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UPI लूंगा नहीं और जाने दूंगा नहीं...बेंगलुरु में UPI विवाद, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

Bengaluru Autowala UPI: एक बंदे ने ऑनलाइन ऑटो बुक किया. राइड खत्म होने के बाद जब वह UPI करने लगा, तो ड्राइवर ने उसस कैश में पेमेंट करने पर जोर दिया. बिना पेमेंट किए 'न जाने देने' की धमकी भी दी.

UPI लूंगा नहीं और जाने दूंगा नहीं...बेंगलुरु  में UPI विवाद, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

Bengaluru auto UPI fight: बेंगलुरु से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने डिजिटल पेमेंट और जमीन से जुड़े सच के बीच की खाई को उजागर कर दिया है. यहां एक युवक ने ऐप से ऑटो बुक किया, लेकिन जब राइड खत्म हुई तो पेमेंट को लेकर ऐसी बहस छिड़ी कि मामला सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बन गया. 21 जुलाई को ट्विटर (अब X) पर एक यूज़र ने पोस्ट में बताया कि उन्होंने सुबह-सुबह ऑटो बुक किया, लेकिन राइड खत्म होने पर ऑटो ड्राइवर ने UPI पेमेंट लेने से इनकार कर दिया. शख्स ने कैश देने से साफ मना कर दिया और कहा कि वह सिर्फ UPI से पेमेंट करेंगे.

बेंगलुरु में ऑटो वाले ने UPI लेने से किया मना (auto driver payment controversy)

ड्राइवर और अजय के बीच काफी देर तक बहस हुई. ऑटो वाला किसी तीसरे शख्स को फोन करता है, जो ग्राहक से बात करना चाहता है, लेकिन अजय बात करने से मना कर देते हैं. मामला इतना बढ़ता है कि अजय ऑटो ड्राइवर को दो टूक कह देते हैं, या तो QR कोड दिखाओ या मैं चला. ड्राइवर ने जवाब दिया, हिम्मत है तो जाकर दिखाओ और अजय वहां से बिना पेमेंट किए चले जाते हैं.

यहां देखें पोस्ट

UPI और कैश को लेकर ऑटो ड्राइवर से क्लेश (Bengaluru man refused cash)

इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. अजय की पोस्ट पर कमेंट करते हुए कई यूजर्स ने उनकी आलोचना की. एक यूजर ने लिखा, यह सर्विस ली गई थी, तो पेमेंट करना आपकी जिम्मेदारी थी. कैश से पेमेंट करना गैरकानूनी नहीं है. वहीं एक और यूजर ने कहा, गरीब ऑटो ड्राइवर को यूं परेशान करना कोई बहादुरी नहीं, यह संवेदनहीनता है.

कैश बनाम UPI विवाद (Auto Driver Passenger Me UPI Ko Lekar Kalesh)

बेंगलुरु के ऑटो ड्राइवर वैसे भी अपने यूनिक व्यवहार और वायरल किस्सों के लिए मशहूर हैं...चाहे वो ऑटो का डेकोरेशन हो या यात्रियों से हुई बहसें, लेकिन यह मामला दर्शाता है कि डिजिटल भारत में भी हर व्यक्ति तकनीक से नहीं जुड़ा है. सवाल यही है...क्या डिजिटल सुविधा की जिद, किसी की रोजी-रोटी पर भारी पड़नी चाहिए? यूजर की पोस्ट भले ही खुद को सही ठहराने की कोशिश हो, लेकिन जनता का फैसला कुछ और ही दिखा रहा है.

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