इस्लामाबाद:
पाकिस्तान में तेजी से बदलते हालात के बीच प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने आज संसद के विशेष सत्र के दौरान अपने संबोधन में कहा कि हम पांच साल के लिए सरकार में आए हैं और हमें हटाने का हक सिर्फ संसद को है। उन्होंने नेशनल असेंबली में कहा कि हम फौज के खिलाफ मदद के लिए नहीं आए हैं और कोई हमें बाहर से निर्देश नहीं दे सकता।
गिलानी ने कहा कि हमारी गलतियों की सजा जम्हूरियत को नहीं मिलनी चाहिए और जम्हूरियत पर कोई हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने संकट की इस घड़ी में संसद से एकजुट हो जाने की अपील करते हुए कहा कि तख्तापलट किसी के भी हक में नहीं है।गिलानी ने आज कहा कि वह न्यायपालिका और सेना के साथ विवाद के मद्देनजर संसद से विश्वास मत नहीं लेंगे, क्योंकि उनकी सरकार देश के संस्थानों के बीच टकराव नहीं चाहती। गिलानी ने संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के विशेष सत्र में कहा, ‘‘मुझे विश्वास मत की कोई आवश्यकता नहीं है।’’
सत्तारूढ़ गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट की इस चेतावनी के बाद यह विशेष सत्र बुलाया कि भ्रष्टाचार के बड़े मामलों को फिर से नहीं शुरू करने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। विपक्ष की तीखी आलोचना से भरे अपने वक्तव्य में गिलानी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से शुरू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए उनकी सरकार को विपक्ष के समर्थन की जरूरत नहीं है। भ्रष्टाचार के मामलों को पूर्ववर्ती सैन्य शासन ने राष्ट्रीय मेलमिलाप अध्यादेश (एनआरओ) के तहत खत्म कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 2009 में एनआरओ को रद्द कर दिया था। फिलहाल संसद का सत्र सोमवार तक के लिए स्थगित हो गया है।
(इनपुट भाषा से भी)
गिलानी ने कहा कि हमारी गलतियों की सजा जम्हूरियत को नहीं मिलनी चाहिए और जम्हूरियत पर कोई हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने संकट की इस घड़ी में संसद से एकजुट हो जाने की अपील करते हुए कहा कि तख्तापलट किसी के भी हक में नहीं है।गिलानी ने आज कहा कि वह न्यायपालिका और सेना के साथ विवाद के मद्देनजर संसद से विश्वास मत नहीं लेंगे, क्योंकि उनकी सरकार देश के संस्थानों के बीच टकराव नहीं चाहती। गिलानी ने संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के विशेष सत्र में कहा, ‘‘मुझे विश्वास मत की कोई आवश्यकता नहीं है।’’
सत्तारूढ़ गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट की इस चेतावनी के बाद यह विशेष सत्र बुलाया कि भ्रष्टाचार के बड़े मामलों को फिर से नहीं शुरू करने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। विपक्ष की तीखी आलोचना से भरे अपने वक्तव्य में गिलानी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से शुरू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए उनकी सरकार को विपक्ष के समर्थन की जरूरत नहीं है। भ्रष्टाचार के मामलों को पूर्ववर्ती सैन्य शासन ने राष्ट्रीय मेलमिलाप अध्यादेश (एनआरओ) के तहत खत्म कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 2009 में एनआरओ को रद्द कर दिया था। फिलहाल संसद का सत्र सोमवार तक के लिए स्थगित हो गया है।
(इनपुट भाषा से भी)
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