीणों से बात करने के बाद, हमारे आरजे उनके मुद्दों पर उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं और उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताते हैं ताकि उनकी समस्याएं कम हो सकें.''

आरजे ग्रामीणों के बीच मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने और मतदान के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने का भी प्रयास करते हैं.

‘रेडियो सेल्सियन' प्रतिदिन सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक संचालित होता है. जैसा कि विनियमों द्वारा अनिवार्य है, 50 प्रतिशत या इससे अधिक कार्यक्रम समुदाय के सहयोग से बनाए जाते हैं.

पॉल ने कहा, ‘‘हमारे पास सभी श्रेणियों - बच्चे, युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, किसान और उद्यमी- के लोगों के लिए कार्यक्रम हैं.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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