नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला का फाइल फोटो
काठमांडू:
नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने कहा है कि उनका देश विनाशकारी भूकंप से नष्ट हुई सभी निजी और सरकारी परिसंपत्तियों का दो सालों में पुनर्निर्माण कर लेगा। उन्होंने नागरिकों, पड़ोसी देशों और प्रवासी मजदूरों से पुनर्निर्माण कार्य में सरकार का सहयोग करने का आह्वान किया।
कोईराला ने शुक्रवार को संसद में कहा कि दो हफ्ते पहले आए 7.9 तीव्रता के भूकंप में नष्ट हुए ढांचों का पुनर्निर्माण कराने के लिए 200 अरब रुपये का राष्ट्रीय पुनर्निर्माण कोष जुटाया जाएगा।
मंत्रिमंडल से अनुमोदित पुननिर्माण कार्यक्रम को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि नष्ट प्रतिष्ठानों और स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, जलापूर्ति, बिजली और सरकारी दफ्तरों जैसी सेवाओं का दो साल के भीतर पुनर्निर्माण कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि धार्मिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक स्थलों का पांच साल में पुनर्निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने सभी देशवासियों, पड़ोसी देशों, प्रवासी मजदूरों, विपक्ष समेत सभी राजनीतिक दलों से पुनर्निर्माण प्रयास में सरकार की मदद करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, 'किसी भी नेपाली को बेघर नहीं छोड़ा जाएगा और न ही किसी को भूखे मरने दिया जाएगा। अब हम इस राष्ट्रीय आपदा का सामना करने के लिए एकजुट हो जाएं और बदालव के इस मौके को न गंवाए।'
पुलिस के अनुसार, देश की इस सबसे भीषणतम आपदा की वजह से मरने वालों की संख्या आज यानी रविवार को बढ़कर 7912 हो गई जबकि घायलों की संख्या 16,037 हैं। देश में 80 सालों से भी अधिक समय में ऐसी भीषणतम आपदा आई है।
नेपाल में भूकंप की वजह से 2,90,000 भवन पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, जबकि 2,50,000 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। रविवार को तड़के भी काठमांडू और उसके आसपास में भूकंप के ताजे झटके महसूस किए गए जिससे लोगों में एक बार फिर दहशत फैल गई। वैसे भी वे पहले से ही डर के साए में जी रहे हैं, क्योंकि पिछले दो हफ्ते में भूकंप के बाद के 155 झटके आ चुके हैं।
नेशनल सिसमोलॉजिकल सेंटर ऑफ नेपाल ने तड़के तीन बजकर आठ मिनट पर 4.1 की तीव्रता का भूकंप दर्ज किया। उसका केंद्र काठमांडू के उत्तरपूर्व में रासुवा में था।
माई रिपब्लिका की खबर है कि सरकार ने माना कि आपदा तैयारी तथा बचाव एवं राहत में कई खामियां रहीं, लेकिन विभिन्न देशों से काफी बचाव एवं राहत सहयोग मिला।
संसदीय बैठक को संबोधित करते हुए उप-प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री बामदेव गौतम ने कहा, 'आपदा हमारी आशंकाओं से परे और अप्रत्याशित थी। इसलिए हमारी कोशिशें समय से भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने की आकांक्षाओं को पूरी नहीं कर सकीं।'
उन्होंने कहा कि सरकार भूकंप के अत्यधिक जोखिम से वाकिफ है लेकिन उसके पास इलाकों में तैनाती के लिए पर्याप्त संख्या में विशेषज्ञ, प्रौद्योगिकी और मानवश्रम नहीं है। साथ ही, वह अन्य देशों के सामने अपनी जरूरतों के बारे में त्वरित मांग भी नहीं रख पाई।
कोईराला ने शुक्रवार को संसद में कहा कि दो हफ्ते पहले आए 7.9 तीव्रता के भूकंप में नष्ट हुए ढांचों का पुनर्निर्माण कराने के लिए 200 अरब रुपये का राष्ट्रीय पुनर्निर्माण कोष जुटाया जाएगा।
मंत्रिमंडल से अनुमोदित पुननिर्माण कार्यक्रम को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि नष्ट प्रतिष्ठानों और स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, जलापूर्ति, बिजली और सरकारी दफ्तरों जैसी सेवाओं का दो साल के भीतर पुनर्निर्माण कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि धार्मिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक स्थलों का पांच साल में पुनर्निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने सभी देशवासियों, पड़ोसी देशों, प्रवासी मजदूरों, विपक्ष समेत सभी राजनीतिक दलों से पुनर्निर्माण प्रयास में सरकार की मदद करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, 'किसी भी नेपाली को बेघर नहीं छोड़ा जाएगा और न ही किसी को भूखे मरने दिया जाएगा। अब हम इस राष्ट्रीय आपदा का सामना करने के लिए एकजुट हो जाएं और बदालव के इस मौके को न गंवाए।'
पुलिस के अनुसार, देश की इस सबसे भीषणतम आपदा की वजह से मरने वालों की संख्या आज यानी रविवार को बढ़कर 7912 हो गई जबकि घायलों की संख्या 16,037 हैं। देश में 80 सालों से भी अधिक समय में ऐसी भीषणतम आपदा आई है।
नेपाल में भूकंप की वजह से 2,90,000 भवन पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, जबकि 2,50,000 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। रविवार को तड़के भी काठमांडू और उसके आसपास में भूकंप के ताजे झटके महसूस किए गए जिससे लोगों में एक बार फिर दहशत फैल गई। वैसे भी वे पहले से ही डर के साए में जी रहे हैं, क्योंकि पिछले दो हफ्ते में भूकंप के बाद के 155 झटके आ चुके हैं।
नेशनल सिसमोलॉजिकल सेंटर ऑफ नेपाल ने तड़के तीन बजकर आठ मिनट पर 4.1 की तीव्रता का भूकंप दर्ज किया। उसका केंद्र काठमांडू के उत्तरपूर्व में रासुवा में था।
माई रिपब्लिका की खबर है कि सरकार ने माना कि आपदा तैयारी तथा बचाव एवं राहत में कई खामियां रहीं, लेकिन विभिन्न देशों से काफी बचाव एवं राहत सहयोग मिला।
संसदीय बैठक को संबोधित करते हुए उप-प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री बामदेव गौतम ने कहा, 'आपदा हमारी आशंकाओं से परे और अप्रत्याशित थी। इसलिए हमारी कोशिशें समय से भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने की आकांक्षाओं को पूरी नहीं कर सकीं।'
उन्होंने कहा कि सरकार भूकंप के अत्यधिक जोखिम से वाकिफ है लेकिन उसके पास इलाकों में तैनाती के लिए पर्याप्त संख्या में विशेषज्ञ, प्रौद्योगिकी और मानवश्रम नहीं है। साथ ही, वह अन्य देशों के सामने अपनी जरूरतों के बारे में त्वरित मांग भी नहीं रख पाई।
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