नियमित रूप से पांच वक्त नमाज पढ़ने वाले उत्तर प्रदेश के मुस्तकीम अहमद हर साल नवरात्र में मिर्जापुर स्थित विख्यात विंध्याचल मंदिर में पूरे नौ दिन देवी का भजन-कीर्तन कर कौमी एकता की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं।
मिर्जापुर जिले के भटौली गांव निवासी मुस्तकीम (40) कहते हैं, "जब कण-कण में भगवान हैं तो क्या हिंदू और क्या मुसलमान? जब हम सब एक हैं तो इबादत हो या पूजा, ईश्वर को याद करना ही सबसे बड़ा धर्म है, चाहे वह किसी भी रूप में हो।"
उन्होंने कहा, "मैं करीब 15 वर्षों से हर साल नवरात्र के अवसर पर प्रसिद्ध विंध्याचल मंदिर में लगातार नौ दिन देवी की पूजा-अर्चना करता हूं।"
मुस्तकीम पिछले 20 वर्षों से मंदिरों में देवी गीत के कार्यक्रम और रामचरितमानस का संगीतमय पाठ कर रहे हैं। उनको रामायण की चौपाइयां गाते देख लोग उनकी प्रशंसा करने से खुद को नहीं रोक पाते।
एक मुस्लिम होकर देवी के गीत गाने और रामचरितमानस का पाठ करने का विरोध भी उनको झेलना पड़ा। कई रिश्तेदारों और मित्रों ने तो उनसे नाता भी तोड़ लिया है।
मुस्तकीम कहते हैं, "मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मेरा परिवार हमेशा से मेरा समर्थन करता रहा है। मेरा मानना है कि जब हम सब एक हैं तो अपने आप को जाति और धर्म के बंधन में बांधना उचित नहीं है।"
वह याद करते हुए कहते हैं, "मैं जब 15 वर्ष का था, तब मेरे गांव के दुर्गा मंदिर में भजन का कार्यक्रम करने एक मंडली आई थी। मंडली के देवी गीतों ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैं आकृष्ट हो गया।"
उन्होंने गायन के साथ-साथ हारमोनियम, वायलिन और बांसुरी जैसे वाद्ययंत्र बजाने भी सीख लिए।
स्नातक पास मुस्तकीम ने बताया, "करीब एक साल तक स्थानीय संगीत गुरु द्वारिका नाथ अग्रहरि से संगीत की शिक्षा लेने के बाद मैं हर सप्ताहांत में विंध्यवासिनी मंदिर में देवी भजन का कार्यक्रम करने लगा।"
उन्होंने कहा, "धीरे-धीरे लोग मेरी गायकी और भजनों से प्रसन्न होकर देवी मां के जगराता, रामचरितमानस पाठ जैसे अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के लिए बुलाने लगे।"
आज मुस्तकीम सिर्फ मिर्जापुर ही नहीं, बल्कि सोनभद्र, वाराणसी, इलाहाबाद, चंदौली, भदोही जिलों में भी बुलावे पर देवी गीतों और रामचरितमानस का पाठ करके सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं।
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