विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) 31 मई को मनाया जाता है जिससे तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के को लेकर जागरुकता बढ़ाई जा सके. तंबाकू के सेवन से हर साल करीब 80 लाख लोगों की दुनिया में मौत होती है. इंसानी कीमत के अलावा, तंबाकू पर्यावरण पर भी असर डालता है. ऐसा माना जाता है कि तंबाकू के सेवन के कारण संयुक्त राष्ट्र के सतत पोषणीय विकास एजेंडा 2030 को पाने में खलल डलेगी क्योंकि यह एजेंडा 2030 तक तंबाकू से होने वाली मौतों को एक तिहाई कम करने का लक्ष्य रखता है.
इस साल का थीम
WHO सदस्य देश इस बात से सहमत हुए कि 1987 से 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाएगा. इस साल के लिए "वर्ल्ड नो टोबैको डे" की थीम है, "पर्यावरण की रक्षा". WHO के अनुसार, तंबाकू इंडस्ट्री का पर्यावरण पर बड़े पैमाने पर बुरा असर पड़ रहा है और यह दुनिया के कम होते संसाधनों पर और बोझ डाल रहा है."
स्वास्थ्य कार्यक्रम
हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन उन सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को सम्मानित करता है जो तंबाकू के प्रयोग को कम करने में प्रयास करते हैं. इस साल WHO ने झारखंड को World No Tobacco Day (WNTD) Award-2022 के लिए चुना है. भारत में एक तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम तंबाकू के प्रयोग के खिलाफ लोगों को जागरुक करने के लिए चलाया जाता है. और इससे ऐसी नीतियां बनाने में मदद मिलती है जिससे देश अपना लक्ष्य पा सके. झारखंड में यह कार्यक्रम 2012 में चलाया गया.
स्वास्थ्य पर प्रभाव
तंबाकू के सेवन से फेंफड़ों का कैंसर हो सकता है. इससे बड़ी संख्या में वो लोग प्रभावित होते हैं जो पहले से सिगरेट पीते हैं. फेंफड़ों के कैंसर की पहचान वाले 80-90% लोग तंबाकू स्मोकिंग की पुरानी आदत वाले होते हैं. तंबाकू का सेवन पुरुषों के लिए मौत का प्रमुख कारण है और महिला पुरुषों को मिला कर तंबाकू सेवन मौत का दूसरा बड़ा कारण हैं.
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