क्रांतिकारी नेता चंद्रशेखर आजाद की आज 87वीं डेथ एनिवर्सरी है.
नई दिल्ली:
क्रांतिकारी नेता चंद्रशेखर आजाद की आज 87वीं डेथ एनिवर्सरी है. 27 फरवरी, 1931 को इन्होंने इलाहाबाद के एलफेड पार्क में खुद को गोली मार ली थी. 14 साल की उम्र में पहली और आखिरी बार पकड़े गए तो कोर्ट में अपना नाम आजाद बताया और मरते दम तक अंग्रेजों के हाथ नहीं आए. आइए जानते हैं चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी कुछ आसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं.
1. चंद्र शेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 में चंद्र शेखर तिवारी के यहां हआ था. जो मध्यप्रदेश के अलीराजपुर के भवरा गांव में रहते थे.
गांधी जी की हत्या से जुड़े दस्तावेजों को अमेरिका से लाने पर भारत सरकार ने लगा रखी है रोक
2. मां चंद्र शेखर आजाद को संस्कृत टीचर बनाना चाहती थी. पत्नी के जिद करने पर उनके पिता ने उनको बनारस के काशी विध्यापीठ भेज दिया था.
3. जिस वक्त वो पढ़ाई कर रहे थे उसी वक्त जलियावाला कांड हो गया. जिसके बाद वो 1920 असहयोग आंदोलन से जुड़ गए. वह 1925 में वह काकोरी ट्रेन डकैती में भी शामिल थे. 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था.
इस राजकुमारी को महात्मा गांधी बुलाते थे बेवकूफ, ऐसे बनीं देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री
4. चंद्र शेखर आजाद कभी पुलिस का हाथों नहीं लगे. इलाहबाद के एलफेड पार्क में पुलिस और उनके बीच शूटआउट हुआ था. जिसमें वो एक पेड़ के पीछे छिप गए थे, भागने की जरा भी जगह नहीं थी. उनकी बंदूक में एक ही गोली थी. पुलिस उन्हें पकड़ती उससे पहले ही उन्होंने खुद को गोली मार ली.
चार ऐसे Gandhi जिन्हें समय के साथ भुला दिया गया, जानें क्यों हुआ ऐसा
5. उनकी मौत 27 फरवरी 1931 में एलफेड पार्क में हुई. जिसके बाद पार्क का नाम चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया. उन्होंने कहा था- ''दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे. आजाद ही रहें, आजाद ही रहेंगे.'
1. चंद्र शेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 में चंद्र शेखर तिवारी के यहां हआ था. जो मध्यप्रदेश के अलीराजपुर के भवरा गांव में रहते थे.
गांधी जी की हत्या से जुड़े दस्तावेजों को अमेरिका से लाने पर भारत सरकार ने लगा रखी है रोक
2. मां चंद्र शेखर आजाद को संस्कृत टीचर बनाना चाहती थी. पत्नी के जिद करने पर उनके पिता ने उनको बनारस के काशी विध्यापीठ भेज दिया था.
3. जिस वक्त वो पढ़ाई कर रहे थे उसी वक्त जलियावाला कांड हो गया. जिसके बाद वो 1920 असहयोग आंदोलन से जुड़ गए. वह 1925 में वह काकोरी ट्रेन डकैती में भी शामिल थे. 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था.
इस राजकुमारी को महात्मा गांधी बुलाते थे बेवकूफ, ऐसे बनीं देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री
4. चंद्र शेखर आजाद कभी पुलिस का हाथों नहीं लगे. इलाहबाद के एलफेड पार्क में पुलिस और उनके बीच शूटआउट हुआ था. जिसमें वो एक पेड़ के पीछे छिप गए थे, भागने की जरा भी जगह नहीं थी. उनकी बंदूक में एक ही गोली थी. पुलिस उन्हें पकड़ती उससे पहले ही उन्होंने खुद को गोली मार ली.
चार ऐसे Gandhi जिन्हें समय के साथ भुला दिया गया, जानें क्यों हुआ ऐसा
5. उनकी मौत 27 फरवरी 1931 में एलफेड पार्क में हुई. जिसके बाद पार्क का नाम चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया. उन्होंने कहा था- ''दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे. आजाद ही रहें, आजाद ही रहेंगे.'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं