![?????? ??? 5: ??? ?? '?? ???????' ?? ???? ???? ????? ?? ???????, ???? ??? ?????? ????? ?? ???? ????? ???????? ?????? ??? 5: ??? ?? '?? ???????' ?? ???? ???? ????? ?? ???????, ???? ??? ?????? ????? ?? ???? ????? ????????](https://c.ndtvimg.com/2025-02/k0arnhao_london-protest_625x300_09_February_25.jpeg)
लंदन में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने मानवाधिकारों और सुरक्षा चिंताओं को लेकर चीन के विवादास्पद नए दूतावास के लिए निर्धारित स्थल पर विरोध प्रदर्शन किया. एक सांसद ने पहले इसे लेकर कहा था कि नए दूतावास को लेकर स्वीकृति दी जाती है तो यह यूरोप में सबसे बड़ा चीनी दूतावास होगा.
- चीन कई सालों से अपने दूतावास को टॉवर ऑफ लंदन के पास विशाल ऐतिहासिक स्थल पर स्थानांतरित करने की कोशिश कर रहा है. यह वर्तमान में ब्रिटिश राजधानी के पॉश मैरीलेबोन जिले में है. इसे लेकर लोग विरोध कर रहे हैं. 40 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता और प्रदर्शनकारी इओना बोसवेल ने बताया कि "यहां एक बड़े दूतावास की कोई आवश्यकता नहीं है" और उनका मानना है कि इसका उपयोग "असंतुष्टों के उत्पीड़न" को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाएगा.
- अरब संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बिन अहमद अल-यामाही ने इजरायल के उन बयानों की निंदा की है, जिसमें सऊदी अरब में एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का आह्वान किया गया था. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के बयान क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, संघर्ष बढ़ाते हैं और वैश्विक शांति और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं.
- ताइवान के विदेश मंत्रालय ने चीन के साथ ब्रुनेई के हालिया संयुक्त बयान की कड़ी निंदा की है. विदेश मंत्रालय ने चीन और ब्रुनेई द्वारा उस दावे को खारिज कर दिया कि "ताइवान चीन का एक अविभाज्य हिस्सा है.". मंत्रालय ने दोहराया कि ताइवान एक संप्रभु, स्वतंत्र राष्ट्र है, जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और चीन के राजनयिक दबाव के आगे नहीं झुकेगा. चीन और ब्रुनेई के संयुक्त बयान में ताइवान को चीन का हिस्सा बताया गया था.
- अरबपति एलन मस्क का कहना है कि टिकटॉक के अधिग्रहण करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. हालांकि पहले ऐसी खबरें आई थीं कि ट्विटर को खरीदने के बाद मस्क टिकटॉक को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं. टिकटॉक को बैन करने की खबरों के बीच मस्क ने इसमें रुचि दिखाई थी.
- पाकिस्तान की सरकार ने उस नीति को समाप्त कर दिया है जो मृत सरकारी कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को स्वचालित रूप से सरकारी रोजगार प्राप्त करने की अनुमति देती थी. यह निर्णय 18 अक्टूबर, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है, जिसने इस प्रथा को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण माना था.