तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़े जाने के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए लंबे सप्ताहांत और बंद से पहले बेंगलुरु में बुधवार को बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम देखा गया. बेंगलुरु की सड़कें बुधवार को थम गईं, वाहन घंटों तक फंसे रहे और कई खराब हो गए. आउटर रिंग रोड (ओआरआर) पर भीड़भाड़ का सबसे ज्यादा असर पड़ा और यात्रियों के पांच घंटे से अधिक समय तक फंसे रहने की खबर है.
तकनीकी विशेषज्ञ, कार्यालय जाने वाले लोग और यहां तक कि कुछ स्कूल बसें भी घंटों तक आउटर रिंग रोड पर जाम में फंसी रहीं, कुछ अभिभावकों ने शिकायत की, कि उनके बच्चे रात में घर पहुंचे. कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर अपनी बेबसी और हताशा की दास्तां शेयर की और यातायात अराजकता के लिए शहर प्रशासन को दोषी ठहराया. एक व्यक्ति ने शेयर किया कि कैसे उसके दोस्त को कैब या ऑटोरिक्शा नहीं मिलने पर घर पहुंचने के लिए लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा.
तुषार नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, ''मेरा दोस्त आज बेंगलुरु स्थित घर वापस 12 किलोमीटर पैदल चला. उसे कोई कैब/ऑटो/रैपिडो या कुछ और नहीं मिल रहा था. सभी साधन होने के बाद भी शीर्ष 1% लोगों के जीवन की गुणवत्ता इस शहर में केवल निम्न स्तर पर है.'' उन्होंने एक ऐप का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जिसमें दिखाया गया है कि उनका दोस्त 195 मिनट में 11.87 किमी चला.
My friend walked 12Kms back home in Bangalore today.
— Tushar (@TheTusharLuthra) September 27, 2023
He wasn't getting any cabs/autos/rapido or anything else.
Quality of life even for top 1% after having all the means is only hitting lows & lows in this city.#bangaloretraffic pic.twitter.com/puSMXukQvz
यूजर ने यह भी बताया, कि उसका दोस्त मेडिकल चेकअप के लिए एचएएल ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित मणिपाल अस्पताल गया था और उसे पैदल घर वापस जाना पड़ा जो सरजापुर मेन रोड पर स्थित था.
उनके ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक यूजर ने लिखा, ''हैदराबाद के विपरीत, मुझे याद नहीं है कि बेंगलुरु की सड़कों का कभी विस्तार किया गया हो. चेन्नई की तरह, वन-वे सड़कों की भी योजना नहीं बनाई गई थी. उच्चतम कार-टू-रोड अनुपात जानने के बाद, बैंगलोर में कोई महत्वपूर्ण उपाय नहीं दिखता. मेट्रो या एनआईसीई रोड या कोई अन्य सड़क अकेले समस्या का समाधान नहीं करेगी. वे बस अतिरिक्त ट्रैफ़िक लेते हैं. अधिक फ्लाईओवर, हर सिग्नल से पहले मुफ्त यू-टर्न और बहुत कुछ चाहिए.''
The ceaseless battle against Bengaluru's traffic today has ignited a pressing thought – it's high time IT firms reconsider their approach with the RTO! Enduring 2-3 hours of gridlock for a mere 8-10 kilometers is simply unsustainable! #bengalurutraffic @blrcitytraffic pic.twitter.com/V9U4PYgb6W
— Siddhant Nanda (@siddhant_nanda) September 27, 2023
एक अन्य ने लिखा, ''और मैं देख रहा हूं कि लोग इस शहर की रक्षा कर रहे हैं जैसे कि यह गर्व की बात हो. हर किसी को अपने शहर/देश से प्यार करना चाहिए लेकिन सीमाओं और समस्याओं के बारे में भी जागरूक होना चाहिए. क्योंकि तब तक इसमें सुधार नहीं होगा.''
Traffic jam like never before in ORR , Sarjapur , Varthur road and all other arterial road including infamous #scorss #tcross #cromaroad #BengaluruTraffic #ORRTraffic #Scorss
— Namma Balagere - A to Z crosses, daily suffering. (@BalagereConnect) September 27, 2023
Total failure by @CMofKarnataka in addressing tech corridor issues pic.twitter.com/kzi8opE6MS
चौथे ने कहा, ''अगर ज्यादातर कंपनियां पूरी तरह से दूर हो जाएं तो इनमें से अधिकांश समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. कर्मचारी महीने या तिमाही में एक बार मिल सकते हैं. उस समय टीमों को मनोरंजक गतिविधियां करनी चाहिए, दूसरों से मिलना चाहिए और सभी से मिलना चाहिए.''
#Bengaluru Massive traffic jam on ORR stretch footage#BengaluruTraffic #ORRTraffic #BengaluruTrafficJam #ORRTrafficJam #Bangalore #BangaloreTraffic
— Karnataka Weather (@Bnglrweatherman) September 27, 2023
(Credits to the original owners) https://t.co/8QSNUqI84w pic.twitter.com/79xkWRUYcx
यातायात पुलिस विभाग के अनुसार, शहर के कुछ हिस्सों में यातायात जाम के कारण कई कारक हैं. बुधवार को आम दिनों की तुलना में ट्रैफिक दोगुना था. आमतौर पर बुधवार को वाहनों की संख्या 1.5 लाख से 2 लाख तक होती है. हालांकि, 27 सितंबर को शाम 7:30 बजे तक वाहनों की संख्या 3.5 लाख तक पहुँच गई. इसके अलावा, बारिश के कारण आंतरिक सड़कों पर भी जलभराव हो गया है, जिससे शहर के कई हिस्सों में भारी जाम लग गया है.
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