'बाबा का ढाबा' में खाना खाने के लिए लगी भीड़, लोगों को देख आई रोते बुजुर्ग के चेहरे पर मुस्कान - देखें Video

दिल्ली (Delhi) के मालवीय नगर (Malviya Nagar) में एक बुजुर्ग शख्स अपनी पत्नी के साथ ढाबा चलाता है, जिसका नाम 'बाबा का ढाबा' (Baba Ka Dhaba) है. यूट्यूब पर वीडियो वायरल होने के बाद उनकी दुकान में भीड़ लग गई. वीडिया काफी वायरल (Viral Video) हो रहा है.

दिल्ली (Delhi) के मालवीय नगर (Malviya Nagar) में एक बुजुर्ग शख्स अपनी पत्नी के साथ ढाबा चलाता है, जिसका नाम 'बाबा का ढाबा' (Baba Ka Dhaba) है. लेकिन लॉकडाउन के बाद उनके ढाबे पर कोई खाना खाने नहीं आता था. एक यूट्यूबर उनकी छोटी सी दुकान पर पहुंचा तो वो पूरी कहानी सुनाते हुए रो पड़े. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया और देश से कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं. वीडियो वायरल होने के कुछ ही घंटों बाद उनकी दुकान में खाना खाने के लिए लाइन लग गई. इतनी भीड़ को देख बुजुर्ग कपल के चेहरे पर मुस्कान आ गई. ट्विटर पर #BabaKaDhaba टॉप ट्रेंड कर रहा है. दिल्ली में लोग उनकी दुकान में लोग पहुंच रहे हैं और मदद कर रहे हैं.

यूट्यूबर गौरव वासन ने इस बुजुर्ग जोड़े का वीडियो शेयर किया है. उनके चैनल ‘स्वाद ऑफिशियल' पर 6 अक्टूबर को यह वीडियो डाला गया था, जहां से यह तेजी से वायरल हो गया. ट्विटर पर इस वीडियो को वसुंधरा नाम की यूजर ने भी 7 अक्टूबर को शेयर किया था. वहां से ट्विटर पर यह वीडियो वायरल हो गया. 

देखें Video:

वीडियो देख आप नेता सोमनाथ भारती 8 अक्टूबर को बाबा का ढाबा में पहुंचे और बुजुर्ग कपल की मुस्कुराहट वाली तस्वीर शेयर की. उन्होंने फोटो शेयर करते हुए लिखा, 'बाबा का ढाबा पर पहुंचा और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में मदद की.'

उनके अलावा आम लोग भी वहां पहुंच रहे हैं और बुजुर्ग कपल के साथ सेल्फी ले रहे हैं. कईयों ने मदद के लिए हाथ भी बढ़ाया है. ट्विटर पर तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं...

क्या है ढाबा खोलने की वजह
कांता प्रसाद और बादामी देवी कई सालों से मालवीय नगर में अपनी छोटी सी दुकान लगाते हैं. दोनों की उम्र 80 वर्ष से ज्यादा है. कांता प्रसाद बताते हैं कि उनके दो बेटे और एक बेटी है. लेकिन तीनों में से कोई उनकी मदद नहीं करता है. वो सारा काम खुद ही करते हैं और ढाबा भी अकेले ही चलाते हैं.

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कांता प्रसाद पत्नी की मदद से सारा काम करते हैं. वो सुबह 6 बजे आते हैं और 9 बजे तक पूरा खाना तैयार कर देते हैं. रात तक वो दुकान पर ही रहते हैं. लॉकडाउन के पहले लोग यहां खाना खाने आया करते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद उनकी दुकान पर कोई नहीं आता है. इतना कहकर वो रोने लगते हैं.